विनीता राहुरीकर

जितना खूबसूरत शब्द है उतना ही खूबसूरत अहसास भी है. सच तो यही है कि दोस्ती को शब्दों में बांधना बहुत मुश्किल है. दोस्ती तो एक आत्मीय अहसास है जिसे बस जिया जा सकता है और हम तो इसे पिछले 27 सालों से हर लम्हा, हर पल जीते आ रहे हैं.

कच्ची उम्र की पक्की दोस्ती अक्सर बढ़ती उम्र में दुनियादारी के झमेलों में खो जाती है लेकिन हम वो खुशनसीब हैं जिनकी जिंदगी में वो मोड़ कभी आया ही नहीं कि दोस्ती खो जाए. तभी तो कॉलेज के बाद भी हम तीनों भोपाल में ही रहे और आज तक यहीं हैं, साथ-साथ.

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अब तो हमारी दोस्ती एक शब्द, एक रिश्ते से कहीं बढ़कर है. एक साथ, एक विश्वास की जीवन में जब भी कभी अँधेरा होने को होगा तो कोई है जो राह रौशन कर देगा, जब कदम थकने लगेंगे कोई है जो आकर हाथ थाम लेगा. रातरानी की सुगंध है या भोर का उजास, जो भी है जीवन में बहुत गहरे तक जुड़ा हुआ है.

जीवन की खुशियां तुम हो, मस्ती तुम हो, जिसके सामने मन बेझिझक पूरा खोलकर रखा जा सकता है वो अपनापन भी तुम्ही हो. एक बहुत ही पारदर्शी, मन के बेहद करीब, कभी लगा ही नहीं कि हम अलग-अलग है. हम तो तीन जिस्म एक जान हैं और हमेशा रहेंगे. बहुत सारा प्यार, हम सबके लिए. लव यू दोस्तों. विनीता-उपासना-वंदना.

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