जब पारिवारिक रिश्तों की डोर टूट जाती है तो एक और रिश्ता हमारे जीवन में काफी महत्त्व रखता है और वह है दोस्ती का, जो विश्वास, सहयोग पर टिका होता है. दोस्त राजदार भी होते हैं और सुखदुख के साथी भी. ऐसे में जो लोग शादी के बारे में नहीं सोचते, वे दोस्ती की छाया और सुरक्षा में रह सकते हैं.

केरल की बास्केटबौल खिलाड़ी गीता वी मेनन और प्लेबैक सिंगर सोनी साई उन सभी लोगों के लिए आदर्श हैं, जिन्हें जिंदगी में अकेलेपन की समस्या है. गीता और सोनी का रिश्ता सभी परिभाषाओं से परे है. आज के जीवन में जहां शादी, तलाक और निराशाएं आम बात है, वहां यह दोस्ती एक बहुत अच्छा उदाहरण है.

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन में एक सच्चा दोस्त होना बहुत जरूरी है. एक ऐसा दोस्त जिस से आप अपना दुखदर्द बांट कर मन के बोझ को हलका कर सकें.

दोस्ती की यों तो कई कहानियां हैं, पर यहां हम आप को ऐसी कहानी बताते हैं जो औरों से जुदा है:

पहली मुलाकात

वे पहली बार अचानक बारिश में मिली थीं. उन्हें खुद ही इस बात का पता नहीं था कि उस दिन एक छाते के नीचे 2 अजनबियों के बीच एक अनोखी दोस्ती की शुरुआत हो चुकी थी.

गायिका सोनी साई अपने बेटे के साथ उस की बास्केटबौल की प्रैक्टिस पर आई थीं.

गीता बास्केटबौल खिलाड़ी और प्रशिक्षक हैं. वे इतनी तेज बारिश में इन के लिए छाता ले कर आईं और कहा, ‘‘आओ.’’

इस एक शब्द से ही इन की दोस्ती की शुरुआत हुई.

एकदूसरे का भरपूर साथ

जब गीता और सोनी मिलीं, तब दोनों ही अपने अकेलेपन से भरी जिंदगी के उतारचढ़ाव से गुजर रही थीं. दोनों एकदूसरे का सहारा बन सकती हैं, यह सोच धीरेधीरे इन के बीच पैदा होने लगी और यह सच भी हुआ. आज ये दोनों एलमकारा में एक ही घर में रहती हैं. सोनी गीता के साथ तब खड़ी रहीं जब गीता बास्केटबौल में उभरते खिलाडि़यों के लिए एक अकादमी खोलने की सोच रही थीं. सोनी ने खुद ही इस अकादमी को खोलने का सुझाव दिया था. पेगासस नाम से खुली यह अकादमी मुप्पाथदम गवर्नमैंट हायर सैकेंडरी स्कूल में काम करती है. यह जगह विशेष रूप से इसी अकादमी के लिए मिनिस्टर इब्राहिम कुंजू द्वारा सुनिश्चित की गई है.

5 से 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों को यहां ट्रेनिंग दी जाती है. सोनी पेगासस के मैनेजर के रूप में यहां की हर छोटीबड़ी चीज पर निगरानी रखती हैं. बहुत से बच्चे जो यहां ट्रेनिंग लेने आते हैं वे थोड़े गरीब परिवारों से होते हैं, तो ऐसे में उन्हें कम शुल्क में बास्केटबौल की ट्रेनिंग दी जाती है. हालांकि यह अकादमी वित्तीय संकट से जूझ रही है.

गीता का कहना है कि वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेंगी. एफएसीटी के सभी साथी खिलाडि़यों ने उन का पूरापूरा साथ दिया.

गीता कहती हैं, ‘‘सोनी ने खुद इस अकादमी को खोलने का सुझाव दिया. जब यह अकादमी शुरू हुई, तो सोनी हर समय मेरे साथ खड़ी रहीं और मुझे सहारा दिया. जब गीता मेरे साथ रिकौर्डिंग के समय स्टूडियो में होती हैं, तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है. जब मैं मलयालम फिल्म ‘जलेसिया’ में गाना गा रही थी तब गीता भी मेरे साथ ही थीं. वे डाइरैक्टर जिन्होंने हमारी दोस्ती की गहराई को समझा, उन्होंने गाने के पूर्वाभ्यास के सभी चित्रों में गीता को भी शामिल किया.’’

