घर गृहस्थी की समस्याओं में उलझ कर आमतौर पर पतिपत्नी का प्रेमी एवं प्रेयसी रूप खोने लगता है. जहां कभी एक हुए 2 तन के अनुरागित मन में उत्साह, उमंग, प्यार, मनुहार, मानसम्मान का सागर पलपल एकदूसरे के लिए उमड़ता था उसी में संदेह, वहम एवं शंकाओं के झोंके आने लगते हैं.
एकदूसरे के दोषारोपण में सारे इंद्रधनुषी सपने बदरंग हो जाते हैं. शक जैसी घातक बीमारी का इलाज किसी डाक्टर के पास भी नहीं. यह एक मनोवैज्ञानिक व्याधि है, जो घरगृहस्थी को तबाह कर देती है.
यह एक ऐसी बीमारी है, जो जीवन में अशांति ला कर आएदिन न जाने कितने परिवारों को बरबाद कर देती है.
इस लाइलाज बीमारी के परिणाम से सभी वाकिफ होते हैं, फिर भी जानबूझ कर इस की चपेट में आ कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेते हैं.
दोनों के बीच प्यार और विश्वास हमेशा बना रहे यह कोशिश दोनों ओर से होनी चाहिए. एकदूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास की धारा में संगसंग बहना, एकदूसरे की भावनाओं का मानसम्मान करना ही सुखी वैवाहिक जीवन की सच्ची कुंजी है. इस की सफलता दोनों की दूरदर्शिता पर निर्भर करती है अन्यथा आज के अवसाद एवं समस्याओं से भरे जीवन को नर्क बनते देर नहीं लगती है.
एक दूसरे की शक्ति
विवाह कुदरत का सब से खूबसूरत, पावन बंधन है, जिसे ताजिंदगी बनाए रखना दोनों का कर्तव्य है. पति घर की छत है, तो पत्नी उस की नींव. पत्नी विश्वसनीय सहचरी, सहगामिनी एवं सच्ची अर्द्धांगिनी होती है न कि पुरुष समाज द्वारा दिए दोयम दर्जे की नौकरानी. दोनों ही एकदूसरे की शक्ति हैं. शक के आधार पर पतिपत्नी के रिश्ते टूटते हैं, तो बच्चों का जीवन भी टूट कर बिखर जाता है. पति या पत्नी किसी को यह अधिकर नहीं है कि अपने ही नन्हेमुन्नों का जीवन बरबाद करें.