विभा सूरज के प्यार में पागल थी. दोनों करीब 2 साल से रिलेशनशिप में थे जबकि विभा की मां को सूरज पसंद नहीं था. उन्होंने विभा को कई बार समझाया था कि सूरज का साथ छोड़ दे. मगर विभा हमेशा मां की बात इग्नोर कर देती. इधर सूरज विभा को अपने हिसाब से चलाता. विभा को क्या पहनना चाहिए, किस से दोस्ती करनी चाहिए, कैसे रहना चाहिए जैसी बातों का भी हिसाब वही रखता. विभा प्यार में थी इसलिए उस की हर बात विभा को अच्छी लगती. इतना ही नहीं बाहर जब भी खाने का प्रोग्राम बनता तो किसी न किसी बहाने से वह विभा के रुपए ही खर्च कराता. विभा जौब करती थी और उस के पास रुपयों की कमी नहीं थी. सो वह इन बातों की चिंता नहीं करती थी. उसे बस सूरज का साथ चाहिए होता था.

इस बीच एक दिन सूरज ने यह कह कर विभा से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए कि उसे यह रकम किसी जरूरी काम के लिए अर्जेंटली चाहिए. विभा ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और रुपए दे दिए. उस के दोचार दिन बाद से ही सूरज ने विभा से मिलना कम कर दिया और फिर बिल्कुल ही गायब हो गया. विभा उस का फोन ट्राई करती तो कभी नौट रीचेबल और कभी स्विच ऑफ बताता. विभा समझ ही नहीं पा रही थी कि सूरज के साथ क्या हो गया. उसे डर लग रहा था कि कहीं वह किसी अनहोनी का शिकार तो नहीं हो गया. सूरज ने उसे बता रखा था कि वह किस कंपनी में और किस पद पर काम करता है. विभा सूरज के बताए उस एड्रेस पर पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई भी शख्स वहां काम नहीं करता. विभा को समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. सूरज उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता था.

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