आमतौर पर लड़कों की परवरिश इस तरह होती है कि घर के काम में वे हाथ नहीं बंटाते. शुरूशुरू के 2-3 साल तक कई पति किचन में थोड़ाबहुत सहयोग देते भी हैं, लेकिन धीरेधीरे टिपिकल पति के रूप में बदल जाते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि पत्नी खुद घर और किचन के कामों में पति से सहयोग ले. वह शुरू से ही पति को किचन और अन्य कामों में ट्रैंड करे ताकि आने वाले समय में तनाव कम हो और प्यार बरकरार रहे. यह कड़वी सचाई है कि किचन और घर के कामों के बोझ तले दबी पत्नी की झल्लाहट और पति की आरामतलबी व बैठेबैठे कामों में मीनमेख निकालने की आदत कब उन के प्रेम और अपनेपन के बीच दीवार बन कर खड़ी हो जाती है, पता ही नहीं चलता.
जब आशियाना पतिपत्नी दोनों का होता है तो उसे संभालने की जिम्मेदारी भी दोनों की होनी चाहिए. यह मत सोचिए कि आप को हैरानपरेशान देख कर पति खुद घर के कामों में हाथ बंटाना शुरू कर देगा. ऐसा 5-10% मामलों में हो सकता है. पति के सहयोग से ही अपनी गृहस्थी की शुरुआत करें. सुबह की शुरुआत साथसाथ
स्नेहा प्राइवेट बैंक में जौब करती थी. वह भी पति वरुण के साथ 9 बजे घर से निकल जाती थी. सुबह उठ कर दोनों पास के पार्क में जौगिंग के लिए जाते. वहां से आ कर वरुण पेपर पढ़ने बैठ जाता. स्नेहा किचन में जाती. ग्रीन टी या नीबू पानी बनाती और कई बार काम निबटाने के चक्कर में वह खुद पीना भूल जाती. उस के बाद वरुण आराम से औफिस की तैयारी करता. स्नेहा लंच तैयार कर पैक करती और फिर जल्दीजल्दी किसी तरह तैयार हो कर औफिस निकलती. नाश्ता वह कभीकभार ही कर पाती. इसी कारण वह शारीरिक रूप से कमजोर होती जा रही थी. थकी होने की वजह से औफिस के काम भी मुस्तैदी से नहीं कर पाती.