मेरी सहेली कंचन के घर में अकसर पंचायत होती है जिस में उस के घर का छोटे से बड़ा हर सदस्य भाग लेता है. मुद्दा चाहे पड़ोसी का हो या किसी रिश्तेदार का, किसी परिचित के बेटे के किसी लड़की के साथ भाग जाने का हो या घर की आर्थिक स्थिति का.

विनोद ने औफिस से आ कर जैसे ही अपने घर की घंटी बजाई, पास में खेल रहा पड़ोसी मिश्राजी का 8 वर्षीय सोनू आ कर बोला, ‘‘अंकल, आप आंटी के साथ झगड़ा क्यों करते हो? आप को पता है, बेचारी आंटी ने आज सुबह से खाना भी नहीं खाया है.’’ इतने छोटे बच्चे के मुंह से यह सब सुन कर विनोद सन्न रह गया. आज सुबह पत्नी रीना से हुए उस के झगड़े के बारे में सोनू को कैसे पता? वह समझ गया कि पत्नी रीना ने झगड़े की बात पड़ोसिन अनुभा को बताई होगी जिसे सुन कर उन का बेटा सोनू उन से प्रश्न कर रहा था.

‘‘पता है, रैना आंटी की यह तीसरी शादी है और सामने वाली स्नेहा दी का किसी से अफेयर चल रहा है. वे रोज उस से मिलने भी जाती हैं,’’ 10 वर्षीय मनु अपनी पड़ोस की आंटी को दूसरे पड़ोसी के घर के बारे में यह सब बड़ी सहजता से बता रही थी.

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‘‘मेरी दादी ने मेरी मम्मी को कल बहुत डांटा, बाद में मम्मी नाराज हो कर फोन पर मौसी से कह रही थीं कि बुढि़या पता नहीं कब तक मेरी छाती पर मूंग दलेगी,’’ 9 वर्षीय मोनू अपने दोस्त से कह रहा था.

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