दुनिया का हर रिश्ता हमारी चौइस से परे होता है. मांबाप, भाईबहन और अन्य रिश्तेदार चुनने में हमारी कोई भूमिका नहीं होती है. हम जिस परिवार में पैदा होते हैं वहीं से हमें रिश्ते जिंदगीभर के लिए मिल जाते हैं. लेकिन दुनिया में सिर्फ एक ही रिश्ता ऐसा होता है जिसे हम बनाते हैं या कहें कि हम चुनते हैं. इस रिश्ते का नाम है दोस्ती.

दोस्त यानी फ्रैंडशिप ही ऐसा संबंध होता है जो वे बातें समझ सकता है, जो खून के रिश्ते भी नहीं समझ पाते. इसलिए दोस्ती के रिश्ते को हमेशा संभाल कर रखना चाहिए. लेकिन कई बार बीच की गलतफहमियां हमें अपने दोस्तों से दूर कर देती हैं. ऐसे में इस बार फैस्टिवल के मौके पर आप तय कीजिए कि अपने चहेते दोस्तों से न सिर्फ पुराने गिलेशिकवे दूर करने हैं बल्कि अपनी लाइफ में नए दोस्तों का स्वागत भी करना है. कैसे? आइए जानते हैं:

दोस्ती में दरार क्यों

अक्षय और रोहन मन ही मन अपनी क्लासमेट आकृति को चाहते थे. लेकिन दोनों ने अपने दिल की बात अभी तक उसे नहीं बताई थी. एक दिन आकृति की बर्थडे पार्टी में सही मौका देख कर अक्षय ने आकृति को प्रोपोज किया तो वह मना न कर सकी. इस तरह दोनों गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड बन गए. यहां तक तो ठीक था लेकिन कुछ दिनों से अक्षय ने नोटिस किया कि रोहन उस से दूर रहने के बहाने करने लगा. क्लास में जानबूझ कर अलग सीट पर बैठता. कभी लंच टाइम में अकेले ही कैंटीन चला जाता, कभी बीमारी का बहाना कर उस के साथ बने फिल्म के प्लान को कैंसल कर देता.

रोहन की इस आदत से तंग आ कर अक्षय ने भी अपने दोस्त से दूरी बना ली. कल तक के जिगरी दोस्तों के बीच आई दरार कुछ और नहीं, बल्कि गलतफहमी थी. अगर समय रहते दोनों इस टौपिक पर खुल कर बात करते व आकृति के बारे में अपनी फीलिंग्स जाहिर करते तो आज की तरह दोनों एक दूसरे के दुश्मन नहीं बनते.

हम दोस्तों के साथ स्कूलकालेज जाते हैं. उन के साथ हर असाइनमैंट या होमवर्क पूरा करते हैं. लंच से ले कर ब्रैकफास्ट और बर्थडे पार्टी से ले कर फैमिली गेटटूगेदर, बिना दोस्तों के कंप्लीट नहीं होता. फिर ऐसा क्यों होता है कि हम उन से नाराज हो जाते हैं. दरअसल, दोस्ती में दरार तब पड़ती है जब एक दोस्त को लगता है कि उस के दूसरे दोस्त ने उस का विश्वास तोड़ा है या फिर उस से कुछ ऐसी बात छिपाई है जो उसे पता होनी चाहिए थी.

अकसर ऐसी ही बातें जब दोस्ती में दरार पैदा कर देती हैं तो बजाय दूरी और दुश्मनी बढ़ाने के, खुल कर बात करनी चाहिए. याद रखें गर्लफ्रैंड आज है, कल नहीं भी हो सकती है, ब्रैकअप हो सकता है, लेकिन दोस्त हमेशा के लिए होते हैं. वे बिना किसी ऐक्सपैक्टेशन के ताउम्र आप के कदम से कदम मिला कर चलते हैं.

भूल जाएं गिलेशिकवे

फैस्टिवल ही ऐसा मौका लाते हैं जब हम पुराने गिलेशिकवे भूल कर रोशनी के रंगों में सरोबार हो जाते हैं. दीवाली आ रही है और इस दीवाली जब घर में सबकुछ खुशनुमा हो, क्यों न रूठे दोस्तों को मनाने का प्रोग्राम बनाएं. गारंटी है कि फैस्टिवल के मौके पर आप का रूठा यार आप को खाली हाथ वापस नहीं भेजेगा. इस के लिए उस के घर जाने का प्रोग्राम बनाएं. त्योहार में घर पर बनी उस की फेवरेट स्वीटडिश ले कर और उस से सारी गलतफहमी पर खुल कर बात करें. अगर आप की गलती हो तो उस से बिना संकोच के सौरी बोलें और अगर आप की गलती न भी रही हो तो अब तक उस से नाराज रहने के लिए सौरी बोलिए. दोस्ती में कोई छोटाबड़ा नहीं होता है. अगर आप के सौरी बोलने से आप का दोस्त वापस आप के पास आ सकता है तो आप के लिए  इस से बड़ा गिफ्ट भला और क्या हो सकता है.

