बेबी की मसाज करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें. अध्ययनों से पता चला है कि मसाज करने से बच्चा सहज हो जाता है, उस का रोना कम हो जाता है और वह चैन की नींद सोता है. इतना ही नहीं कब्ज और पेट दर्द की शिकायत भी मसाज से दूर हो जाती है. इस से बच्चे में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी पैदा होती है.

बेबी मसाज से पहले कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:

1 महीने की उम्र से बच्चे की मालिश शुरू की जा सकती है. इस उम्र में बच्चा स्पर्श के लिए बेहतर प्रतिक्रिया देता है.

जब बच्चे को मसाज करवाना अच्छा लगे, तभी उस की मालिश करें. हथेली में थोड़ा तेल ले कर इसे बच्चे के पेट पर और कानों के पीछे रगड़ें. इस के बाद बच्चे का व्यवहार देखें. अगर वह रोता है या परेशान होता है, तो समझ जाएं कि यह मसाज करने का सही समय नहीं है. यदि आप महसूस कर रही हैं कि उसे मसाज अच्छी लग रही है, तो आप मसाज कर सकती हैं.

ऐसे करें मसाज

सिर्फ मसाज करना ही काफी नहीं होता, बच्चे को मसाज तभी अच्छी लगेगी, जब इस का तरीका सही हो. जानिए, मसाज के तरीके को:

टांगों की मालिश करें: मसाज की शुरुआत बच्चे की टांगों से करें. हथेली पर तेल की कुछ बूंदें ले कर बच्चे के तलवों से शुरुआत करें. अपने अंगूठे की मदद से उस की एड़ी से उंगलियों की तरफ बढ़ें. धीरेधीरे अंगूठे को गोलगोल घुमाते हुए दोनों तलवों पर मसाज करें.

अब एक टांग को उठाएं और हलके हाथ से टखने से कूल्हे की ओर मालिश करें. अगर बच्चा रिलैक्स और शांत है तो दोनों टांगों की मसाज एकसाथ करें.

हाथों और बाजुओं की मालिश: टांगों के बाद बाजुओं की मालिश उसी तरह करनी चाहिए जैसे आप ने टांगों की मसाज की.

कंधों की मसाज: बाएं और दाएं कंधे से छाती की ओर हाथ चलाते हुए मालिश करें. आप हाथों को पीछे से कंधे की ओर भी ले जा सकती हैं. इस के बाद दोनों हाथों को छाती के बीच में रखें और बाहर की तरफ मसाज करें.

अब स्टर्नम के निचले हिस्से, छाती की हड्डी से बाहर की ओर मसाज करें. इस दौरान आप के स्ट्रोक ऐसे हों जैसे आप हार्ट की शेप बना रही हैं.

पेट की मालिश: छाती के बाद पेट की मालिश करनी चाहिए. ध्यान रखें कि बच्चे के शरीर का यह हिस्सा बहुत नाजुक होता है, इसलिए आप को दबाव बहुत कम रखना चाहिए. पेट के ऊपरी हिस्से से शुरुआत करें. अपनी हथेली को छाती की हड्डी के नीचे रखें और पेट पर नाभि के चारों ओर गोलगोल घुमाते हुए मसाज करें. इस दौरान हाथों का दबाव बहुत हलका होना चाहिए.

चेहरे और सिर की मालिश: अपनी उंगली को बच्चे के माथे के बीच में रखें और बाहर की ओर मालिश करें. इसी तरह ठुड्डी से ऊपर तथा बाहर की ओर उंगलियों को गोलगोल घुमाते हुए मालिश करें. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं.

चेहरे के बाद सिर की मालिश ठीक उसी तरह करें जैसे शैंपू करते समय उंगलियों को घुमाती हैं. उंगलियों के छोरों से हलका दबाव डालें. बच्चे की खोपड़ी बहुत नाजुक होती है, इसलिए दबाव बहुत ज्यादा न हो.

पीठ की मालिश: बच्चे को पेट के बल लिटा दें. इस दौरान उस के हाथ आप की तरफ हों. पीठ के ऊपरी हिस्से पर उंगलियां रखें और घड़ी की सुई की दिशा में हलके हाथों से घुमाते हुए नितंबों तक आएं.

अपनी पहली 2 उंगलियों को रीढ़ की तरफ रख कर नितंबों तक आएं. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं. उंगलियों को रीढ़ की हड्डी पर न रखें. इस के बजाय साइड में रख कर नीचे की तरफ मसाज करें.

कंधे की मसाज करने के लिए हाथों को कंधों पर गोलगोल घुमाएं. हलके हाथों से पीठ के निचले हिस्से और नितंबों की मालिश भी करें. इसी स्ट्रोक के साथ मसाज खत्म करें.

मसाज के लिए एक समय रखें. इस से बच्चे की दिनचर्या बन जाएगी और वह मालिश के दौरान ज्यादा सहज रहेगा.

– डा. आशु साहनी जेपी हौस्पिटल, नोएडा

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