दिल्ली के एक एम एन सी ऑफिस में काम करने वाली सुष्मिता का पूरा घर उसकी मेड नीरू संभालती है, उसके खाने से लेकर सोने और उठने का तक हिसाब किताब रखती है नीरू, पर इसी नीरू की दूसरे घरों की महिलाएँ शिकायत करते हुए मिलेंगी, उन्हें न नीरू का काम पसंद आता है, न बोलचाल और न ही उसका व्यवहार. अक्सर यह देखने में आता ही है कि एक ही मेड के हर घर में अलग अलग रूप देखने को मिलते हैं. यदि ग़ौर से विचार किया जाये तो कारण स्पष्ट है कि जहां सुष्मिता नीरू को बिल्कुल अपनी छोटी बहन की तरह रखती है हर दिन उसके साथ बैठकर चाय पीते हुए दो चार बातें करती है, कुछ उसकी सुनती है और कुछ अपनी सुनाती है, वक़्त ज़रूरत पैसे देने से भी परहेज़ नहीं करती, बस इसी अपनेपन के कारण नीरू सुष्मिता के घर में मन लगाकर काम करती है वहीं दूसरे घरों में न उसे मान सम्मान मिलता है और न ही समय पर पैसे तो भला ऐसे घरों में मेड भी एकदम प्रोफेशनल की तरह कामचलाऊ काम ही काम करेगी न.
मेरे पड़ोस में रहने वाली मिसेज़ मिश्रा हमेशा मेड्स को लेकर परेशान रहतीं हैं, हर दूसरे दिन पुरानी मेड को हटाकर नई को लगातीं रहतीं हैं, उन्हें कोई भी मेड अपने मनमाफ़िक़ ही नहीं मिलती. क्सी भी मेड के काम से वे कभी संतुष्ट नहीं होतीं. मेड्स के अनुसार मिश्रा आंटी बात कम काम की करतीं हैं और काम हर दिन ज़्यादा करवातीं हैं, काम करने के बाद पैसे बार बार माँगने पर ही,मिलते हैं फिर भला हम क्यों उनके यहाँ काम करें.
आज के समय में जहां अकेले रह रहे युवाओं के लिए या फिर कामकाजी दंपतियों के लिए मेड अर्थात् गृह कार्य में मदद करने वाली सहायिका एक बेहद आवश्यक आवश्यकता है जिसके बिना वे अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते. वहीं होममेकर्स के लिये भी मेड के बिना घर के कार्य पूरे करना संभव नहीं होता. आज अधिकांश मध्यमवर्गीय घरों में झाड़ू, पोंछा, बर्तन से लेकर खाना बनाना, डस्टिंग करने और कपड़े धोने तक के लिए मेड्स होतीं हैं, यही नहीं अधिकांश कामकाजी दंपतियों के यहां पूरे दिन अथवा 24 घंटों के लिए मेड्स होतीं हैं, विचारणीय प्रश्न यह है कि जब मेड्स हमारे लिए इतनी आवश्यक हैं तो फिर उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ क्यों होतीं हैं. हमारी दादी, नानी के समय में मेड्स का चलन पहले तो था ही नहीं और यदि कुछ घरों में होतीं भी थीं तो जाति के कारण उनसे दुर्व्यवहार किया जाता है परन्तु आज तो मेड्स हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं. आजकल मेड्स के साथ जातिगत दुर्व्यवहार तो काफी कम होता है परंतु आज की नई पीढ़ी में धैर्य और विनम्रता का बहुत अभाव है जिसके कारण वे बात बात पर परेशान हो उठातीं हैं दूसरे वे मेड को एक अपने जैसा ही एक इंसान न समझकर सिर्फ़ एक काम करने वाला भावनाहीन इंसान समझतीं हैं. यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो हम काफ़ी हद तक इस समस्या से निजात पा सकते हैं-
1-अस्मिता की मेड नीता मई की दोपहर में बाहर से आकर कूलर की हवा में जैसे ही बैठी अस्मिता बोली,”तुम लोगों को तो गर्मी में रहने की आदत है फिर क्यों इतनी देर से कूलर में बैठी हो.” नीता का मुँह उतर गया और वह बोली,”दीदी कूलर तो हमारे घर में भी है काम करते हैं तो क्या गर्मी नहीं लगेगी” मेड चाहे कोई भी हो उसे भी आप अपने जैसा ही हाड मांस का इंसान समझें जानवर नहीं.
2-अवनी की कुक ४ दिन की छुट्टी पर थी पाँचवे दिन वह थोड़ा जल्दी आ जाये यह बताने के लिए अवनी ने रात के 10 बजे अपनी कुक के पति के फ़ोन पर फ़ोन लगा दिया जब कि उस समय तक मेड का पूरा परिवार सो चुका था. जिस तरह आप अपने किसी मित्र या परिवारिजन को देर रात्रि को फ़ोन लगाने से पहले सोचते हैं उसी प्रकार काम वाले या वाली की निजता का भी ध्यान रखें.
