पति के औफिस से घर आते ही नेहा बहुत ही उत्सुकता से उसे अपने दिनभर की बातें बताने लगती.वहीं उसका पति चुपचाप सब सुनता रहता. धीरेधीरे नेहा की उत्सुकता और जोश भी ठंडा हो गया. वह अपने पति का ये रवैया समझ नहीं पा रही थी. उसे लगने लगा कि उसका पति उसे पसंद नहीं करता. लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो. दरअसल, नेहा का ​पति स्वभाव से चुप रहने वाला है. वह बहुत ही कम बोलता है. इसका मतलब ये नहीं है कि वह गुस्सा है या उससे प्यार नहीं करता. आइए जानते हैं क्या है साइलेंट पर्सनैलिटी-

क्या है साइलैंट पर्सनैलिटी

हर किसी की पर्सनैलिटी अलग होती है.कोई खुलकर बात करता है तो कोई चुप रहकर ही अपनी भावनाओं का एहसास करवाता है.लेकिन जब बात पार्टनरशिप यानी शादी की आती है तो चुप रहना कभीकभी अजीब स्थिति पैदा कर सकता है.अगर आपके पति अक्सर चुप रहते हैं तो स्थिति और भी विकट हो जाती है.पति का चुप रहना पत्नी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.कई बार पत्नी अपने आपको अलगथलग महसूस करने लगती है. नए माहौल में एडजस्ट करना उसके लिए और भी मुश्किल हो जाता है.अगर आपके पति भी अक्सर चुप रहते हैं या बहुत कम बोलते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

रिश्ता खराब कर सकती है चुप्पी

दरअसल, चुप रहने का मतलब सिर्फ कम बातें करना ही नहीं है.बल्कि ऐसे लोगों की भावनाओं को समझना भी काफी मुश्किल होता है.पति की चुप्पी को अक्सर पत्नी उदासीनता समझ लेती है.यह उसके लिए बहुत ही दुखी करने वाला एहसास होता है.कभी-कभी ये चुप्पी आपके रिश्ते को भी खराब कर सकती है.

चुप्पी के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण

आपने देखा होगा कि चुप रहने का स्वभाव महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक होता है.इसका बहुत बड़ा कारण है हमारी सामाजिक कंडीशनिंग.भारत में खासतौर पर बच्चे को बचपन से ही अपनी भावनाएं दबाना सिखाया जाता है.आपने भी अक्सर सुना होगा, लड़के रोते नहीं हैं…, लड़के ऐसी बातें नहीं करते…, तुम लड़के हो क्या बात-बात पर इमोशनल होते हो…ये बातें बहुत ही आम हैं.लेकिन ये रूढ़िवादी सोच बच्चों को अपनी भावनाएं दबाना सिखा देती हैं.ऐसे में बच्चे बचपन से ही चुप रहना सीख जाते हैं.उन्हें लगता है कि अगर वे अपनी भावनाएं किसी को बताएंगे तो उसकी बेइज्जती होगी.यही उनके जीने का तरीका बन जाता है.कई शोध भी इस बात को स्वीकारते हैं कि कुछ पुरुष अपने विचारों और भावनाओं को बताने के लिए शब्द ही नहीं खोज पाते हैं और चुप रहने लगते हैं.इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि वे किसी से प्यार नहीं करते.

ऐसे तोड़ें चुप्पी की दीवार

अगर आपके हसबैंड भी अक्सर चुप रहते हैं और अपनी भावनाएं बता नहीं पाते तो कुछ तरीके आपके काम आ सकते हैं.

1. बनाएं अपना संसार

मान लिया कि आपके पति चुप रहते हैं, लेकिन आप उन्हें बातें करने के लिए प्रोत्साहित करें.सबसे बेहतर है कि आप अपने पार्टनर को ऐसा माहौल दें जहां वो दिल खोलकर अपनी बातें आपसे कर सके.इस जगह पर उन्हें​ झिझक महसूस न हो.एक ऐसी जगह जहां उन्हें ये डर न हो कि कोई उन्हें सुनेगा तो क्या कहेगा.

2 . बिना बोले समझें बातें

सच्चा साथी वो है जो बिना बोले अपने पार्टनर की बात समझ जाए.अगर आपका पार्टनर चुप रहता है तो भी आप उनके चेहरे और हावभाव से उसकी फीलिंग्स समझने का प्रयास करें.उनके हर काम की सराहना करें.जिससे उनमें कौन्फिडेंस आएगा. धीरेधीरे ही सही वो आपसे बातें करने लगेंगा.

3. चमत्कार की उम्मीद न करें

बचपन से जो बातें बच्चों को बताई या सिखाई जाती हैं वो उनमें गहराई तक समाहित हो जाती हैं.दिल के किसी कोने में सालों से जमी इन जड़ों को हिलाने में समय लग सकता है.ऐसे में आप चमत्कार की उम्मीद न करें.धैर्य के साथ आप अपनी कोशिशे जारी रखें.एक न एक दिन आपके प्यार की जीत जरूर होगी.

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