कई बार ऐसा होता है कि आप अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के बच्चे से पहली बार मिलती हैं. किसी ने आप को बताया नहीं होता है कि यह फलां का बच्चा है, लेकिन उस की आदतें और आचारव्यवहार देखते ही आप समझ जाती हैं कि यह फलां का बच्चा है. सच तो यह है कि बच्चे पर उस के पेरैंट्स की पूरी छाप होती है. जीवन के प्रति उस के नजरिए में उस के पेरैंट्स की झलक दिखती है. इसलिए अगर आप चाहती हैं कि आप का बच्चा आइडियल बने, तो इस के लिए आप को भी आइडियल बनना होगा. मतलब यह कि आप को अपने बच्चे से वैसा ही व्यवहार करना होगा जैसा आप बच्चे से अपेक्षा करती हैं.
रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पेरैंट्स और बच्चे का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. इस में जरा सी भी चूक दोनों के संबंध में दरार डालने के लिए काफी है. आप का संयमित और समझदारी भरा व्यवहार आप के बच्चे के विकास को प्रभावित करता है. अगर आप जिंदगी को ले कर सकारात्मक सोच रखती हैं, तो आप का बच्चा भी वैसा ही होगा, लेकिन अगर आप की आदत हर बात में नुक्ताचीनी करने की है और अगर आप बिना बात अपने साथी के या परिवार के किसी भी सदस्य के साथ उलझ जाती हैं, तो यकीनन आप का बच्चा भी झगड़ालू किस्म का होगा. सच तो यह है कि बच्चा अपने पेरैंट्स में ही अपना आइडियल देखता है. अगर लड़का है, तो वह अपने पिता की तरह बनना चाहता है और लड़की में स्वत: ही उस की मां के गुण आ जाते हैं. इसलिए आप जिस तरह का व्यवहार अपने बच्चे से चाहती हैं आप को भी घर का माहौल वैसा ही बना कर रखना होगा, उसी तरह का व्यवहार अपने बच्चे और दूसरे लोगों के साथ रखना होगा.
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