मुझे आज से अधिक सुंदर वह कभी न लगी. उस की कुछ भारी काया जो पहले मुझे स्थूल नजर आती थी आज बेहद सुडौल दिखाई दे रही है. बालों का वह बेतरतीब जूड़ा जिस की उलझी लटें अकसर उस के गालों पर ढुलक कर मेरे झल्लाने की वजह बनती थीं आज उन्हें हौले से सुलझाने को जी चाह रहा था. उस का वह सादा लिबास जिस को मैं कभी फूहड़, गंवार की संज्ञा दिया करता था आज सलीकेदार लग रहा था.

मैं अचंभित था अपनी ही सोच पर क्योंकि मेरे दो बच्चों की मां, मेरी वह पत्नी आज मुझे बेहद हसीन लग रही थी. भले ही आप को यह अतिश्योक्ति लगे पर मुझे कहने से गुरेज नहीं कि वह मुझे किसी कवि की कल्पना की खूबसूरत नायिका सी आकर्षक प्रतीत हो रही थी जिस का रूपसौंदर्य बड़ेबड़े ऋषिमुनियों की तपस्या को भंग करने की ताकत रखता था. आज उसे प्रेम करने की अभिलाषा ने मेरे अंतरमन को हुलसा दिया था.

ऐसा नहीं था कि पत्नी के प्रति विचारों ने पहली बार मेरे दिल पर दस्तक दी थी. 12 वर्ष पूर्व जब छरहरी सुंदर देहयष्टि वाली नंदिनी मेरी संगिनी बनी थी तो मैं अपनी किस्मत पर फूला न समाया था. कजिन की शादी में होने वाली भाभी की सांवलीसलोनी बहन के कमर तक लहराते केशों को देखते ही मैं अपनी सुधबुध खो बैठा था और स्वयं ही मां के हाथों उस के घर विवाह प्रस्ताव भिजवा दिया था.

जिंदगी की गाड़ी बड़ी खुशीखुशी चल रही थी कि दोनों बच्चों के जन्म के बाद उस की प्राथमिकताएं जैसे बदलने लगीं. मेरी बजाय अब वह बच्चों को काफी वक्त देने लगी. अपनी ओर से बेपरवाह हो कर अकसर वह घर के कामों में लगी रहती. धीरेधीरे उस के शरीर में आते परिवर्तन ने भी उस के प्रति मेरी विरक्ति को बढ़ा दिया.

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