‘‘बेचारी को देखो, 35 साल की हो गई है और अभी तक सिंगल है.’’
‘‘देखने में तो खूबसूरत है, बड़ी अफसर भी है, फिर भी पता नहीं क्यों अभी तक शादी नहीं हुई?’’
अपनी सोसाइटी में जैसे ही सोमा घुसी ये बातें उस के कानों में पड़ीं. हालांकि इस तरह की बातें उस के लिए नई नहीं थीं. वह इस तरह की बातें सुनने की आदी हो चुकी थी, फिर भी कभीकभी उसे ये बातें चुभ जाती थीं. आखिर क्यों लोग उस की जिंदगी में दखल देते हैं? क्यों नहीं उसे चैन से रहने देते? उस की हर गतिविधि को गौर से देखा जाता है. मानो सिंगल होना कोई बड़ा अपराध है. उस ने अपनी मरजी से यह लाइफ चुनी है तो इस में समाज को क्यों परेशानी होती है? वह तो खूब ऐंजौय करती है अपनी लाइफ.
अपनी दीदी की शादीशुदा जिंदगी की त्रासदी देखने के बाद ही सोमा ने अकेले रहने का फैसला लिया था. कितने प्रतिबंध हैं उस पर. कोई भी काम वह अपने पति की आज्ञा लिए बिना नहीं कर पाती है. सोमा ने पैनी नजरों से रीना को देखा. बेचारी तो ये हैं जो 35 साल में ही 60 साल की लगने लगी हैं.
सोमा जैसी सिंगल विमन की आज कमी नहीं है, क्योंकि वे अपनी मरजी से शादी न करने का फैसला ले रही हैं. वे अपनी तरह से जिंदगी जीना चाहती हैं. फिर अगर किसी वजह से शादी न भी हुई तो भी अकेले रह कर खुशी से जीवन बिताया जा सकता है. बस जीने के तरीके आने चाहिए.