आभा यादव (दिल्ली)
अक्सर लोगों की चाहत होती है कि उन्हें सच्चा दोस्त मिलें. अगर आपको अपना अज़ीज़ दोस्त मिल जाए जिसके साथ आप अपना सुख-दुःख बांट सकें, तो आपको खुद एक सच्चा दोस्त बनने की जरूरत है. तभी ये रिश्ता निभ सकता है.क्योंकि दोस्ती के मज़बूत बंधन रातों-रात नहीं बन जाते. दोस्ती वो है जिसे हम ख़ुद चुनते हैं, जो हर रिश्ते से सच्ची होती है. आखिरकार, दोस्त जान-पहचान वालों से बढ़कर जो होते हैं.
दोस्त वह होता है जिसके साथ जज़्बाती तौर पर आपका गहरा लगाव होता है. दोस्ती का नज़दीकी रिश्ता कायम करने और उसे बनाए रखने में मेहनत लगती है. कई बार दोस्ती का मतलब होता है, अपने आराम से बढ़कर अपने दोस्त की ज़रूरत की फिक्र करना. जिगरी दोस्त उन्हें कहते हैं, जो आपस में न सिर्फ खुशियां बल्कि अपने गम भी बांटते हैं. ज़रूरत के वक्त, अपने दोस्त को जज़्बाती तौर पर मदद देने के साथ-साथ उसे सही सलाह देकर आप दिखाते की आप कितने अच्छे दोस्त है.
एक प्यार भरी वफादार दोस्ती से बढ़ कर कुछ भी मन को खुशी नहीं दे सकता. इस रिश्ते में मन की बात बांटने में डर नही लगता, हम सबको उस दोस्ती की जरूरत होती है जो हमारे दुख को दूर कर देती है जिसकी सलाह मददगार होती है जिसे देखते ही हम खिल उठते हैं. क्योंकि दोस्तों के साथ के साथ बिताए पल अनमोल यादें दे जाती हैं. उनके साथ रहने पर वक़्त और दर्द दोनों का पता ही नहीं चलता. दोस्ती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन एक सच्ची दोस्ती में कुछ ऐसी बात और आदतें होती हैं, जो बहुत प्यारी होती हैं.