1. आमरा अपनी सैक्स लाइफ से खुश हैं, लेकिन चाहतें अनेक हैं. उन के पति भी खुश हैं बैड पर, लेकिन कहीं न कहीं आमरा को दुख है कि उन के पति बैड पर उस का मन क्यों नहीं पढ़ पाते. आमरा उन से स्पर्श की चाहत रखती हैं. मगर बैड पर जाते ही आरव अपना होशहवास खो देते हैं. जल्दबाजी के कारण एकदूसरे में खो नहीं पाते. आलम यह है कि आमरा सैक्स से बचती हैं.
2. रागिनी पिछले 5 सालों से खुशहाल विवाहित जीवन जी रही हैं. रागिनी और गगन के प्यार की निशानी उत्सव 4 साल का है. आजकल वे कुछ बुझीबुझी लगती हैं. इस का कारण है उन की उदासीन बैडरूम लाइफ. दिन भर रागिनी घर के हर छोटेबड़े काम को मैनेज करने में बिजी रहती हैं. दोपहर से रात तक उत्सव की देखरेख में अलर्ट रहती हैं. उत्सव को सुलाने के बाद अपने बैड पर जाने से परहेज करती हुई वे उत्सव के कमरे में उस के साथ ही सो जाती हैं. इस का कारण पता चला कि हड़बड़ी वाली रोजाना की सैक्स लाइफ, जो रागिनी और गगन दोनों का मूड औफ कर तनाव का कारण बनती है.
3. माही एक कामकाजी महिला है. शाम को औफिस से लौटते ही माही और रंजन अपनी दुलारी 10 साल की बेटी परी के साथ समय बिताते हैं. डिनर तक तो सब ठीक रहता है, लेकिन बैडरूम लाइफ दोनों को अपसैट कर देती है. असल में माही बैडरूम में पति के साथ अकेले में समय बिताना चाहती हैं. रंजन की बांहों में समा कर दिन भर की और भविष्य की बातें करना चाहती हैं. उस के बाद जेहन की थकान को प्यार में डूब कर मिटाना चाहती हैं, लेकिन रंजन उन की भावनाओं की कद्र न कर सीधे सैक्स का मूड बना लेते हैं. नजीजतन, मशीनी प्रक्रिया की तरह सैक्स होता है और बाद में माही का मन बुझाबुझा रहता है.
ऊपर बताए गए तीन केसों में एक बात सामने आई कि सैक्स में गलतियां हमेशा के लिए एकदूजे से दूर कर देती हैं. माना जाता है कि प्यार करना और प्यार को निभाना औरत जानती है. प्यार को सैक्स का अंजाम देने में पति माहिर होते हैं. यह काफी हद तक सच है. मौका कोई भी हो, कैसी भी स्थिति हो, थकावट से शरीर स्थूल हो या मूड हो या न हो पर पति का बैड पर जाते ही सैक्स का मूड बन जाता है या यों कहें कि पति सैक्स के लिए बमुश्किल ही इनकार करेगा. इस पर उस की पत्नी नानुकर करे, तो उसे वह सहन नहीं. यहां हम पतियों पर किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लगा रहे. दूसरी ओर पत्नियां भी प्यार को सैक्स का अंजाम देना चाहती हैं, लेकिन प्यार से प्यार तक. ऐसा नहीं होने पर दोनों ओर से खीज होती है.
इस संबंध में सैक्सोलौजिस्ट का मानना है कि प्यार में कैद होते ही अधिकांश पतियों के दिलदिमाग में सैक्स उछालें मारता है. दिन भर काम करने के दौरान भी दिमाग के किसी कोने में बेसब्री बैड लाइफ का ऐंजौयमैंट जीने की होती है. ऐसे में पति आउट औफ कंट्रोल होते जाते हैं. बस, प्यार को तुरतफुरत अंजाम देना और पार्टनर की खीज महसूस किए बिना सो जाना. यही नहीं, कई बार पति भी खीज महसूस करते हैं, जो पार्टनर में तनाव का कारण बनती है. दूसरे शब्दों में कहें तो बैड पर प्यार में जल्दबाजी दिखाना दोनों पार्टनर्स के लिए ठीक नहीं. बैड पर आप का और उन का मूड हमेशा औन रहे और प्यार हमेशा औन रहे इस के लिए गलतियों पर नजर डालते हैं. इन से बचिए और मूड करें औन:
क्लाइमैक्स की बेताबी
इरादे बुलंद हों तो कदम खुदबखुद मंजिल तक पहुंच जाते हैं. फिर चाहे राहें पथरीली अथवा मखमली ही क्यों न हों. बुलंद इरादों के बलबूते मंजिल पर फतह होती है. इस सफर में कई कठिनाइयों, तकलीफों, सहूलतों से गुजरना पड़ता है. यही फलसका आप की सैक्स लाइफ पर भी लागू होता है. अधिकांश पति बैड पर पहुंचते ही सैक्स के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ ही पलों में प्यार को अंजाम देने में मशगूल हो जाते हैं. इस फलसफे से बेखबर कि चरम तक पहुंचने के लिए कई राहों से गुजरना पतिपत्नी दोनों के लिए उपयुक्त रहता है. इस हड़बड़ी में पति फोरप्ले को पूरी तरह नजरअंदाज करता है. रोजाना की क्रिया से पत्नी उकता जाती है. अगली बार यह गलती न करें. क्लाइमैक्स से पहले बांहों में भर कर प्यारदुलार करें.
