‘प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है...’ यह आम धारणा है पर यह प्यार नहीं आकर्षण होता है.
आमतौर पर पहली नजर में हमें किसी का चेहरा पसंद आ जाता है, किसी की आंखें पसंद आ जाती हैं या किसी का बात करने का स्टाइल पसंद आ जाता है या फिर किसी का व्यवहार. इसे पहली नजर का प्यार कहते हैं. स्कूल कालेज के दिनों में या कम उम्र में होने वाला यह प्यार ज्यादातर आकर्षण ही होता है.
आकर्षण ज्यादातर एक अस्थायी प्यार होता है, जो एकसाथ कई लोगों से हो सकता है. यह जरूरी नहीं कि हमें जिस के प्रति आकर्षण हो रहा है, उसे भी हमारे अंदर कोई बात पसंद आ जाए या फिर हम से प्यार हो जाए. थोड़ी बातचीत शुरू हो गई तो हम सामने वाले पर अपना हक समझने लगते हैं और यह जाने बिना कि उस की सोच हमारे बारे में क्या है, हम उस पर अधिकार जताते हैं, लेकिन यदि वह हमारी अपेक्षाओं पर खरा न उतरा तो बहुत जल्दी ही यह आकर्षण खत्म भी हो जाता है, या फिर एक जनून और जिद में बदल जाता है, जिस का नतीजा अच्छा नहीं होता. इसलिए यह जरूरी है कि प्यार और आकर्षण के फर्क को समझते हुए ही आगे बढ़ें.
यह प्यार है या कुछ और : यह उम्र ऐसी होती है जिस में प्रेमीप्रेमिका को यह पता नहीं होता कि वे प्यार में हैं या फिर यह महज आकर्षण ही है. अपने इसी आकर्षण को प्यार मान कर वे आगे बढ़ने लगते हैं, लेकिन फिर जब एक साथी को एहसास हो जाता है कि यह प्यार नहीं था तो दोनों के लिए हजार मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. इसलिए यह अटकले न लगाएं कि आप प्यार में हैं बल्कि अपने रिश्ते को समय दें और अपना ध्यान सिर्फ अपने कैरियर पर लगाएं.
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