पतिपत्नी के शारीरिक संबंध जहां दांपत्य जीवन में प्रेम संबंध के मजबूत स्तंभ माने जाते है वहीं विवाहेतर पर स्त्री या पर पुरुष शारीरिक संबंध कई प्रकार की समस्याओं और अपराधों का कारण भी बनते हैं.

2011 का एनआरआई निरंजनी पिल्ले का उस के पति सुमीत हांडा द्वारा कत्ल का केस पुराना है. अपनी पत्नी को अपने बिस्तर पर मित्र कहलाने वाले पर पुरुष को साथ वासनात्मक शारीरिक संबंध की स्थिति में देखना सुमीत के लिए सदमा तो था ही, बरदाश्त से बाहर भी था. जलन, क्रोध और धोखे के एहसास ने उस के हाथों पत्नी की हत्या करवा दी.

नोएडा के निवासी मिश्रा को अपनी पत्नी पर संदेह था कि उस के पर पुरुष से संबंध हैं. मिश्रा ने पुष्टि करना भी आवश्यक नहीं समझ कि उस का संदेह केवल संदेह या वास्तविकता. संदेह के आधार पर ही मिश्रा ने पत्नी का कत्ल कर दिया.

एक मां के विवाहेतर शारीरिक संबंधों का पता उस के 20 वर्षीय बेटे को चल गया. उस ने जब इन संबंधों पर ऐतराज किया, तो मां ने अपने संबंध बरकरार रखने के लिए अपने ही बेटे की सुपारी दे कर मरवा दिया. यहां विवाहेतर संबंधों की वासना पर ममता की बलि चढ़ गई.

समस्या से उपजा असंतोष

ऐसे संबंधों से जुड़े इस प्रकार के कितने ही अपराध आए दिन सुनने को मिलते हैं. कत्ल के अतिरिक्त कारण से कितने ही तलाक और सैपरेशन के केस भी हो जाते हैं, जिन की गिनती ही नहीं. कितने परिवार ऐसे भी हैं जो सामाजिक सम्मान अथवा बच्चों के कारण मुखौटा लगाए जीए जा रहे हैं परंतु इस समस्या से उपजा असंतोष उन्हें भीतर ही भीतर खाए जा रहा है.

यदि हम अपनेअपने दायरे में अवलोकन करें तो कितने ही दंपतियों में यह समस्या दिखती है. भावना का पति तो भंवरा है. न जाने उस में वासना की इतनी भूख है या उच्छृंखलताकी अति है कि उस के एक नहीं कई लड़कियों से संबंध हैं. एक समय पर वह 1 से अधिक लड़कियों से संबंध बनाने को भी उत्सुक रहता है. भावना ने विरोध भी बहुत किया और बरदाश्त भी. अंतत: वही हुआ जिस के आसार बहुत पहले से दिख रहे थे. अपने मन की शांति पाने और अपने बच्चों को स्वस्थ वातावरण देने हेतु भावना पति से अलग हो गई.

सूरज की पत्नी ने न चाहते हुए भी सूरज के पर स्त्री संबंध स्वीकार किए. सूरज ने साफ  कह दिया कि वह दूसरी स्त्री से संबंध नहीं तोड़ेगा. पत्नी चाहे तो साथ रहे चाहे तो अलग हो जाए. वह किसी हाल में सूरज से अलग होना नहीं चाहती थी. इस मजबूर स्वीकृति से मन ने कितनी पीड़ा बरदाश की होगी.

टूटते हैं परिवार

भावना और सूरज के अतिरिक्त भी अन्य बहुत से उदाहरण हैं. यदि सब का वर्णन किया जाए तो ग्रंथ के ग्रंथ तैयार हो जाएंगे. प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जब विवाह के रूप में शारीरिक संबंधों को सामाजिक मान्यता प्राप्त हो जाती है तो कभी पुरुष और कभी स्त्री क्यों विवाह से बाहर छिपछिपा कर संतुष्टि या तृप्ति ढूंढ़ते हैं?  सभी जानते हैं कि विवाहेतर संबंधों की कोई सामाजिक मान्यता नहीं है और उजागर हो जाने पर सुखी परिवार का सारा सुखसम्मान नष्ट हो जाता है.

