कोरोना ने सबकी जिंदगी को बदल कर रख दिया है. किसी को फाइनेंसियली , किसी को सोशलली , किसी को पोलिटिकली किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है. बात अगर युवाओं की करें तो कोरोना ने उन्हें घर बैठा दिया है. लाखों युवाओं की नौकरियां गई हैं, जिसके चलते वे घर पर बैठने पर मजबूर हो गए हैं. यहां पर जब हम घर की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब मां बाप का घर है.
क्योंकि जो युवा पहले अपनी आजाद और मौजमस्ती वाली जिंदगी जीने के लिए मां बाप से दूर किराए के कमरे में रहते थे, या फिर पी जी में रहते थे या फिर दोस्तों के साथ फ्लैट शेयर करके रहते थे अब उन्हें मजबूरन नौकरी व पौकेट मनी कम हो जाने के चलते अपने पेरेंट्स के घर में शिफ्ट होना पड़ रहा है. और मां बाप के घर में शिफ्ट होने का मतलब अब उन्हें अपनी तरह की जिंदगी जीने पर पाबंदियां लगने लगी हैं. जाहिर सी बात है कि जब आप अपने पेरेंट्स के घर में रहते हो तो उनके ही तौर तरीके , उनके ही नियम कानून, उनके ही रहने के सरीको को फोलो करना पड़ता है. क्योंकि अब आप ये नहीं कह सकते कि मेरा कमरा है, मेरी आजादी है, मेरे पैसे हैं , मैं चाहे जैसे खर्च करुँ , मेरा रूम है मैं इसे जैसे मर्जी यूज़ करुं , मेरा फ्लैट है मैं जब चाहे तब आऊं , ये करने की आजादी आपकी खत्म हो जाती है. क्योंकि अगर आपको मां बाप के पास रहना है तो सुबह उठने से लेकर रात का टाईमटेबल आपको सेट करना होगा, खाने पीने की आदते बदलनी पड़ेगी.
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