कल रिया के घर उस की बर्थडे पार्टी में उस समय सभी का मूड खराब हो गया जब रिया की अपनी मां से बहस हो गई. बात यह थी कि रिया का अपनी सहेलियों के साथ कहीं घूमने का प्लान था. जब पार्टी के बाद वह उन के साथ जाने लगी तो मां उसे डांटते हुए बोलीं कि आजकल वह सहेलियों के साथ कुछ ज्यादा ही घूमनेफिरने लगी है. इस पर वह लगाम लगाए. आए दिन उस के देर से घर लौटने को ले कर भी वे नाराज रहतीं.
बस फिर क्या था. रिया भी मां पर बरस पड़ी, ‘‘बड़े भैया दोस्तों के साथ कितनी पार्टियों में जाते हैं. उन्हें तो आप कुछ नहीं कहतीं. अगर वे रात को किसी फ्रैंड के घर रुक भी जाते हैं, तो भी आप और पापा बुरा नहीं मानते. फिर मेरे ऊपर ही इतने प्रतिबंध क्यों? मेरा जो मन चाहेगा करूंगी,’’ कह वह सैंडल पटकती हुई सहेलियों के साथ चली गई.
इस घटना में मांबेटी का व्यवहार एकदूसरे के प्रति नकारात्मक है. मां का डांटना बेटी को रास नहीं आ रहा. उस की प्रतिक्रिया आक्रामक सी होती दिख रही है. एक मां को अपनी बेटी से बहुत आशाएं होती हैं और बेटी भी मां से स्नेह चाहती है. मांबेटी का रिश्ता इतना करीबी है कि इस की तुलना सखियों के प्रेम से की जाती है. किंतु कभीकभी गलत व्यवहार के कारण इस रिश्ते में खटास आ जाती है और फिर मतभेद बढ़ते ही जाते हैं.
कुछ मां की मानें, कुछ अपनी मनवाएं
‘मां से बढ़ कर अपने बच्चों का हितैषी कोई और नहीं होता’ यदि इस बात को हर बेटी एक जुमला न समझे और हकीकत में उन्हें अपना शुभचिंतक मान उन का कहा न टाले तो इस रिश्ते में दरार आने की संभावना समाप्त हो जाएगी. वह मां की कही बातें ध्यान से सुने और उन पर अमल भी करे. यदि कुछ बातें सही नहीं लग रही हों, तो मां के सामने अपना पक्ष रख कर अपनी बात उन तक पहुंचाए जैसे यदि मां कहती हैं कि बेटी बाहर देर तक न रहे और समय से घर आ जाए, तो इस बात को मानने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
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