75 वर्ष के प्रेमनारायण साहू भोपाल के बागसेवनिया इलाके में रहते हैं और इस उम्र में भी वे खासे फिट हैं. उन की शादी 50 साल पहले कलावती साहू से हुई थी. वैवाहिक जीवन ठीकठाक गुजरा और उन के 3 बेटे हुए जो शादी के बाद सैटल हो गए. भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भोपाल से आर्टिजन के पद से रिटायर होतेहोते उन्होंने भोपाल में ही 3 मकान ले लिए थे जिन की कीमत अब डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक है. प्रेमनारायण ने मेहनत व ईमानदारी से नौकरी की और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां एक आदर्श गृहस्थ की तरह निभाईं. अब से 30 साल पहले कलावती उन्हें तनहा छोड़ कर बेटे के साथ रहने लगीं तो अकेलापन उन्हें काटने को दौड़ने लगा. मगर तनहाई और पारिवारिक अनदेखी के शिकार प्रेमनारायण टूटे या झुके नहीं और न ही उन्होंने ओम जय जगदीश हरे… या जय हनुमान ज्ञान गुण सागर…जैसे धार्मिक भजन सुने बल्कि उन्होंने सुने, न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन… जैसे रोमांटिक गाने.

4 दिसंबर, 2017 को कलावती ने बागसेवनिया थाने में जा कर पति के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई कि उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. उन्होंने इस का विरोध किया तो पति ने उन्हें मारपीट कर भगा दिया. बकौल कलावती, उन के पति के नाम 3 मकान हैं जिन में से एक वे अपनी दूसरी कथित पत्नी के नाम कर चुके हैं और दूसरा करने वाले हैं. लिहाजा, रिपोर्ट दर्ज कर उचित कार्यवाही की जाए. पुलिस वालों के लिए मामला दिलचस्प था और उन लोगों के लिए भी जिन्होंने यह सुना कि एक 75 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी नौकरानी से शादी कर ली है. प्रेमनारायण की कथित नौकरानी सुलोचना (बदला नाम) की उम्र लगभग 60 साल है और 15 साल से वह उन के यहां नौकरी कर रही थी. तभी उन्हें उस से प्यार हो गया और उन्होंने दीनदुनिया की परवा न करते हुए सुलोचना से शादी कर ली.

कलावती ने रिपोर्ट लिखाई तो प्रेमनारायण आगबबूला हो गए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ने कोई दूसरी शादी नहीं की है, पत्नी मुझ पर झूठा आरोप लगा रही है. रही बात मकानों की, तो वे मेरे हैं और यह मेरा हक है कि उन्हें मैं जिसे चाहूं उसे दूं.’’ फसाद या विवाद रोमांस का ज्यादा था या जायदाद का, यह तय कर पाना मुश्किल नहीं, लेकिन एक बात जो पुरजोर तरीके से उजागर हुई वह यह है कि 70 की उम्र के बाद भी रोमांस होना हैरत की बात नहीं है और प्यार हो जाने के बाद आम प्रेमियों की तरह पुरुष किसी की परवा नहीं करता.

दिल तो है दिल… बढ़ती यानी भजनपूजन और तीर्थयात्रा की उम्र में रोमांस अब कतई हैरत की बात नहीं रह गया है, आएदिन उजागर होते मामले इस सच की पुष्टि करते हैं.

ऐसे मामलों में एक अच्छी और गौरतलब बात यह है कि पुरुष अपने अफेयर को नकारते नहीं हैं. जाहिर है बात दिल की है जो कभी भी किसी पर भी आ सकता है. लंबे वैवाहिक और पारिवारिक जीवन के बाद ऊब के शिकार हो चले पुरुष अगर अपनी हमउम्र या उम्र में कुछ छोटी महिला से प्यार कर बैठते हैं तो वे कोई गुनाह नहीं करते. तय है कोई खालीपन उन के भीतर समा गया होता है जिसे भरने के लिए कोई महिला आ जाती है, तो वे जवान हो उठते हैं. यह महिला कोई भी हो सकती है. मसलन, कोई पुरानी परिचित सहकर्मी या बेसहारा जो एक भावनात्मक जरूरत बन जाती है. ऐसे में पारिवारिक व सामाजिक मूल्यों के कोई माने उन के लिए नहीं रह जाते और वे उन बंदिशों से बगावत कर बैठते हैं जिन के कभी खुद हिमायती हुआ करते थे.

नैतिकता की बातें भी इन पुरुषों को बेमानी लगती हैं, खासतौर से विधुरों को, जब संतानें अपना घर बसा कर अलग रहने लगती हैं और दोस्त व नातेरिश्तेदार कहने भर को बचते हैं. ऐसे में कोई आती है और उन का दिल धड़काने लगती है तो उन्हें जिंदगी के माने फिर मिलने लगते हैं और वे सही मानों में जिंदगी फिर से जीने लगते हैं.

