ऋतु जिस की शादी तय हुए अभी 1 महीना ही हुआ था लेकिन फिर भी वह अंदर से खुश नहीं थी, क्योंकि उस के अनियमित पीरियड्स उसे परेशान जो किए हुए थे. वह अपना हाल किसी से बयां नहीं कर पा रही थी. वह अपने पति से भी मन से बात नहीं करती थी. एक दिन जब उस के पति ने उस की उदासी का कारण पूछा तो उस ने पूरा हाल सुना दिया. इस पर उस ने बिना देरी किए डाक्टर की सलाह ली.

आज दोनों हैप्पी मैरिड लाइफ बिता रहे हैं. ऐसा किसी के साथ भी न हो इसलिए प्रीमैरिटल और मैरिटल काउंसलिंग से संकोच न करें. आइए जानते हैं कोलकाता के पीजी हौस्पिटल के एक्स रेसिडेंट गायनाकोलौजिस्ट प्रोफेसर डा. एमएल चौधरी से कि क्यों जरूरी है प्रीमैरिटल व मैरिटल काउंसलिंग.

प्रीमैरिटल काउंसलिंग

1. भविष्य के लिए तैयार करे

किसी भी रिश्ते की नीव प्यार व विश्वास पर टिकी होती है और यह सब रिश्ते में तभी आ पाता है जब हम एकदूसरे को अच्छे से समझें. इस के लिए जरूरत है पहले से उन सब चीजों पर प्रकाश डालने की जो अकसर वैवाहिक जीवन में आती है. ऐसे में काउंसलिंग के जरिए चीजों की समझ विकसित की जाती है, जिस से सोचने का नजरिया बदलने से जिंदगी आसान लगने लगती है.

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2. कम समय में बेहतर पल बिताने का मौका

प्यारे के रिश्ते में जब तक प्यार भरी बातें न हो तब तक रिश्ता स्ट्रौंग नहीं बन पाता. लेकिन पतिपत्नी दोनों के वर्किंग होने के कारण आज उन के पास एकदूसरे के साथ समय बिताने का समय नहीं होता, जिस से दूरियां बढ़ती हैं. ऐसे में काउंसलिंग से हम कम समय में कैसे क्वालिटी टाइम स्पेंड करें सीख पाते हैं.

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