कुछ समय से सैलिब्रिटी ब्रेकअप्स सुर्खियों में छाए हुए हैं. पहले सलमान कैटरीना, फरहान अधुना, बिपाशा जौन अचानक अलग हो गए अब मलाइकाअरबाज ने अगल हो कर सब को हैरान कर दिया. छोटे परदे के मशहूर अभिनेता करण सिंह ग्रोवर का अपनी पहली पत्नी श्रद्धा निगम से तलाक, फिर जेनिफर से विवाह और फिर तलाक, फिर बिपाशा बसु से विवाह. यह रिश्ता कितने दिन या हमेशा चलेगा, यह देखना बाकी है. जैसे ही हम किसी सैलिब्रिटी को देख कर सोचते हैं कि वाह, क्या जोड़ी है. पता चलता है कि उस जोड़ी का भी ब्रेकअप हो चुका है और हमारा आधुनिक रिश्तों पर विश्वास डगमगाने लगता है.

रणबीर और दीपिका की जोड़ी देखते ही बनती थी, आज भी दोनों के फैंस दोनों को साथ देखना चाहते हैं. रितिक रोशन ने जब सुजैन से विवाह किया तो कइयों के दिल टूटे पर अब ये भी अलग हो चुके हैं.

हौलीवुड की जान ब्रैडपिट और जेनिफर का प्यार एक मिसाल था, पर ऐंजेलिना से ब्रैडपिट के संबंध होने पर इन का भी ब्रेकअप हो गया. बेन हिंजिस और लौरेन बुशनैल, कैटीपैरी और ओलैंडो ब्लूम, रिचर्ड पैरी और जेन फोंडा, निकी मिनाज और मीक मिल का ब्रेकअप भी सब को हैरान कर गया था.

टीवी की मशहूर हस्ती दिव्यांका त्रिपाठी और शरद मल्होत्रा दोनों ‘बनूं मैं तेरी दुलहन’ के सैट पर मिले थे. यह रिश्ता 7 साल चला पर फिर टूट ही गया. करण पटेल और काम्या पंजाबी का संबंध भी काफी चर्चा में रहा पर रिश्तों में अचानक आई खटास से ब्रेकअप भी हो गया. करण ने धूमधाम से अंकिता भार्गव से फिर जल्दी विवाह भी कर लिया.

आम लोगों में भी बढ़ता अलगाव

जहां मशहूर हस्तियों के टूटते रिश्तों के कई उदाहरण रोज देखने को मिलते हैं, वहीं आम लोगों के जीवन में भी इस तरह के रिश्ते कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. झट प्यार भी होता है पर ब्रेकअप की खबर आते भी देर नहीं लग रही. पवई निवासी जूही और प्रशांत का 4 सालों से अफेयर था, दोनों के दोस्तों के ग्रुप में यह बात तय थी कि जल्द ही दोनों विवाह भी कर लेंगे. अलगअलग जाति थी पर दोनों के परिवार आधुनिक थे. दोनों के परिवार को यह संबंध पता भी था पर जब जूही के परिवार ने इस विवाह के लिए हामी नहीं भरी तो जूही ने प्रशांत से दूरी बनानी शुरू कर दी. आधुनिक, सुशिक्षित जूही का पीछे हटना सब को हैरान कर गया. जूही ने बहुत ही सहजता से तर्क दिया कि कौन फैमिली की टैंशन मोल ले. जितना साथ रहना था रह लिए. अब आगे देखते हैं.

बात सुननेपढ़ने में मामूली सी है पर अब रिश्ते सचमुच कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. जूही का इतना व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रशांत को तोड़ गया. वह कई दिन तक आहत रहा. जूही ने 6 महीने के अंदर मातापिता की मरजी से एक लड़के से विवाह भी कर लिया. जीवन में आगे बढ़ने में कोई बुराई नहीं पर प्रश्न यह है कि आधुनिक रिश्ते इतने कमजोर क्यों हैं?

रिश्ते निभाना आजकल जटिल क्यों हो रहा है? क्या हम प्रेम करना भूल गए हैं? या उस से भी बुरा यह है कि हम यही भूल गए हैं कि प्रेम है क्या? आजकल के रिश्ते इतनी जल्दी क्यों टूट रहे हैं, कारणों पर एक नजर:

हम शायद त्याग के लिए, समझौते के लिए, बिना किसी शर्त के प्यार करने के लिए तैयार ही नहीं हैं. हम आजकल हर चीज सुगमता से पा लेना चाहते हैं. हम पलायन कर जाते हैं, हम अपना प्यार पूर्णतया विकसित ही नहीं होने देते. समय से पहले ही सब पा लेना चाहते हैं या सब छोड़ देते हैं.