अहम है फोरप्ले
इस बात को गांठ बांध लें कि जब बिस्तर पर दोनों खुश होते हैं, तब अंजाम दोनों को खुशी देता है. लेकिन बिस्तर पर पति की प्यार में हड़बड़ी का अंजाम पत्नी को खीज देता है. जाहिर है, उस के मूड से पति का मूड भी औफ हो जाएगा. अगली बार बिस्तर पर जल्दबाजी की गलती न दोहराएं. थोड़ा धैर्य रखें. पहले प्यारदुलार यानी फोरप्ले से पत्नी का मूड बनाएं. पत्नी के उत्तेजित होने के बाद दोनों अंजाम के पलपल की हसीन जन्नत को महसूस कर पाएंगे अन्यथा इस दैनिक मशीनी क्रिया के बाद भी आप दोनों खालीपन, तनाव, निराशा व खीज से भरे रहेंगे.
मन को पढि़ए
सिर्फ पति अपने आनंद को तवज्जो न दे. थोड़ा पत्नी का भी ध्यान रखे. पत्नी की बिस्तर पर पसंदनापसंद का भी ध्यान रखे. फोरप्ले से अंजाम और अंजाम के बाद की सहलाहट का ध्यान रखे. बहुत सी बातें पत्नी जबां पर नहीं लाती. वह सब पति पर छोड़ती है. उन का पूरा न होना उस में अजीब सा खालीपन भर देता है. एक खुशहाल बैडलाइफ के लिए पति को पत्नी के मन की बात समझनी होगी.
कुछ पल मस्ती, कुछ पल शरारत
अकसर पति बिस्तर में मस्ती व शरारत में बहकना भूल जाते हैं. सीधे अंजाम की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं. भले ही अंजाम में पत्नी का शारीरिक साथ रहता है, पर वह मन से दूर होती है या यों कहें कि पति बिस्तर में पत्नी का खयाल नहीं रखता यानी पत्नी के कोमल बदन का भी नहीं. अगली बार यह गलती न हो, इस का ध्यान रखें. इस बात का भी ध्यान रहे कि पत्नी को रतिक्रिया में जोरजबरदस्ती कतई पसंद नहीं होती है.
सिनेमा नहीं है बैडरूम
आमतौर पर पति फिल्मों में फिल्माए गए बैडरूम दृश्यों को असल जिंदगी में जीना चाहता है. उस की चाहत रहती है कि पत्नी का भी इस में सहयोग मिले. पत्नी के नानुकर करने पर पति का गुस्सा 7वें आसमान पर होता है. कई बार नौबत इमोशनल ब्लैकमेल से बढ़ती हुई अलगाव तक पहुंच जाती है. पति इसे स्वीकार ले कि असल जिंदगी का बैडरूम फिल्मी परदे से बहुत अलग होता है. याद रहे हर बार प्यार का मीठा अंजाम दोनों को संतुष्टि और सहजता देता है.
जिम्मेदारी दोनों की
सैक्सोलौजिस्ट यही कहते हैं कि चरमोत्कर्ष की पूरी जिम्मेदारी पति पर नहीं डाली जानी चाहिए. अंजाम तभी सफल होता है जब पतिपत्नी दोनों का सहयोग हो. अधिकांश पतियों की आदत होती है कि वे अंजाम का सुख लेने के बाद पत्नी को भूल जाते हैं. प्यार भरा स्पर्श हो या न हो पति आसानी से अंजाम तक पहुंच ही जाते हैं. वे इस बात से बेखबर होते हैं कि अपने इजैट्यूलेशन के बाद उन की पत्नी मीठे सुख की जन्नत की सैर नहीं कर पाती. ऐसे में चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंचने का ठीकरा किसी एक के सिर पर फोड़ना गलत है.