भारतीय हिंदू समाज में वैवाहिक संबंधों को जन्मजन्मांतर का संबंध माना जाता है. लेकिन परिवार न्यायालयों में बढ़ते तलाक के मामले बताते हैं कि वर्तमान समय में न तो प्रेम विवाह सफल हैं और न ही परंपरागत विवाह. अब सवाल यह उठता है कि बिना पछतावे के किसी के साथ आजीवन रहने के लिए क्या किया जाए? प्रस्तुत हैं, इस संबंध में कुछ युगलों और विशेषज्ञों की सलाह:
2015 में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि प्रति हजार दंपतियों में से 13 दंपती आपसी तालमेल के कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन आश्चर्य कि उन में से ज्यादातर आज भी साथ जीवन गुजार रहे हैं.
एक जानेमाने मनोवैज्ञानिक व विवाह सलाहकार का कहना है कि पुरानी विचारधारा के अनुसार विवाह जीवनभर का साथ होता था. लेकिन आजकल के युगल साथ रहने की कोई ठोस योग्यता नहीं रखते. वे युगल जो कई दशकों से बिना किसी मनमुटाव के साथ रह रहे हैं, उन के जीवन में भी शादी से बढ़ कर कई अन्य मामले हैं.
समझदारी जरूरी है
सरोद वादक अमजद अली खान और उन की पत्नी सुब्बालक्ष्मी खान सितंबर, 2016 में अपनी शादी के 40 साल पूरे कर चुके हैं. जब उन से यह पूछा गया कि शादी को स्थाई बनाने के लिए कौनकौन से कदम उठाए जाएं? तो सुब्बालक्ष्मी का कहना था कि विवाह को सफल बनाना व्यक्ति के अपने हाथ में है. इस हेतु धैर्य, सहनशक्ति और समझदारी की आवश्यकता होती है. विवाह कोई क्षणिक आनंद नहीं, जिसे भोगा और भुला दिया जाए. नई पीढ़ी एकदूसरे को छोड़ने में बहुत जल्दबाजी करती है, जबकि विवाह के अपने उतारचढ़ाव होते हैं. उन का सामना करना चाहिए.