मधुर दांपत्य संबंधों मं कटुता आ जाती है. इस सब जानकारी के होते हुए भी आए दिन इस तरह के संबंध बनते रहते हैं. इन संबंधों के कारण अनेक परिवार टूटते हैं, अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं और अनेक अपराध जन्म लेते हैं.

विचार करें तो अनेक कारण ऐसे हो सकते हैं जिन की वजह से विवाहेतर संबंध बनते हैं. इन में कुछ कारण तो ऐसे हैं जिन्हें बेहद खोखला कहा जा सकता है. जैसे- उच्छृंखलता, विलासिता, अहम आदि. ये ऐसे कारण हैं जिन्हें किसी भी प्रकार की कसौटी पर परखें, नैतिकता से गिरे हुए ही कहलाएंगे.

सम्मान खोने का भय

इस श्रेणी के स्त्री या पुरुष समाज में चरित्रहीन कहलाते हैं. ऐसे लोग न तो समाज में सम्मान योग्य माने जाते हैं और न ही परिवार में. इस श्रेणी के अधिकतर लोग बेशर्म होते हैं. ऐसे लोग या तो सबकुछ खुल्लमखुल्ला करते हैं या फिर जो अपने संबंध छिपा पाने में सक्षम होते हैं उन्हें उन के खुल जाने का कोई भय नहीं होता. उच्छृंखलता और विलासिता उन की प्राथमिकता होती है. इस के लिए चाहे कितना भी अपमान क्यों न झेलना पड़े. संस्कारहीनता, शिक्षा का अभाव, नैतिकता का अभाव, गलत माहौल, गलत संगीसाथी, गलत दृष्टिकोण ऐसे कारणों की नींव होते हैं.

इन के अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी होते हैं जिन्हें इन खोखले कारणों से अलग रख कर देखा जा सकता है. जैसे असंतुष्टि, अलगाव, विवश्ता, ब्लैकमेलिंग, भावनात्मक लगाव, आकर्षण, असंयम आदि.

शारीरिक क्षुधा की चाहत

वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के पारस्परिक शारीरिक संबंध विवाह का आवश्यक अंग होते हैं. ये संबंध पति और पत्नी दोनों की ही आवश्यकता होते हैं, परंतु कभीकभी पति पत्नी ये या पत्नी पति से अथवा दोनों एकदूसरे से इस रिश्ते में असंतुष्ट रहते हैं. यह असंतुष्टि दूसरे साथी में शारीरिक संबंधों के प्रति इच्छा के अभाव से भी उपजती है और किसी एक साथी में अत्यधिक अर्थात सामान्य से कहीं अधिक शारीरिक क्षुधा से भी. नैतिकता की दृष्टि से न चाहते हुए भी दोनों या कोई एक साथी शारीरिक क्षुधा की संतुष्टि हेतु विवाहेतर संबंध बना लेता है.

कई संबंधों में भावनात्मक अलगाव भी विवाहेतर संबंधों का कारण बन जाते हैं. कई बार घर वालों के दबाव के कारण या किसी प्रकार के लालच के कारण विवाह तो हो जाता है, परंतु पतिपत्नी में भावनात्मक स्तर पर प्रेम संबंध नहीं बन पाते. इस का कारण दोनों में बौद्धिक स्तर की भिन्नता, दृष्टिकोण की भिन्नता, आपसी समझ का अभाव या आर्थिक स्तर और लाइफस्टाइल में अत्यधिक अंतर आदि कुछ भी हो सकता है. एकदूसरे के प्रति अलगाव और अरुचि अकसर उन की दिशाएं बदल देती हैं.

भावनात्मक या शारीरिक आकर्षण

भावनात्मक अलगाव की भांति भावनात्मक लगाव भी अकसर विवाहेतर संबंधों का कारण बन जाता है. विवाहपूर्व के प्रेमीप्रेमिका जब अन्यत्र विवाह हो जाने के बाद भी एकदूसरे को भूल नहीं पाते तो चाहेअनचाहे उन का भावनात्मक लगाव उन्हें एकदूसरे के करीब ले आता है. ये नजदीकियां धीरेधीरे उन्हें इतना नजदीक ले आती हैं कि वे सामाजिक सीमाएं भूल कर एकदूसरे में खो जाते हैं.

