कोई माता- पिता नहीं चाहता है कि उसकी संतान कुछ भी गलत सीखे. पर जाने अनजाने कभी न कभी हम माता- पिता से ऐसी कई चीज़े हो जाती है जो हमारे बच्चो के मष्तिस्क पर गलत छाप छोड़ जाती हैं.क्योंकि ऐसा माना जाता है की बच्चो का मष्तिस्क एक कोरे कागज की तरह होता है और इस कोरे कागज़ पर कुछ भी लिखा जाता है तो वो हमेशा के लिए अमिट हो जाता है. क्योंकि बचपन की बाते और आदतें आसानी से हमारे दिमाग से नहीं जाती है.

और अगर समय रहते इन चीज़ों पर ध्यान न दिया गया तो हमारी ये गलतियां आगे चलकर हमारे बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी रुकावट बन सकती है.

तो चलिए जानते है की ऐसी कौन सी बाते है जिन पर एक माता-पिता का ध्यान देना बहुत आवश्यक है-

1-बच्चो के सामने अपमानजनक और अश्लील शब्दों का प्रयोग न करे-

जब पहली बार एक बच्चा अपने पहले शब्द के रूप में माँ या पापा या कुछ भी कहता है तो उसका ये पहला शब्द एक माता- पिता के कानों में संगीत घोल देता है और वो कभी अपने बच्चे के पहले शब्द को नहीं भूल पाते. हालाँकि बच्चा बोलने के साथ साथ जीवन का एक और मत्वपूर्ण सबक लेता है और वो है -आपके नक्शेकदम पर चलना ,पर ज़रा सोचिये की क्या होगा यदि आपके बच्चे द्वारा बोला गया पहला शब्द एक आक्रामक शब्द है – आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे?

आज कल की जीवन शैली ने हमे कुछ ऐसे नए शब्द दिए है जिनको use करने से पहले हम सोचते तक नहीं है.क्योंकि हमारी ये सोच है की ये शब्द हमे हमारे आधुनिक होने का एहसास कराते है.हमारे मुंह से अक्सर जाने अनजाने में बच्चो के सामने f * ck, sh * t, और भी कई रंगीन शब्द यूँ ही निकल जाते है ,पर ज़रा सोचिये अगर यही शब्द आपका बच्चा किसी और से बात करने के दौरान use करे तो आपको कितनी शर्मिंदगी होगी.

एक चीज़ हमेशा ध्यान रखें ,अपमानजनक शब्दों ने कभी किसी का भला नहीं किया है, तो फिर हम इन शब्दों का इस्तेमाल क्यों करें?

एक माता- पिता होने के नाते हमे हमेशा एक चीज़ का ध्यान रखना चाहिए की हम कभी भी जाने अनजाने अपने बच्चो के सामने गलत शब्दों का प्रयोग न करें.क्योंकि बच्चे बहुत जल्दी बोलना सीखते हैं और यदि वे आपको इसका उपयोग करते हुए देखते हैं, तो वे सोचते हैं कि इसका उपयोग करना अच्छा है. और फिर बच्चे भी उसी तरह भाषा शैली अपनाने लगते हैं जिस कारण आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है.

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2-बच्चो के सामने कभी भी एक दूसरे का अपमान न करे-

आज कल के दौर में लड़ाई या अपमान किसी भी तरह की परिस्तिथि का हल निकालने का एक आसान विकल्प बन गया है.अक्सर माता- पिता अपने बच्चो के सामने ही किसी भी छोटी बड़ी बात पर लड़ना या एक दूसरे का अपमान करना चालू कर देते है .

पर आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की आपकी लड़ाई बच्चो को कितना प्रभावित कर सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि जो बच्चे मध्यम पारिवारिक समस्याओं वाले घर में बड़े होते हैं, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में छोटे सेरिबैलम होते थे. सेरिबैलम मस्तिष्क का एक हिस्सा है जो मनोरोग से जुड़ा हुआ है.इसका मतलब उन बच्चो में मनोरोग से सम्बंधित बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.

इसलिए हर माता- पिता को ये कोशिश करनी चाहिए की वे अपने आपसी मतभेदों को बंद दरवाज़े के पीछे ही सुलझा ले और एक दुसरे का सम्मान करे और खुद को अपने बच्चो की निगांहों में एक आदर्श कपल साबित करें . क्योंकि आपका बच्चा आपकी परछाई होता है और अगर आप ही एक दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो बच्चे के निगांहों में आपकी छवि काफी धूमिल हो जाएगी ,फिर आपका अपने बच्चे से सम्मान पाना काफी मुश्किल होगा. और उसकी ये प्रवृत्ति उसे गलत मार्ग पर भी ले जा सकती है.

