स्वाति की नईनई शादी हुई है. वह मेहुल को 5 सालों से जानती है. दोनों ने एकदूसरे को जानासमझा तो दोनों को ही लगा कि वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं. फिर अभिभावकों की मरजी से विवाह करने का निर्णय ले लिया. लेकिन आजाद खयाल की स्वाति ने विवाह से पहले ही मेहुल के सामने अपनी सारी टर्म्स ऐंड कंडीशंस ठीक वैसे ही रखीं जैसे कोई बिजनैस डील करते समय 2 लोग एकदूसरे के सामने रखते हैं. हालांकि ये लिखी नहीं गईं पर बातोंबातों में स्पष्ट कर दी गईं.
आइए, जरा स्वाति की टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर एक नजर डालते हैं:
- शादी के बाद भी मैं वैसे ही रहूंगी जैसे शादी से पहले रहती आई हूं. मसलन, मेरे पढ़ने, पहननेओढ़ने, घूमनेफिरने, जागनेसोने के समय पर कोई पाबंदी नहीं होगी.
- तुम्हारे रिश्तेदारों की आवभगत की जिम्मेदारी मेरी अकेली की नहीं होगी.
- अगर मुझे औफिस से आने में देर हो जाए, तो तुम या तुम्हारे परिवार वाले मुझ से यह सवाल नहीं करेंगे कि देर क्यों हुई?
- मुझ से उम्मीद न करना कि मैं सुबहसुबह उठ कर तुम्हारे लिए पुराने जमाने की बीवी की तरह बैड टी बना कर कहूंगी कि जानू, जाग जाओ सुबह हो गई है.
- मेरे फाइनैंशियल मैटर्स में तुम दखल नहीं दोगे यानी जो मेरा है वह मेरा रहेगा और जो तुम्हारा है वह हमारा हो जाएगा.
- अपने मायके वालों के लिए जैसा मैं पहले से करती आ रही हूं वैसा ही करती रहूंगी. इस पर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. मेरे और अपने रिश्तेदारों को तुम बराबर का महत्त्व दोगे.
स्वाति की इन टर्म्स ऐंड कंडीशंस से आप भी समझ गए होंगे कि आज की युवती विवाह के बाद भी पंछी बन कर मस्त गगन में उड़ना चाहती है. पहले की विवाहित महिला की तरह वह मसालों से सनी, सिर पर पल्लू लिए सास का हुक्म बजाती, देवरननद की देखभाल करती बेचारी बन कर नहीं रहना चाहती. दरअसल, आज की युवती पढ़ीलिखी, आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर है. वह हर स्थिति का सामना करने में सक्षम है. अपने किसी भी काम के लिए पति या ससुराल के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं है. इसीलिए वह विवाह के बाद भी अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती.