घर में छोटे बच्चे की किलकारियां सुनने की लालसा लिए डाक्टर के कमरे के सामने कुछ लोग प्रतीक्षा कर रहे थे. बच्चे को लाड़प्यार करने का मोह इन सभी दंपतियों के मन में था. यह दृश्य था केरल के डा. एस. सबाइन के क्लीनिक के सामने का, जहां हनीमून मनाने वालों से ले कर 50 साल से ऊपर की आयु वाले लोग भी आते हैं. अपनी बारी का इंतजार करते वक्त टीवी चैनल पर खबर आ रही थी, ‘58 साल की एक महिला ने एक बेटे को जन्म दिया...’ कोचीन स्थित मुवाट्टुपुझा में सैंट जार्ज अस्पताल के इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ डा. एस. सबाइन की चिकित्सा की सफलता मानी गई थी यह अद्भुत घटना. क्लीनिक में इंतजार करने वालों के चेहरों पर अनोखी खुशी झलक रही थी. उन्हें उम्मीद थी कि कल उन के सपने भी पूरे हो सकेंगे. 58 वर्ष की सिसली के जरिए डा. एस. सबाइन यही साबित करना चाहते हैं कि मां बनने में उम्र कोई बाधा नहीं डालती.

केरल के ही इडुक्की जिले के एक किसान परिवार की सिसली 2 बेटों की मां थी. बड़ा बेटा मस्तिष्क रोग के कारण चल बसा. लाड़प्यार से पाला गया दूसरा बेटा भी दिसंबर, 2008 में तोम्मनकुट्टु जलप्रपात की दुर्घटना में मारा गया. दोनों बेटों को खो चुकी इस मां की स्थिति बहुत दयनीय थी. उस मां का मन बच्चे के लिए तरसने लगा. इसी दौरान सिसली और जार्ज इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ डा. एस. सबाइन के पास मुवाट्टुपुझा पहुंचे. जनवरी, 2009 में सिसली की चिकित्सा शुरू की गई. रजोनिवृत्ति हो जाने के कारण स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना सिसली के लिए असंभव था, ऊपर से शारीरिक परेशानियां अलग से थीं. लेकिन बच्चे को पाने के लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार थी. डा. सबाइन ने कृत्रिम गर्भाधान करने की विधि अपनाई. अंडाणु और वीर्य को एक टैस्ट ट्यूब में निषेचित कर भ्रूण के रूप में विकसित कर 3 दिन के बाद इसे गर्भाशय में स्थापित कर दिया. इस विधि को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन नाम से जाना जाता है.

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