प्रिया अपनी 5 साल की बेटी मान्या से बहुत प्यार करती है . इसी कारण वे उसकी सारी जिद भी पूरी करती. लेकिन एक बात प्रिया को हर समय खलती थी कि जब माननीय गुस्सा हो जाती तो वह किसी की नहीं सुनती और बच्चों से लड़ती थी.और गुस्सा होने के कारण भी बहुत छोटे-छोटे थे जैसे किसी ने खेलने के लिए मना कर दिया यह प्रिया कहीं चली गई या किसी सामान को लाने के लिए मना कर दिया तो मान्या गुस्से में चीजों को तोड़ना फोड़ना फेंकना यह जोर जोर से चिल्लाना रोना शुरू कर देती.आखिर परेशान होकर प्रिया ने डॉक्टर से कंसल्ट करना ठीक समझा. क्योंकि उसके इतने अधिक गुस्से में वह किसी से की सुनती ही नहीं थी.
चाइल्ड साइकैट्रिस्ट का कहना है कि पहले के दशक के मुकाबले माता पिता काफी फ्रैंडली हो गयें हैं. इसलिए बच्चे अपने मां-बाप से बिना किसी हिचक के बात मनवाना चाहते हैं. 2साल से 5 वर्ष तक के बच्चे में शारीरिक व मानसिक परिवर्तन बहुत ही तेजी से होते हैं और इस उम्र के बच्चे में ध्यान खींचने की प्रवृति एक आम बात है. जब बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जाता है तब अक्सर अपने छोटे भाई बहन से या औरों से अपनी तुलना करता हैं. अमूमन जिद्दी होना,तोङफोङ करना अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए नये-नये हथकंडे अख्तियार करना इनकी आदत में शुमार हो जाता है. आइए जानते हैं कुछ सुझाव.
1. माता-पिता से तुलना
आजकल न्यूक्लीयर फैमिली का चलन अत्याधिक है और इन न्यूक्लियर फैमिली में एक या दो बच्चे होते हैं. यदि घर में एक ही बच्चा है तो वह बात बात परअपने माता पिता से ही खुद की तुलना करने लगता है. न्यूक्लियर फैमिली में खासतौर पर इस उम्र के बच्चे ज्दातर भावनात्मक रूप से उग्र हो जाते हैं और किसी भी बात को मनवाने के लिए सीमाएँ लांघ जाते हैं.