अक्सर एक महिला की जिंदगी की शुरुआत एक आज्ञाकारी, संस्कारी और प्यारी सी बेटी के रूप में होती है, जिस के कंधों पर जहां एक तरफ परिवार की इज्जत बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है तो वहीं दूसरी तरफ घर वालों की उम्मीदों पर खरा उतरने का दायित्व भी होता है. उस से यह अपेक्षा की जाती है कि वह मांबाप का कहा माने और कुछ ऐसा न करे कि कोई ऊंचनीच हो जाए.

कुछ घरों में बेटी को आगे बढ़ने का मौका दिया जाता है तो कुछ घरों में नहीं. जहां मौका दिया जाता है वहां वह कैरियर की बुलंदियां भी छूती है. शादी के बाद वह ससुराल पहुंचती है जहां का माहौल उस के लिए बिलकुल अजनबी होता है. नया परिवेश, नए लोग और नई अपेक्षाओं के बीच वह अपना वजूद कहीं भूल सी जाती है. यदि पति उदार है तो पत्नी को आगे बढ़ने का मौका देता है.

वैसे खुद स्त्री की पहली प्राथमिकता हमेशा से घरपरिवार रही है खासकर मां बनने के बाद उस की जिंदगी पूरी तरह अपने बच्चे के आसपास घूमने लगती है. बेटी और पत्नी से शुरू हुआ सफर मां पर आ कर खत्म हो जाता है और खुद की पहचान बनाने की चाह अंदर ही अंदर कसमसाती रहती है. कभी समाज आगे नहीं बढ़ने देता तो कभी वह खुद ही हिम्मत नहीं जुटा पाती.

खुद बनाएं पहचान

महिलाओं को यह बात समझनी चाहिए कि मां बनने का मतलब यह नहीं कि उन का कैरियर खत्म हो गया. मां बनने के बाद भी वे अपनी सुविधानुसार काम कर सकती हैं और अपनी पहचान बना सकती हैं.

आज ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने मां बनने के बाद अपने कैरियर को नया रूप दिया और घर संभालने के साथसाथ अपनी अलग पहचान भी बनाई. उन की लगन देख कर ससुराल वालों ने भी उन का पूरा साथ दिया.

2 नन्हेनन्हे बच्चों की मां दीक्षा मिश्रा भी  इस का अच्छा उदाहरण है, जो एक ऐंटरप्रेन्योर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के तौर पर जानी जाती है.

बेहद आकर्षक और स्लिम फिगर वाली दीक्षा मिश्रा को देख कर यह यकीन करना कठिन होगा कि वह 2 बच्चों की मां है. दीक्षा ने अपने कैरियर की शुरुआत मीडिया पीआर प्रोफैशनल के रूप में की. वह मार्केटिंग और कौरपोरेट कम्युनिकेशन हैड के रूप में कई सालों तक बड़ेबड़े लग्जरी लाइफस्टाइल और हौस्पिटैलिटी ब्रैंड के साथ काम करती रही.

ये भी पढ़ें- Mother’s Day Special: बेटों को भी कराएं ससुराल की तैयारी

शादी के करीब 3 साल बाद तक दीक्षा मिश्रा ने काम किया. फिर 2 बेटों के होने के बाद उन्होंने काम को नया रूप देने और एक ऐंटरप्रेन्योर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के तौर पर फ्रीलांस काम करने का फैसला लिया.

दीक्षा कहती है, ‘‘मेरा एक बेटा 1 साल का और दूसरा 3 साल का है. ऐसे में फुलटाइम 9 से 9 बजे तक की जौब संभव नहीं थी, जबकि फ्रीलांसिंग के रूप में मैं अपने हिसाब से काम कर सकती हूं. इसलिए मैं ने इस औप्शन को चुना और घर से ही काम करने लगी.

‘‘मेरे पुराने कौंटैक्ट्स काम आए और मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला. इस तरह काम करने में टाइम के हिसाब से काफी फ्लैक्सिबिलिटी रहती है और बच्चों के साथ काम संभालना कठिन नहीं होता. मेरे पति और सास मुझे पूरा सपोर्ट देते हैं.

‘‘पिछले 1 साल के दौरान मैं ने 100 से ज्यादा ब्रैंड्स के साथ काम किया है. इस तरह मैं अपनी प्रोफैशनल लाइफ के साथ मदरहुड को भी बेहद खूबसूरती से ऐंजौय कर रही हूं. सोशल मीडिया में मेरा हैंडल के नाम से है. मेरा मानना है कि शादी के बाद आप का सफर रुक नहीं सकता. मन में जज्बा हो तो आप आगे जरूर बढ़ सकती हैं.’’

मां बनने के बाद भी नाम कमाया

मेरी कौम

बौक्सिंग की दुनिया का लोकप्रिय नाम एमसी मैरीकौम एक मिसाल हैं. 3 बच्चों को जन्म देने के बाद भी इस महिला ऐथलीट ने रिंग में जलवा बिखेरा. वे 6 विश्व चैंपियन खिताब जीत चुकी हैं. एमसी मैरीकौम भारत के लिए महिला मुक्केबाजी में ओलिंपिक का मैडल हासिल करने वाली पहली भारतीय हैं. 2003 में मैरीकौम को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया. 3 साल बाद 2006 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 2009 में उन्हें सब से बड़ा खेल सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार दिया गया.

