यह बात वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुकी है, जिसके जितने दोस्त होंगे, वह उतना ही खुश और हेल्दी रहेगा.पर वर्तमान समय में दोस्तों की अहमियत कितनी है ये आज सोशल मीडिया के युग में जन्में बच्चे कहां समझ पाएंगे. क्योंकि आज के युग में सोशल मीडिया ने दोस्ती के दायरे को काफी तेजी से बढ़ाया है.कल तक गली मोहल्ले में होने वाली दोस्ती आज सात समंदर पार तक फैल गई है.नब्बे के दशक में जब व्यक्ति को अपने दोस्त की याद आती थी, तो घर जाकर हाल चाल ले लिया करते थे. उस समय की दोस्ती का मतलब था दोस्त के लिए ही जीना मरना.कई बार तो बुरी परिस्थितियों में जब हमारे अपने साथ छोड़ देते थे तब ये दोस्त ही होते थे, जो दोस्ती की खातिर कुछ भी कर गुजर जाते थे. पर आज के मौर्डन समय में जब हमारे पास वीडियो काल की सुविधा है, तब आपके हालचाल कितने मित्र लेते हैं. कभी आपने ये सोचा है?

गुम होती दोस्ती

आज के दौर में भले ही सोशल मीडिया में आपकी दोस्तों की लिस्ट में हजारों फ्रैंड्स हों पर असल जिंदगी में कितने आपके साथ हैं? ये जानना बेहद ज़रूरी है. सोशल मीडिया के जरिए हम चाहें कितनी भी दोस्तों की भीड़ जुटा लें, पर दुख—तकलीफ में वह खड़े दिखाई नहीं देते हैं? हजारों की संख्या में दोस्त होते हुए भी इंसान अकेलापन महसूस करता है. क्योंकि खुशी हो या गम लोग सोशल मीडिया पर संदेश लिखकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं. इस सोशल मीडिया की दोस्ती का परिणाम यह होता है कि हम बदले में ऐसे दोस्तों को खो देते हैं, जो हर कदम पर हमारे साथ रहते हैं.

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