समाज में स्त्रीपुरुष के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है. महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है. हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है.

हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म आदि पर बात करना वर्जित है. सभ्य समाज में ऐसी गंदी बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है. हां, मांबहन की गालियां खुलेआम दे सकते हैं और वे भी जी भर कर, अंगरेजी पढ़लिखे भी खुलेआम इस पर चर्चा कर सकते हैं.

सहवास में समय का चुनाव केवल पुरुष ही करेगा और चाह भी वही जाहिर करेगा तथा चरमोत्कर्ष भी वही प्राप्त करेगा. सहचरी का कुछ हो या नहीं वह इस बारे में कुछ बोल भी नहीं सकती. उस के लिए तो यह एक वर्जना ही है. यह पुरुषवादी महिलाओं के पालनपोषण का नतीजा है कि लड़कियां अपनी मरजी अथवा पसंद को जाहिर नहीं कर पातीं और मानसिक तनाव के गर्त में चली जाती हैं. इस पर बात होते ही संस्कृति की दुहाई दे दी जाती है.

सभ्यता के ठेकेदार

फिल्म ‘वीरे दी वैडिंग’ में अभिनेत्री स्वरा भास्कर के हस्तमैथुन के एक दृश्य और फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ में अभिनेत्री कायरा आडवाणी के वाइब्रेटर द्वारा मास्टरबेशन के एक दृश्य को ले कर खूब हंगामा हुआ. हंगामा करने वाले पितृसत्ता के ठेकेदार हैं. उन के अनुसार फिल्मकारों और अभिनेत्रियों ने फिल्म में ऐसे दृश्य फिल्मा कर धर्म और सभ्यता दोनों को नष्ट करने का प्रयास किया है.

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