वो कहते हैं न कोई भी चीज अति की भली नहीं होती. फिर चाहे आदत अच्छी हो या बुरी. ऐसी ही एक अच्छी आदत है माफी मांगना. जो किसी भी शख्स के अच्छे व्यक्तिव की निशानी होती है. पर क्या आपको मालूम है कि एक जमात ऐसी भी है जो यूं ही माफी मांग लेती हैं फिर, चाहे जरूरत हो या फिर न हो? अगर नहीं तो जान लीजिए. वो है आधी आबादी. शोध भी इस बात की पुष्टी करते हैं कि महिलाएं ज्यादा माफी मांगती हैं. इसका यह मतलब नहीं कि पुरुष माफी नहीं मांगते. शोध में पाया गया है कि महिलाएं और पुरुष समान माफी मांगते हैं  लेकिन, महिलाएं कई बार तब भी माफी मांग लेती हैं जब उनकी गलती न हो. इसके पीछे कारण महिलाओं और पुरुषों के व्यक्तित्व का अंतर कहा जा सकता है.

ज्यादा भावनात्मक होती हैं महिलाएं

ऐसा नहीं है कि पुरुषों में भाव नहीं होते लेकिन यह भी उतना ही सही है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा भाव प्रधान होती है. अपने इसी स्वभाव के चलते वह कई बार गलती न होने के बावजूद भी माफी मांग लेती हैं. महिलाएं कई बार माफी सिर्फ इस वजह से मांग लेती है कि कहीं उनकी कही बात किसी का दिल न दुखा दे. अक्सर देखा गया है कि वह अपने भावों की गम्भीरता को व्यक्त करने के लिए भी माफी का सहारा लेती हैं. जैसे कि किसी सामान के कम पड़ जाने वो कह देती हैं कि माफ कीजिएगा यह इतना ही बचा था. इस परिस्थिति में वह माफी मांगकर सिर्फ और सिर्फ अपने भाव व्यक्त कर रही है. जबकि सामान की कमी परिस्थितजन्य है.

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