रतिमा पोस्टग्रैजुएट है. शक्लसूरत भी ठीकठाक है. खाना भी अच्छा बनाती है. व्यवहारकुशल भी है. चाहे रिश्तेदार हों, पड़ोसी हों या फिर सहेलियां सभी में वह लोकप्रिय है. मगर पति की नजरों में नहीं. क्यों? यह सवाल सिर्फ प्रतिमा के लिए ही नहीं है, बल्कि ऐसी बहुत सी महिलाओं के लिए है, जिन की आदतें, तौरतरीके, रहनसहन उन के पति के लिए नागवार होते हैं, तो क्या हमेशा अपनी पत्नी में नुक्स निकालने वाले पति परफैक्ट होते हैं? हर व्यक्ति का अपनाअपना स्वभाव, तौरतरीके, नजरिया और पसंद होती है. ऐसे में हम यह सोचें कि फलां हमारी तरह नहीं है इसलिए परफैक्ट नहीं है, तो यह ज्यादती होगी. यह जरूरी नहीं कि जिस में हम नुक्स निकालते हैं उस में कोई गुण हो ही न.

प्रतिमा को ही लें. वह अच्छा खाना बनाती है. व्यवहारकुशल भी है. वहीं उस के पति न तो व्यवहारकुशल हैं और न ही उन में कोई बौद्धिक प्रतिभा है, जिस से वे दूसरों से खुद को अलग साबित कर सकें. सिवा इस के कि वे कमाते हैं. कमाने को तो रिकशे वाला भी कमाता है. प्रतिमा स्वयं घर पर ट्यूशन कर के क्व 8-10 हजार कमा लेती है. सुबह 5 बजे उठना. बच्चों के लिए टिफिन तैयार करना, उन्हें तैयार करना, घर को इस लायक बनाना कि शाम को पति घर आए तो सब कुछ व्यवस्थित लगे. शाम को बच्चों को खुद पढ़ाना. अगर पति कभी पढ़ाने लगें तो पढ़ाने पर कम पिटाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं.

अत्यधिक अपेक्षा

पति महोदय किसी भी हालत में सुबह 7 बजे से पहले नहीं उठते हैं. वजह वही दंभ कि मैं कमाता हूं. मुझ पर काम का बोझ है. सुबह पहले उठना और रात सब से बाद में सोना प्रतिमा की दिनचर्या है. उस पर पति आए दिन उस के काम में मीनमेख निकालते रहते हैं. उस की हालत यह है कि दिन भर खटने के बाद जैसे ही शाम पति के आने की आहट होती है वह सहम जाती है कि क्या पता आज किस काम में नुक्स निकालेंगे? पति महोदय आते ही बरस पड़ते हैं, ‘‘तुम दिन भर करती क्या हो? बच्चों के कपड़े बिस्तर पर पड़े हैं. अलमारी खुली हुई है. आज सब्जी में ज्यादा नमक डाल दिया था. मन किया फेंक दूं.’’

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