यह वह प्यार है ही नहीं जिस की हमें तलाश है. हम लाइफ में अब उत्तेजना और रोमांच चाहते हैं. हमें मूवीज और पार्टियों के लिए एक साथी चाहिए, न कि कोई ऐसा जो हमारे मौन को भी समझ ले. हम साथ समय तो बिताते हैं पर यादें नहीं सहेजते. हम बोरिंग लाइफ नहीं चाहते. हम अब जीवनसाथी नहीं, बस इसी समय वर्तमान का साथी सोच रहे होते हैं. हम अब किसी रहस्य की सुंदरता में यकीन नहीं करते, क्योंकि अब हमें साहसपूर्ण रोमांच भाता है.

हमारे पास प्यार का समय ही नहीं है, रिश्तों को निभाने का धैर्य हम में बचा ही नहीं. शहरी भागदौड़ के बाद प्यार की जगह ही नहीं बचती. हम भौतिक सपने देखने वाले व्यस्त इंसान हो गए हैं. रिश्ते अब सुविधा से ज्यादा कुछ भी नहीं.

हमें हर चीज में फौरन खुशी चाहिए. चाहे वह हमारी औनलाइन पोस्ट हो, कैरियर हो या वह इंसान जिसे हम प्यार करते हैं. रिश्तों में गंभीरता समय के साथ आती है, दूसरे व्यक्ति से पूर्णतया जुड़ने में सालों लग जाते हैं. अब प्यार के लिए समय और धैर्य कम ही पड़ जाते हैं.

हम विकल्पों में विश्वास करने लगे हैं. हम सोशल लोग हैं, हम लोगों को जानने की बजाय बस उन से मिलते हैं. हम लालची हो गए हैं. हमें सब कुछ चाहिए. हम जरा से आकर्षण पर भी रिश्ता शुरू कर देते हैं और थोड़ा सा अपेक्षाकृत अच्छा साथी मिलने पर फौरन पुराने से बाहर आ जाते हैं.

टैक्नोलौजी हमें एकदूसरे के बहुत ज्यादा पास ले आई है. इतना पास कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. हमारी शारीरिक उपस्थिति की जगह टैक्स्ट्स, वौइस मैसेज, स्नैप चैट्स, वीडियो कौल्स ने ले ली है. हमें एकदूसरे के साथ समय बिताने की जरूरत ही महसूस नहीं होती, हमारे पास एकदूसरे के बारे में पहले ही बहुत जानकारी होती है, बात करने के लिए कुछ रह ही नहीं जाता.

प्यार और सैक्स को अलगअलग ही देखा जाने लगा है. सैक्स अब आसान है, निष्ठा रखना मुश्किल है. रिश्तों के बाहर सैक्स अब बड़ी बात नहीं रही. प्यार की जगह हमारे जीवन में सीमित रह गई है.

यह व्यावहारिक पीढ़ी है, जो तर्क जानती है. हमें पागलपन की हद तक प्यार करना नहीं आता. हम अपना हितअहित सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाते हैं. प्यार में दीवानों की तरह किसी को देखने भागे जाने का समय अब किसी के पास नहीं.

हम प्यार में कमिटमैंट और दिल टूटने से डरते हैं. हम अब आंख बंद कर किसी के प्यार में पड़ कर अपनी लाइफ खराब नहीं कर सकते.

इंसान का सब से जरूरी गुण प्यार है. हम शायद धीरेधीरे इस शब्द के माने ही भूल रहे हैं. आधुनिक समय में रह रहे हम कहीं प्यार का वजूद, महत्त्व ही न भूल जाएं, यह विचारणीय है. रिश्तों से प्यार, सहयोग, समर्पण कहीं पूरी तरह से न खो जाए, इस बात का ध्यान रखना होगा. मशीन की तरह न जी कर जीवनरूपी पौधे को प्यार भरे रिश्तों से सींचना होगा ताकि चारों ओर हवाओं में प्यार भरे रिश्तों की खुशबू आए.

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