अंजू गुप्ता

उम्र तो ढलक जाती कब की हमारी, तेरी दोस्ती ने इसे जवां रक्खा है.

कड़ी मेहनत के बाद जीवन में किसी खास के लिये सबकुछ अर्पण कर देना सच्ची दोस्ती है. सच्ची दोस्ती दो या दो से अधिक लोगों के बीच सच्चा रिश्ता है. जहां बिना किसी मांग के भरोसा बना रहता है. दोस्त हमेशा परवाह, सहायता और दूसरी जरुरी चीजें देने के लिये सच्ची मित्रता में तैयार रहता है. मित्र सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि प्यार, देखभाल और भावनात्मक सहायता किसी जरुरतमंद इंसान को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. दोस्ती लोगों के बीच में बिना किसी भी उम्र, वर्ग, लिंग, पद, नस्ल या जाति के हो सकती है. हालांकि, आमतौर पर मित्रता हम उम्र के बीच होती है.

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कुछ लोग सफलतापूर्वक अपने बचपन की दोस्ती को पूरे जीवनभर लेकर चलते हैं जबकि कुछ गलतफहमी, समय की कमी या दूसरे कारणों से बीच में ही समाप्त कर देते हैं. कुछ लोगों के पास उनके किंडरगार्डेन या प्राइमरी स्तर में बहुत सारे दोस्त रहते हैं लेकिन कोई एक या शायद कोई भी इसे बाद के जीवन में आगे नहीं बढ़ाता है. कुछ लोगों के पास केवल एक या दो मित्र होते हैं जिन्हें वो बाद के अपने बुढ़ापे के दिनों में भी बहुत अच्छे से आगे लेकर चलते हैं. दोस्त परिवार के बाहर या घर का भी कोई सदस्य (पारिवारिक सदस्यों में से कोई एक) हो सकता है (पड़ोसी, रिश्तेदार आदि).

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मित्र अच्छे-बुरे दोनों प्रकार के हो सकते हैं, अच्छे दोस्त अच्छे रास्ते पर ले जाते हैं जबकि बुरा मित्र गलत राह पर ले जाता है, इसलिये हमें जीवन में दोस्त चुनते समय सावधान रहना चाहिये. बुरे दोस्त हमारे लिये बहुत बुरे साबित हो सकते हैं क्योंकि वो हमारे जीवन को पूरी तरह बरबाद करने के लिये काफी होते हैं. हमें अपनी भावनाओं (खुशी और दुख) को बांटने के लिये जीवन में कोई खास होना चाहिये, किसी से बात करने के लिये अपना अकेलापन मिटाने के लिये, किसी को दुख से निकालने के लिये हंसाने वाला हो आदि. अपने दोस्तों के अच्छे साथ में जीवन में हम कोई भी कठिन कार्य करने के लिये प्रेरित होते हैं और खुशी से बुरे समय से निकलना आसान हो जाता है.

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