फिल्म ‘जब वी मैट’ में दिखाया गया है कि जब नायिका का बौयफ्रैंड उसे धोखा देता है, तब वह तनाव में आ जाती है. एकदम चुपचाप रहने लगती है. तब फिल्म का नायक शाहिद कपूर उसे तनावमुक्त होने का एक रास्ता बताता है. वह यह कि वह उस इंसान को जिस ने उसे दर्द दिया, उसे फोन कर के जीभर के गालियां दे कर, कोस कर अपने मन की भड़ास निकाले. उस ने वैसा ही किया तो उस के मन की सारी भड़ास निकल गई.
अपनी फ्रैंड की बर्थडे पार्टी में गई सोनल की महंगी ड्रैस पर जब किसी से गलती से जूस गिर गया, तब गुस्से में सोनल के मुंह से उस इंसान के लिए अपशब्द निकल गए. लेकिन बाद में फिर उस ने उस बात के लिए माफी भी मांग ली.
हमारे साथ भी ऐसा ही होता है. किसी इंसान की गलत बात, व्यवहार से या फिर उस के कारण अपना नुकसान हो जाने पर हम भड़क जाते हैं और फिर हमारे मुंह से अपशब्द निकल ही जाते हैं, जैसे ‘बेवकूफ कहीं का, दिखता नहीं है क्या?’ ‘एक नंबर का घटिया इंसान है तू,’ ‘गधा कहीं का, बकवास मत कर’ जैसे अपशब्द बोल कर हम अपने मन की भड़ास निकाल लेते हैं, जो सही भी है, क्योंकि कुछ न बोल कर टैंशन में रहना, मन ही मन कुढ़ते रहने से अच्छा रिएक्ट कर देना है.
खुद को भी कोसें
भड़ास निकाल देने से मन का गुबार बाहर निकल जाता है. किसी के बुरे व्यवहार के कारण जलते-कुढ़ते रहने से हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. कभी खुद की गलती पर भी हमें गुस्सा आ जाता है. तब भी खुद को कोस लेना अच्छा रहता है. गलती चाहे किसी की भी हो, उसे 2-4 अपशब्द कह दें, तो मन हलका हो जाता है. लेकिन अपने कहे शब्दों का मन में अपराधबोध न रखें, क्योंकि आप ने तो सिर्फ अपनी भड़ास निकाली है और अगर यह भड़ास दबी रह जाए, तो सिरदर्द, माइग्रेन, बीपी और न जाने किनकिन बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.