किट्टी शब्द सुनते ही दिमाग में 10-15 महिलाओं का एक ऐसा समूह अपनी छवि बनाता है, जो प्रति माह किसी एक जगह पर इकट्ठा हो कर खातापीना और मनोरंजन करता है. इस किट्टी कल्चर की शुरुआत हाई क्लास सोसाइटी की महिलाओं के द्वारा अपना खाली समय पास करने के लिए की गई, जिस में वे विभिन्न गेम्स खेलतीं. धीरेधीरे यह समाज के अन्य वर्गों में भी प्रचलित होता गया और मध्यवर्गीय महिलाओं ने इसे मनोरंजन के साथसाथ धन संचय का भी एक साधन बना लिया.
हाल ही के कुछ वर्षों में इस ट्रैंड में नया बदलाव आया. अब महिलाओं के साथसाथ उन के पति भी इस में शिरकत करने लगे हैं और इसे नाम दिया गया कपल किट्टी. सामान्य किट्टी की ही तरह इस में भी वे एक जगह पर इकट्ठा हो कर मनोरंजन और खानापीना करते हैं.
बन गई समय की मांग
कपल किट्टी आज समय की मांग भी है, क्योंकि बच्चों के बाहर चले जाने के बाद पतिपत्नी अकेले रह जाते हैं. ऐसे में उन के लिए ऐसे ग्रुप का सदस्य होना बेहद जरूरी होता है, जहां वे अपने हमउम्र लोगों के साथ कुछ समय हंसबोल कर अपनेआप को आनंदित महसूस करा सकें, अपनी समस्याओं को शेयर कर सकें. इस के अतिरिक्त इस प्रकार की किट्टी सर्विस क्लास के लिए भी कई मानों में लाभकारी होती है, क्योंकि उन का प्रत्येक 2-3 वर्ष में स्थानांतरण होता रहता है. नए शहर में उन्हें अपने जीवन की जीरो से शुरुआत करनी होती है, जिस में इस प्रकार की किट्टी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
नए शहर में सहारा