ईगो खत्म कर दूसरा मौका दें

हर रिश्ते में उतारचढ़ाव होते हैं. दोस्ती में भी. ऐसा कोई रिश्ता नहीं हो सकता जिस में कभी नाराजगी न हो. रिश्तों के बने रहने की शर्त है कि एकदूसरे की गलतियों को माफ करने की हिम्मत हो. हम युवा हैं और गरम खून अपनी अकड़ ले कर चलता है. इसलिए जब कभी दोस्ती में जरा सी बात बिगड़ती है तो हमारा ईगो आड़े आ जाता है. सोचने लगते हैं दोस्त जाता है तो जाए, मैं क्यों झुकूं. इसी ईगो के चलते दोस्त दूर हो जाते हैं.

अपने मैं से बाहर निकलें, दोस्तों के साथ पहले की तरह घुलमिल जाएं. अकसर अहं और छोटीमोटी तकरार इतनी बड़ी हो जाती है कि रिश्तों की वे गांठें कभी नहीं जुड़ पातीं. अगर आप भी किसी ऐसी ही बात का बुरा मान कर किसी दोस्त या करीबी से नाराज हैं तो इस त्योहार उन्हें फिर से दुश्मन से दोस्त बना लें और अपनी दोस्ती को दूसरा मौका दें. किसी संबंध को हमेशा के लिए खत्म करने से बेहतर है कि दूसरा मौका दे कर देखें. हो सकता है आप के दोस्त को गलती का एहसास हो और यह खूबसूरत रिश्ता बना रहे.

खास दोस्तों के लिए करें खास

जरा सोचिए, अगर दोस्त नहीं होंगे तो आप किस के साथ क्लास जाएंगे, वीकैंड पार्टी करेंगे या फिर फैस्टिवल में हंगामा किस के साथ मचाएंगे. जाहिर है इस दीवाली जब आप पटाखे फोड़ेंगे तो बिना दोस्तों के रौनक ही नहीं आएगी. घर पर पकवान तो ढेर सारे बनेंगे, लेकिन साथ में बैठ कर खाने वाले दोस्त कहां से आएंगे.

जब आप यह जानते हैं कि दोस्त आप के लिए कितने खास हैं तो फिर आप की भी जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें खास फील कराएं. ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप को दोस्तों का बर्थडे या उन से जुड़े खास दिनों की तारीखें याद न हों. उन्होंने कई बार आप को अपने घर डिनर पर बुलाया, लेकिन आप ने उन्हें कभी नहीं बुलाया. दोस्तों को भी एहसास कराएं कि आप की जिंदगी में उन की अहमियत है. बर्थडे पर विश करना या कभी कुछ स्पैशल गिफ्ट देना ऐसी चीजें हैं जो रिश्ते को मजबूत बनाती हैं.

अगर दोस्त कहीं दूर रहते हैं और किसी बात पर खफा हैं तो त्योहार की शुभकामनाओं के लिए उन्हें सब से पहले फोन करें और घर पर आमंत्रित कर उन का दिल जीतें. यकीनन उन की नाराजगी बहुत देर तक नहीं टिक पाएगी. अगर वे काफी दूर रहते हैं तो उन्हें बिना बताए कुछ अच्छा सा गिफ्ट ले कर उन के घर पहुंच जाएं और उन को हैरान कर दें. इस सरप्राइज विजिट से उन की हर नाराजगी दूर होते देर नहीं लगेगी. आड़े समय में दोस्त ही काम आते हैं. इसलिए इस फैस्टिवल संकल्प लें कि सभी दोस्तों की नाराजगी दूर कर उन्हें अपने घर बुलाएंगे और नए दोस्त भी बनाएंगे.

इस त्योहार में आप अपने दोस्तों को मनाने की पहल कर देखिए,  उत्सव का आनंद दोगुना हो जाएगा. याद रहे कोई भी गलतफहमी इतनी उलझी नहीं होती कि उसे सुलझाया न जा सके. तो समझ लीजिए दीवाली का यह त्योहार ऐसी ही किसी पुरानी गलतफहमी या कड़वाहट को मिठास में बदलने का मौका है, जो दोस्ती की राह में रोड़ा बन कर खड़ी है.

ऐसे करें दोस्ती की डोर मजबूत

दोस्ती में बहुत ज्यादा अपेक्षाएं न रखें. इस से संबंध बिगड़ते हैं. सब कीअपनी सीमाएं होती हैं, उन्हें समझें.

हर कोई अपनी लाइफ में व्यस्त है. लेकिन फिर भी दोस्तों के लिए समय निकालें.

अच्छे वक्त में भले ही दोस्तों को भूल जाएं लेकिन उन के बुरे समय में उन के साथ खड़े रहें.

उन के सामने अपनी अमीरी या बेहतरी का दिखावा न करें.

उन के लिए कभीकभी सरप्राइज पार्टी का आयोजन करें.

बहस की नौबत आए तो उसे कभी बढ़ने न दें.

उन की मजबूरी समझें. अगर समय न दे पाएं दोस्त, तो उसे अकड़ू या घमंडी कह कर इग्नोर न करें.

हर बार दोस्तों को ही दोषी न ठहराएं अपनी गलती भी मानें.

एकदूसरे की पसंदनापसंद व भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करें.

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