बच्चों में हर चीज के बारे में जानने को लेकर उत्सुकता बनी रहती है. ऐसे में वे हर छोटी से छोटी चीज को लेकर अपने माता-पिता से सवाल पूछते हैं. ये सवाल कई बार पैरेंट्स को परेशान भी कर देते हैं और वे या तो सवाल को अनदेखा कर देते हैं या फिर बच्चे पर गुस्सा होते हैं जोकि गलत है.
क्यू शाला के को-फाउंडर रवि का कहना है कि 3 साल की उम्र तक के बच्चे हर दिन कम से कम 73 सवाल पूछते हैं. जैसे-जैसे समय बीतता है और वे युवा उम्र में प्रवेश करते हैं, और अगर उनके सवालों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिलते, तो यह जिज्ञासा उम्र के साथ खत्म हो जाती है.
जिज्ञासा को पूरा करना क्यों महत्वपूर्ण है?
इस बारे में रवि कहते हैं कि जिज्ञासा एक्स्प्लोर करने और सवालों के जवाब ढूंढने के लिए प्रेरित करती है. जिज्ञासा रचनात्मक समाधानों के लिए बेहद जरूरी आधार बन चुकी है, खासतौर से आज के लगातार बदलते समय में यह दुनिया की मांग और आवश्यकता दोनों बन चुकी है. यह एक बच्चे की अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने के लिए प्रेरित करती है, जिन्हें वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लागू कर सकते हैं ताकि वे कुछ ऐसे समाधान पा सकें जिनके बारे में उन्होंने पहले नहीं सुना था। सीधे शब्दों में कहें, तो यह रचनात्मक सोच, कल्पना और कुल मिलाकर एक बच्चे के समग्र विकास का पहला कदम है.
इस बारे में क्यू शाला के को फाउंडर राघव चक्रवर्ती, का कहना है कि वास्तव में इस आग को जीवित रखना काफी चुनौतीपूर्ण है। क्विज़ सेशन, बहस और चर्चा (वर्तमान में सभी ऑनलाइन हैं) जैसे प्लेटफॉर्म्स बच्चों को न केवल उनकी अभिव्यक्ति की ताकत को बढ़ाकर ज्ञान का निर्माण करने में मदद करते हैं, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण है कि इनसे बच्चों में निहित जिज्ञासा का भी पोषण होता है. उनमें गहराई से जिज्ञासा विकसित करने और उसे चमकाने के साथ-साथ परीक्षाओं को पास करने के लिए, नियमित पाठ्यपुस्तक विधि को अपनाना भी एक प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए. इस समय के दौरान जिज्ञासा का पोषण करना एक कठिन काम हो सकता है, लेकिन यह बच्चे के संपूर्ण विकास और बाद में जीवन की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसके तीन बुनियादी तरीके हैं पहला प्रश्नों को प्रोत्साहित करना, दूसरा सवालों के जवाब देना और तीसरा ज्यादा से ज्यादा सवालों के जवाब देकर बच्चे के साथ खोज की गहराई पर जाना.
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