3-मिसेज़ शर्मा के सामने रहने वाली उन्हीं की फ़ास्ट फ़्रेंड सुशीला की मेड 4 दिनों से नहीं आ रही तो उन्होंने अपनी मेड कनक से उनका काम करवा दिया. अब जब भी कनक उनसे अपने काम के पैसे माँगने जाती है तो सुशीला उसे आज कल आज कल कहकर टकरा देती है या फिर आज मेरे पास छुट्टे नहीं हैं कल भैया से ले लेना कह देती है. मेड्स आपकी तरह पैसे वाली तो नहीं होतीं इसलिए उनसे आप जब भी काम करवायें उसी दिन पूरे पैसे दें ताकि वे अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें.
4-“ये देखो कितना गंदा ग्लास तुमने धोया है, जरा भी अक़्ल नहीं है तुम्हारे अंदर.“ गरिमा अपने घर आये मेहमानों के सामने अपनी मेड रजनी को ज़ोर ज़ोर से डाँट रही थी और गरिमा आँखों में आँसू भरे चुपचाप सुन रही थी. जिस तरह हम किसी दूसरे के सामने अपना अपमान नहीं सह पाते उसी तरह आप अपनी मेड को भी दूसरों के सामने डाँटने से बचें यदि कोई कंप्लेन है तो उसे अकेले में ले जाकर समझा दें.
5-अवनी के घर में जब किसी खाद्य पदार्थ को ३ दिन तक कोई नहीं खाता उसके बाद अवनी चौथे दिन वह खाद्य पदार्थ उठाकर अपनी मेड को दे देती है, इसी तरह एक बार जब उसने 4 दिन रखी मिठाई अपनी मेड को दी तो मेड ने मना कर दिया इससे अवनी बुरी तरह भड़क गई,”नक़्शे तो ऐसे दिखा रही हो जैसे अपने घर में तुम रोज़ मिठाई खाती हो.” इस तरह रखी हुई या एक्सपायर्ड खाद्य पदार्थ देने से बचें क्योंकि ऐसी खाद्य वस्तु को खाकर वह और उसके परिवार वाले भी बीमार पड़ सकते हैं.
6-नमिता की मेड के घर में शादी थी जिसके चलते उसने 4 दिन की छुट्टी माँगी, छुट्टी की बात सुनते ही नमिता भड़क गई, “पता नहीं सारे ज़माने की शादियों में तो तुम लोगों को जाना रहता है, मेरे ऑफिस में ऑडिट है कौन काम करेगा. मैं तो परेशान हो गई हूं तुम लोगों से. 4 दिन बाद भी तुझे आने की कोई ज़रूरत नहीं है मैं दूसरी लगा लूँगी." शादी ब्याह, हारी बीमारी हमारी ही तरह मेड्स को भी होती है, यह ध्यान रखने के साथ साथ एकदम से काम से हटाने से भी बचें, हाँ यदि आप हटाना ही चाहतीं हैं तो कम से कम 1 महीने का समय अवश्य दें.
7-रोशनी जब भी अपने यहाँ काम करने वाले वर्कर्स को कोई कपड़ा या वस्तु देती हैं तो उसे साफ़ करके और प्रेस कराकर ही देती है, साथ ही यह भी कह देती है कि यदि काम आये तो ले लेना अन्यथा किसी ज़रूरतमंद को दे देना.
8-अबीरा होली, दीवाली दशहरा पर मिठाई के साथ साथ अपनी मेड्स को कोई बर्तन या कपड़ा तो देती है परंतु वह अक्सर उसके घर में पहले से रखा होता है या फिर एकाध बार प्रयोग किया होता है. कई बार तो वह उसकी मेड के लिए भी अनुपयोगी होता है इसकी अपेक्षा आप मेड को या तो पैसे दे दें या फिर उससे पूछकर उसकी आवश्यकता की वस्तु ले आयें.
9-नताशा के यहां जब भी कोई किटी पार्टी या फ़ंशन होता है वह अपनी मेड को हेल्प करने के लिए रोक लेती है उसकी मेड भी ख़ुशी ख़ुशी रुक जाती है क्यूँकि प्रोग्राम समाप्त होने के बाद नताशा उसे अपनी कार से घर ड्राप ही नहीं करवाती बल्कि उसके परिवार के सदस्यों के लिए भरपूर खाना भी देती है.
10-नीहारिका अपनी मेड की एनीवर्सरी, बर्थडे, आदि पर या तो कोई अच्छा सा गिफ्ट देती है या फिर उसे कुछ पैसे देती है ताकि वह अपनी पसंद का कुछ ले सके. जिस तरह हम अपने इष्ट मित्रों की ख़ुशी को उपहार देकर सेलिब्रेट करते हैं उसकी हक़दार तो हमारी मेड भी है जो हमारे रोज़ के अनेकों काम निबटाती है.
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