आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में पतिपत्नी के बीच के प्यार का खो जाना स्वाभाविक है. पतिपत्नी दोनों ही अपनेअपने काम और जिम्मेदारियों में इतने व्यस्त रहते हैं कि जिंदगी एक मशीन की तरह हो जाती है. हैरानी की स्थिति तो तब होती है, जब शादी के कुछ महीनों बाद ही दोनों एकदूसरे को समझ नहीं पाते और दूरियां बढ़ने लगती हैं. देव ने जब अपनी नई जौब शुरू की तो महीनों तक कड़ी मेहनत की. दिनरात सिर्फ अपनी जौब में बिजी रहता. देर रात तक घर आ पाता था. ऐसे में अगर उसे अपनी पत्नी सिमरन का साथ न मिला होता तो शायद मंजिल पाना आसान न होता. सिमरन ने न सिर्फ पत्नी, बल्कि एक दोस्त बन कर भी उस के हर कदम में और हर फैसले में उस का साथ निभाया.
सपोर्टिव भी हो: आमतौर पर पत्नियां सोचती हैं कि पति को पत्नी का रूपशृंगार, पहनावा, प्यार और मीठे बोल पसंद होते हैं, लेकिन क्या सिर्फ यही बातें उसे पसंद होती हैं? बेशक, एक पति अपनी पत्नी की नैचुरल सुंदरता के साथसाथ साजशृंगार और शालीनता का भी इच्छुक होता हो, पर साथ ही वह पत्नी की सादगी, अनुकूलता, प्रेम की गहराई और साथ निभाने वाली खूबियां भी पसंद करता है. वह चाहता है उस की जीवनसंगिनी सिर्फ नाम की ही संगिनी न हो कर समझदार, भावनाओं को समझने वाली, उस के सुखदुख में साथ निभाने वाली सपोर्टिव साथी भी हो. बनावटीपन नहीं हो गहराई: पतिपत्नी का रिश्ता तभी सफल होता है जब दोनों के बीच अपनापन हो न कि बनावटीपन. पति को यह महसूस होना चाहिए कि उस की पत्नी जीवन की हर मुश्किल में उस का साथ निभाएगी. पत्नी का प्यारभरा साथ, उस की जरूरतों को समझने की शक्ति और विश्वास ही एक पति का सहारा होता है, जिस के दम पर वह दुनिया की तमाम उलझनों को आसानी से सुलझा सकता है.