सभी अभिभावक चाहते हैं कि उन के बच्चे को कोई तकलीफ न हो, कोई संघर्ष न करना पड़े. किंतु अपनी जिंदगी तो सभी को खुद ही जीनी होती है. क्या यह संभव है कि हमारे हिस्से के कष्ट हमारे मातापिता झेलें या फिर अपने बच्चों की मुसीबतों का सामना हम करें? पढि़ए, सुनिए और पहचानने की कोशिश कीजिए कि आप पेरैंटिंग की किस श्रेणी में आते हैं:
स्नो प्लाओ पेरैंट
अपने बच्चे के रास्ते से सारी बाधाएं दूर करते हैं ताकि बच्चे को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और वह निरंतर प्रगति करता जाए. ऐसे पेरैंट्स अपने बच्चों की जिंदगी से आसक्त होते हैं.
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इंटैंसिव पेरैंट
अपनी जिंदगी को भूल कर ये अपने बच्चे की जिंदगी में पूर्णरूप से शामिल होना चाहते हैं ताकि बच्चे का समय बिलकुल व्यर्थ न हो और वह अपने जीवन को समृद्ध बना सके, चाहे इस कोशिश में उन का समय और पैसा दोनों व्यर्थ होते रहें.
हैलिकौप्टर पेरैंट
बच्चे की हारजीत की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ले लेते हैं, उस के हर काम में उस के साथ रहते हैं, यहां तक कि उस के स्कूल का काम करना, उस की टीचर से बात करना इत्यादि भी खुद ही करते हैं. ऐसे मातापिता अतिसंरक्षण देने के साथ पूर्णतावादी सोच के होते हैं.
फ्री रेंज पेरैंट
बच्चे को जीवन में पूरी छूट देते हैं, जो निर्णय लेना है, जिस के साथ खेलना है, कहां आनाजाना है आदि. उन की तरफ से कोई रोकटोक नहीं रहती. आजादी के साथ पूरी स्वतंत्रता भी. जैसे जीना है, जियो.
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