कई बार पति या पत्नी का पर स्त्री या पर पुरुष पर मुग्ध और आकर्षित हो जाना भी विवाहेतर संबंधों का सूत्रपात कर देता है. एकतरफा आकर्षण भी कभीकभी सामने वाले को चुंबक की भांति आकर्षित कर लेता है और आकर्षण यदि दोतरफा हो तो परिणाम अकसर ऐसे संबंधों में परिवर्तित हो जाता है. अब आकर्षण का कारण शारीरिक सौंदर्य, प्रभावशाली व्यक्तित्व, वाकचातुर्य, आर्थिक स्तर अथवा उच्चपद आदि कुछ भी हो सकता है.

इन कारणों के अतिरिक्त भी विवाहेतर संबंधों के कई कारण होते है. जैसे कहीं बौस ने पदोन्नति का लालच दे कर या रिपोर्ट बिगाड़ने की धमकी दे कर किसी को विवश किया, तो कभी बास को प्रसन्न करने हेतु किसी ने अपनी इच्छा से स्वयं को परोस दिया. किसीकिसी को आर्थिक विवशता के कारण इच्छा के विरुद्ध भी यह अनैतिक कार्य करने को बाध्य होना पड़ता है.

कभीकभी परिस्थितियां और हालात 2 प्रेमियों या 2 लोगों को ऐसी स्थिति में डाल देते हैं कि उन्हें न चाहते हुए भी एकांत में परस्पर एकसाथ समय बिताना पड़ जाता है. ऐसे में एकांत वातावरण में कभीकभी कुछ लोग असंयम का शिकार हो जाते हैं और उन के विवाहेतर संबध बन जाते हैं.

विवाहेतर संबंध बनाते समय यह ध्यान रखें कि संबंध होने के बाद पति या पत्नी से संबंध तोड़ना आसान नहीं है. फरवरी, 2022 में केरल हाई कोर्ट ने एक मामले में डाइवोर्स ग्रांट करा क्योंकि पति के मना करने पर भी वह प्रेमी को फोन करती थी पर यह विवाद शुरू हुआ 2012 में. 10 साल बाद तलाक दिया, पत्नी ने हैरेसमैंट का केस 2012 में दायर किया था.

कारण और परिस्थितियां कुछ भी हों, ऐसे संबंधों के बन जाने और उन के खुलने के परिणाम अकसर विध्वंसक ही होते हैं. परिवारों का टूटना, सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन, बच्चों की दृष्टि में मातापिता का सम्मान गिरना, बच्चों के लिए समाज में अपमानजनक स्थितियां उत्पन्न होना, विवाहेतर संबंधों से उत्पन्न बच्चों की उलझनें, संपत्ति व जायदाद के लिए झगड़ा, अलगाव, तनाव, मनमुटाव, सैपरेशन, तलाक, कत्ल आदि अनेक समस्याएं पगपग पर कांटे बन कर चुभने लगती हैं. सब से अधिक झेलना पड़ता है टूटे या तनावग्रस्त परिवारों के बच्चों को.

परिणाम विध्वंसक होते हैं

यद्यपि आज के युग में सामाजिक मान्यताएं बहुत बदल गई हैं, फिर भी जब गर्मजोशी का बुखार उतरता है तो व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो या स्त्री स्वयं को अकेला ही पाता है. 2 नावों का सवार डूबता ही है. लिव इन रिलेशनशिप में कोई वादा या वचन नहीं होता फिर भी धोखा चोट देता है, फिर विवाह तो नाम ही सुरक्षा और विश्वास का है. अत: स्वयं से विवाह को ईमानदारी से निभाने का वादा करते हुए ही इस बंधन में बंधें. खुले जमाने का अर्थ विवाहेतर संबंध नहीं अपितु संबंध जोड़ने से पहले खुल कर अपने होने वाले साथी से चर्चा करें और एकदूसरे से अपनी आशाएं तथा कमजोरियां न छिपाएं और दोनों साथी एकदूसरे को भलीभांति परख लें कि दोनों एकदूसरे के लिए उचित हैं या नहीं. इस प्रकार समस्या का अंत भले ही संभव न हो परंतु समस्या में कमी तो अवश्य संभव है.

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