ये दोनों ही अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करती हैं, पर जब ये दोनों साथ होती हैं तब इन के व्यवसाय का ग्राफ और भी ऊपर हो जाता है. अकेली महिलाओं को भी जीने का हक है, उन्हें भी व्यवसाय की आवश्यकता है.

जब एफएसीटी की टीम ने बास्केटबौल में राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारे खिताब जीते तो इस का सब से अधिक श्रेय गीता वी मेनन को दिया गया. पिछले 10 वर्षों से एफएसीटी की महिलाएं सभी मुख्य टूरनामैंट्स जैसे फैडरेशन कप आदि में अपना परचम लहरा रही हैं. गीता ने तब भी इसी खेल को चुना जब उन की बहुत सी सखियां इस राह को छोड़ कर अपने परिवारों की तरफ जाने लगी थीं पर गीता के जेहन में हमेशा से ही सिटी की आवाज और खेल का जज्बा जिंदा रहा. एक ऐसी महत्त्वाकांक्षा जिस ने गीता को इस खेल में बने रहने की शक्ति दी. जिंदगी की कठिन समस्याओं में भी डट कर खड़े रहने की महत्त्वाकांक्षा ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया.

गीता की उपलब्धियां

गीता ने खेल की दुनिया में 2013 में आयोजित वेटेरंस स्पोर्ट्स में अपनी वापसी की. यह एक ऐसे सैनिक की वापसी थी, जिस पर उम्र का कोई प्रभाव नहीं हुआ. उन्होंने लौंग जंप और राष्ट्रीय स्तर पर 4,100 मीटर रिले रेस में गोल्ड मैडल जीता,

2014 में जापान में आयोजित एशियाई मास्टर्स ऐथलैटिक्स खेलों में उन्होंने सिल्वर मैडल जीता.

जापान से लौटने पर एफएसीटी ने उन का जोरदार स्वागत किया. अगस्त 2015 में पैरिस में हुई वर्ल्ड मास्टर्स ऐथलैटिक्स मीट में वे अपने सब से पसंदीदा 2 खेलों में 5वें स्थान पर रहीं. जब वे इन खेलों की तैयारी करने में इतना खतरा उठाती थीं और खूब पैसा भी लगाती थीं तो केवल जीत ही उन के दिमाग में होती थी. यह टूटे दिल पर एक मरहम की तरह काम करता था.

सोनी साई के अंदर की गायिका को पहचान की जरूरत अवश्य है पर जो गीत उन्होंने गाए हैं उन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है. उन के सभी गाने बहुत मशहूर हैं. साई ऐसी कलाकार हैं जिन्हें खुद का प्रचार करना बिलकुल नहीं आता. वे लाइट म्यूजिक में और स्कूल में राज्य स्तर पर 1998 में मिमिक्री के लिए पहला स्थान जीत चुकी हैं. उन्होंने 4000 से भी अधिक स्टेज प्रोग्रामों में गाने गाए हैं. सोनी हरिहरन, यसुदास, एमजी श्रीकुमार, ब्रह्मानंदन, वेणुगोपाल, जयचंद्रन आदि मशहूर गायकों के साथ प्लेबैक सिंगिंग कर चुकी हैं.

सोनी साई ने पहला गाना 13 वर्ष की उम्र में ‘सुधावासम’ मूवी के लिए गाया. इस के बाद यशुदास के साथ ‘अधीना’ मूवी के लिए गाया. इस के बाद ‘कनल कन्नडी’, ‘भारथन’, ‘धीरा’, ‘बांबे मार्च 12’ व ‘निद्रा’ में गाने गाए. प्रसिद्ध गायक सोनू निगम के साथ ‘चक्कारा माविन कोमबाथु…’ भी गाया.

उन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले जैसे कामुकरा फाउंडेशन अवार्ड (1998), सार्क अवार्ड (1999), बैस्ट सिंगर अवार्ड, राघवन मास्टर ट्रिब्यूट (2014), अरबन डेवलपमैंट कौंसिल द्वारा रोल मौडल सिंगर का खिताब (2015) और केरला अचीवमैंट फोरम जैसे खिताबों से इन्हें नवाजा जा चुका है, इन्होंने यूके, यूएसए, यूएई और पूरे भारत में बहुत शोज किए.

– एम.के. गी  

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