ताइक्वांडो चैंपियन नेहा

यूपी के मथुरा की ताइक्वांडो चैंपियन नेहा की कहानी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो शादी के बाद यह मान लेती हैं कि उन का कैरियर खत्म हो गया है. नेहा ने न सिर्फ शादी के बाद पढ़ाई की, बल्कि अपनी मेहनत के दम पर नैशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल भी हासिल किया.

शादी के बाद दूसरी लड़कियों की तरह नेहा को भी लगा था कि अब शायद वह इस खेल को कभी न खेल पाए. लेकिन जब बच्चे बड़े हुए और स्कूल जाने लगे तो नेहा ने दोबारा इस की प्रैक्टिस शुरू की. उस के हौसले को देखते हुए परिवार ने भी उस की मदद की.

पीटी उषा

पीटी उषा न केवल खिलाडि़यों की कई पीढि़यों के लिए प्रेरणा बनीं, बल्कि वे आज भी कई युवा ऐथलीटों के कैरियर को संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं.

पीटी उषा ने दौड़ने की शुरुआत तब की थी जब वह चौथी कक्षा में पढ़ती थी. 1980 में केवल 16 साल की उम्र में पीटी उषा ने मास्को में हुए ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया था. सीओल एशियाई खेलों में भारत ने 5 गोल्ड मैडल जीते थे और इन में से 4 स्वर्ण पदक अकेले उषा ने जीते थे. पीटी उषा को 1983 में अर्जुन अवार्ड दिया गया था. 1995 में उन्हें देश के चौथे सब से बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

शादी, मातृत्व और वापसी

1991 में शादी के कुछ ही दिनों बाद उषा ने ऐथलैटिक्स से ब्रेक ले लिया और अपने बेटे को जन्म दिया. अपने पति वी. श्रीनिवासन के हौसला देने पर उन्होंने खेल की दुनिया में वापसी की. जब उन्होंने 1997 में अपने खेलों के कैरियर को अलविदा कहा तब तक वे भारत के लिए 103 अंतर्राष्ट्रीय मैडल जीत चुकी थीं. उन्होंने ओलिंपिक में मैडल जीतने की चाहत रखने वाले युवा खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने के लिए एक अकैडमी शुरू की. उषा आज भी पूरी तरह एक्टिव हैं.

शुरू किया अपना ऐथलैटिक कैरियर

‘‘मिरैकल फ्रौम चंडीगढ़’’ के नाम से मशहूर 102 वर्षीय मन कौर भारत की सब से वरिष्ठ महिला ऐथलिट हैं. उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में अपने ऐथलैटिक कैरियर की शुरुआत की थी. उन्हें भारत सरकार द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

जरूरी है जनून

जिस उम्र में इंसान एक कोने में बैठा अंतिम समय की बाट जोह रहा होता है यदि उस उम्र में कोई महिला ऐथलीट की फील्ड में अपने कैरियर की शुरुआत करे और अपार सफलता भी पाए तो क्या कहेंगे? यह जनून ही है न, जो 93 वर्षीय मन कौर ने 2011 में ऐथलैटिक्स में कदम रखा और उसी वर्ष लंबी कूद (3.21 मीटर) में एक रजत और 100 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता. 2018 में उन्होंने औकलैंड में विश्व मास्टर्स खेलों में 100 मीटर स्प्रिंट जीत कर भारत को गौरवान्वित किया.

मन कौर को यह प्रेरणा और प्रोत्साहन उन के 78 वर्षीय बेटे गुरदेव ने दिया, जो स्वयं एक ऐथलीट हैं. मन कौर को ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का भी शौक है. औकलैंड के स्काई टावर के शीर्ष पर चलने वाले सब से बुजुर्ग व्यक्ति होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है. 93 साल की उम्र से शुरुआत करने के बाद भी 102 वर्षीय मन कौर अब तक 20 से अधिक मैडल जीत चुकी हैं.

प्रशिक्षण और डाइट प्लान का पालन करती हैं

मन कौर अच्छी डाइट के साथसाथ नियमित रूप से ट्रेनिंग भी लेती हैं और जिम भी जाती हैं. हर बार जब वे खेल के मैदान में उतरती हैं, तो 5 बार 50 मीटर दौड़ लगाती हैं और 100 और 200 मीटर की 1-1 दौड़ लगाती हैं, जिस में मन कौर अपने शरीर पर काम करती हैं. दिन में 2 बार अंकुरित गेहूं से बनी रोटियां खाती हैं. वे फलों का रस, व्हीटग्रास जूस, नट्स और बीजों का सेवन करती हैं.

सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं ने अपना अलग मुकाम बनाया है. हीरोइनों को देखें तो करीना कपूर, शिल्पा शेट्टी, काजोल, ऐश्वर्या, रानी मुखर्जी, विद्या बालन, मलाइका अरोड़ा जैसी बहुत सी हीरोइनों ने अपना कैरियर कायम रखा और हमेशा सुर्खियों में रहीं. इसी तरह हजारों ऐंटरप्रेन्योर हैं, जो मां बनने के बाद भी खुद को साबित कर रही हैं.

सफल होने के लिए जरूरी हैं कुछ बातें

फोकस जरूरी: एक महिला शादी और बच्चों के बाद भी अपने कैरियर के क्षेत्र में सफल हो सकती है, मगर इस के लिए सब से पहले जरूरी है कि वह फोकस करे. उसे पता होना चाहिए कि उसे किस फील्ड में आगे बढ़ना है. अगर उस के मन में कंफ्यूजन रहा तो वह कहीं नहीं पहुंच सकती. मगर यदि उसे पहले से पता है कि कौन से काम में उस की रुचि और क्षमता है, जिस से वह बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकती है, तो वह जरूर सफल होगी.

फ्रीलांस भी है एक औप्शन: शादी और बच्चों के बाद जरूरी नहीं कि आप कुछ ऐसा काम करें, जिस में आप को सुबह से ले कर शाम या रात तक के लिए बाहर जाना पड़े और बच्चों को घर वालों या कामवाली के भरोसे छोड़ना पड़े.

आप अपने लिए कोई फ्रीलांसिंग औप्शन भी खोज सकती हैं. अगर आप ने शादी से पहले काम किया हुआ है, तो आप के पुराने कौंटैक्ट काफी काम आएंगे. अगर आप ने पहले काम नहीं किया है और आप फ्रैशर हैं, तो भी अपनी क्रिएटिविटी से या कुछ नयापन दिखा कर अपने लिए काम ढूंढ़ सकती हैं.

आप कुछ ऐसा नया काम कीजिए, जिस में ज्यादा भागदौड़ न करनी पड़े और जिसे आप आसानी से खुद मैनेज कर सकें. याद रखिए दूसरों के भरोसे रहने से कुछ हासिल नहीं होता.

खुद पर यकीन: जब तक आप को खुद पर यकीन नहीं होगा तब तक घर वाले भी आप को प्रोत्साहित करने की नहीं सोचेंगे. लेकिन जब आप खुद पर यकीन रखती हैं कि मैं सही से मैनेज कर लूंगी तो रास्ते खुदबखुद खुल जाते हैं. बच्चे होने के बाद काम करने का मतलब यह जरूरी नहीं कि आप को बच्चों को अकेला छोड़ना पड़ेगा. आप कोई ऐसा बीच का रास्ता निकाल सकती हैं, जिस से बच्चे भी संभल जाएं और आप अपनी पहचान भी बनाती रहें. अगर आप छोटे बच्चों के साथ मैनेज नहीं कर पा रही हैं, तो थोड़ा इंतजार कर लें. बच्चे थोड़ा बड़ा हो जाएं तब अपने सपने को हकीकत का रूप दे सकती हैं.

आंखें खुली रखें: अपनी आंखें हमेशा खुली रखें. आप की शादी हो गई और आप के बच्चे हो गए इस का मतलब यह नहीं कि अब सबकुछ खत्म हो गया. आप हमेशा मौके की तलाश में रहें.

यह बात दिमाग में रखें कि आप कभी भी अपना कैरियर बना सकती हैं. हमेशा अपनी सहेलियों और परिचितों के कौंटैक्ट में रहें. ऐसी महिला रिश्तेदारों के संपर्क में रहें, जो शादी और बच्चों के बाद भी कुछ न कुछ कर रही हैं. उन्हें देख कर आप के मन में कोई आइडिया जरूर आ सकता है.

ये भी पढ़ें- Mother’s Day Special: मां भी मैं पापा भी मैं

टाइम मैनेज करना जरूरी: शादी और बच्चों के बाद जब आप काम के लिए बाहर निकालती या घर से ही काम करती हैं, तो सब से जरूरी है कि आप टाइम मैनेजमैंट करना सीखें. आप को पहले से प्लानिंग कर के चलना होगा कि इस समय तक घर के काम निबटाने हैं और उस के बाद आप को यह काम करना है ताकि आप को कभी भी परेशान न होना या जल्दीबाजी न करनी पड़े और न ही घर वालों को ही कोई बात सुनाने का मौका मिले.

महिलाओं को यह बात समझनी चाहिए कि मां बनने का मतलब यह नहीं कि उन का कैरियर खत्म हो गया. मां बनने के बाद भी वे अपनी सुविधानुसार काम कर सकती हैं और अपनी पहचान बना सकती हैं.

आप कुछ ऐसा नया काम कीजिए, जिस में ज्यादा भागदौड़ न करनी पड़े और जिसे आप आसानी से खुद मैनेज कर सकें. याद रखिए दूसरों के भरोसे रहने से कुछ हासिल नहीं होता.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...