3- कसम खाना

आजकल एक और चीज़ बहुत ट्रेंड में है और वो है “मै कसम खाती हूँ या i swear” .और क्या आपको पता हैं की इन शब्दों का प्रयोग बात बात पर अमूमन सभी घरों में बहुत ही बेबाकी से होता है.चाहे अपने आपको सही साबित करना हो या सामने वाले से सच उगलवाना हो ,अक्सर हम कहते है “की खाओ कसम या मै कसम खाता हूँ या खाती हूँ या i swear “.पर क्या आप जानते है की इस छोटे से शब्द का एक बच्चे के दिमाग पर कितना गहरा असर पड़ता है.जैसे जैसे वो बड़ा होता है ये शब्द उसे एक ढाल की तरह लगने लगता है.वो ये सोचता है की मै अपनी कोई भी गलती छुपा सकता हूँ इस शब्द को use करके और यही सोच उसे बात बात पर झूठ बोलना सिखा देती है.
इसलिए कभी भी अपने बच्चों के सामने कसम जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए.

4- रिश्वत देने की आदत

“पापा , अगर मैं दुकान में अच्छा व्यवहार करता हूं तो मुझे क्या मिलेगा? या पापा अगर मै अपना होम वर्क कर लूँगा तो मुझे क्या मिलेगा ?” मैंने ये जनरल स्टोर की दुकान से गुजर रहे किसी बच्चे को अपने पापा से पूछते हुए सुना. मै ये सुनकर आगे बढ़ गयी ,क्योंकि मुझे लगा की जवाब तो मुझे पता है.पर अचानक कुछ शब्दों ने मेरे पैरों को रोक लिया .क्योंकि उसके पापा का जवाब था ” बेटा ,आपको एक खुशहाल परिवार मिलेगा”,

उनके इस जवाब से मुझे एक बहुत बड़ी सीख सीखने को मिली.की रिश्वत देना और लेना तो हम ही अपने बच्चो को सिखाते है और कहीं न कहीं उनके अन्धकार भरे भविष्य में हमारा भी एक बहुत बड़ा योगदान है.
दोस्तों रिश्वत, बच्चों को सम्मान और जिम्मेदारी सिखाने में बिलकुल विफल होती है.ये सिर्फ उनके अन्दर एक लालच का भाव पैदा करती है जो आगे चलकर उन्हें किसी कठिन परिस्तिथि में डाल सकता है.. इसलिए प्रभावी पेरेंटिंग कौशल का अभ्यास करें जो बच्चे को बिना किसी शर्त अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जागरूक बनाये.

5- बच्चो के सामने कभी भी अपने पद-प्रतिष्ठा का बखान नहीं करना चाहिए

ये अक्सर कई घरों में देखा जाता है की लोग अपने ओहदे और अपने पैसों का बखान अपने बच्चो के सामने ही करने लगते है.कुछ घरों में तो मैंने यहाँ तक माता-पिता को कहते सुना है की “ये तो हमारा एकलौता लड़का है .हमारा सबकुछ तो इसी का है, अगर पढाई में मन नहीं लगेगा तो हम इसे बिज़नेस करा देंगे.

पर क्या आप जानते है की आपके इस लाड – प्यार का आपके बच्चे पर क्या असर पड़ेगा. वो अपनी जिम्मेदारियों को कभी समझ ही नहीं पायेगा और ऐसा करने से बच्चों के दिमाग में बहुत ही गलत धारणाएं बनती चली जाएँगी हैं.और आगे चलकर आपको और आपके बच्चे को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.

इसलिए चाहे आपके पास कितनी भी दौलत या शोहरत क्यों न हो आपका पहला फ़र्ज़ है अपने बच्चे को एक ज़िम्मेदार इंसान बनाना .और एक चीज़ पैसों से संस्कार नहीं खरीदे जा सकते.इसलिए कभी भी अपने बच्चे के सामने अपनी पद प्रतिस्ठा का बखान बिलकुल न करे.

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6-बच्चो के सामने न करे किसी की बुराई

कभी भी बच्चे के सामने अपने रिश्तेदार या अपने पडोसी की बुराई नहीं करनी चाहिए और न ही अपने बच्चे को दूसरों के लिए कुछ भी गलत सिखाना चाहिए . ऐसा करने से बच्चो के अन्दर एक गलत भावना का संचार होता है और उन्हें किसी की अच्छाई भी दिखना बंद हो जाती है.जिससे उनके अन्दर एक नकारात्मकता का भाव आ जाता है .और कहीं न कहीं कुछ समय बाद आपकी वही सीख वो आप पर use करने लगते हैं.

इस लेख के माध्यम से मै बस आपसे ये कहना चाहती हूँ की बच्चे दिल के बहुत साफ़ और मासूम होते है .हम उनकी पहली पाठशाला है .वो हमे बचपन से ही अपना आइडियल मानते है.इसलिए कुछ भी करने या कहने से पहले एक बार ये सोच ले की अगर कल को वही चीज़ आपका बच्चा आपके या किसी और के सामने करेगा या कहेगा तो आपको कैसा लगेगा.
एक चीज़ और अपने बच्चो से कुछ भी करने को कहने से पहले आपको वो चीज़ स्वयं करने की आवश्यकता है .एक आप ही है जो अपने कार्यों के माध्यम से अच्छी आदतों के महत्व को अपने बच्चो तक पहुंचा सकते है.

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