दिग्विजय सिंह से ली प्रेरणा

बढ़ती उम्र के अफेयर या रोमांस अब बड़े शहरों के पौश इलाकों तक ही सिमट कर नहीं रह गए हैं, बल्कि ये गांवदेहातों में भी देखने में आने लगे हैं. इन्हें देख कर लगता है कि प्यार में बंधन या वर्जनाएं युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्ग भी तोड़ने लगे हैं.

मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ के परवट गांव के 75 वर्षीय बादू भूरिया अपनी 70 वर्षीया प्रेमिका भूरीबाई मकवाना को ले कर थाने पहुंचे. उन का मकसद था अपने अफेयर की स्वीकारोक्ति जिस से भूरीबाई का पति या ससुराल वाले कोई फसाद खड़ा न करें. बादू और भूरी ने अपने बयान में माना कि वे दोनों प्यार करते हैं और अब साथ रहना चाहते हैं. पुलिस ने बयान दर्ज कर लिए तो दोनों खेतों में जा कर मजदूरी करने लगे. बयान दर्ज करते मीडियाकर्मियों की चुहलबाजी के दौरान जब बादू से किसी ने इस उम्र में प्यार और शादी के बाबत सवाल किया तो वे बोले, ‘‘जब दिग्विजय सिंह इतने बड़े नेता हो कर बड़ी उम्र में शादी कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते,’’ यानी दिग्विजय सिंह अब रोमांस के मामले में भी लोगों के आदर्श बनने लगे हैं.

साल 2018 की पहली तारीख को जब ये प्रेमी थाने से लौटे तो खासे खुश और बेफ्रिक थे. आदिवासी समुदाय का एक रिवाज यह भी है कि अगर पत्नी अपने पति को छोड़ कर किसी दूसरे के साथ रहना चाहे तो उस के दूसरे पति को पहले वाले पति को वह राशि देनी पड़ती है जो शादी के वक्त पति ने पत्नी को या उस के परिवार वालों को दी थी. गुजरात की रहने वाली भूरीबाई को पहले पति ने सालों पहले 3,500 रुपए दिए थे, जो अब बादू देने को तैयार है. भूरीबाई की परेशानी पहले पति का शराबी होना थी जो नशे में उस से मारपीट करता था. उस की हरकतों से आजिज आ कर वह मायके आ गई थी. एक साल पहले उस की मुलाकात अपनी ही तरह कपास बीनने वाले बादू से हुई और दोनों में प्यार हो गया जो अब शादी में तबदील होने जा रहा है. भूरीबाई किसी किशोरी की तरह यह बताने से नहीं चूकती कि अगर बादू भी पहले पति की तरह शराब पिएगा तो वह उसे भी छोड़ देगी.

हर्ज क्या सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सार्वजनिक जीवन जीते हुए 70 साल की उम्र के बाद प्यार और शादी कर सकते हैं तो मध्यवर्गीय गृहस्थ प्रेमनारायण साहू को भी पत्नी के चले जाने पर प्यार हो जाना कतई हैरत की बात नहीं. इसी तरह बादू भूरिया को प्यार हो गया तो बात न तो हैरत की है और न ही हर्ज की.

ये तीनों पुरुष अलगअलग परिवेश के हैं, फिर भी दिल और दिल्लगी के मामले में एक हैं. तीनों ने ही दिल की बात सुनी और अपनी प्रेमिका को पत्नी का दर्जा दिया. ऐसे कई मामले अब आएदिन उजागर होने लगे हैं जिन्हें देखसमझ आता है कि इस उम्र में रोमांस हर्ज की बात नहीं, बल्कि युवावस्था की तरह एक जरूरत है. बदलते समाज के ये नए दस्तूर हैं कि बुजुर्ग बुरी तरह उपेक्षा के शिकार हैं. जिंदगीभर वे बैल की तरह अपनी जिम्मेदारियां ढोते हैं, बुढ़ापे में उन्हें भावनात्मक असुरक्षा घेर लेती है. ऐसे में जहां से विश्वसनीय तरीके से इन्हें सुरक्षा का आश्वासन मिलता है वहां वे टूट जाते हैं या प्यार कर बैठते हैं, बात एक ही है.

इस उम्र में भी प्यार करना इन का हक है. इन से आदर्शों व सामाजिक मूल्यों को निभाने की उम्मीद की जाए तो यह इन के साथ ज्यादती ही है जिन से हर स्तर पर लोग बगावत कर रहे हैं. उक्त तीनों मामले इस के उदाहरण हैं.

सावधानी भी जरूरी

जिस्मी जरूरतें इस उम्र में आ कर खत्म नहीं हो जातीं. आमतौर पर हिंदुस्तानी पत्नियां 60 वर्ष की उम्र के बाद तो दूर बल्कि पहले से ही पति से शारीरिक संबंध बनाना बंद कर देती हैं, जिस से पति खीझने लगते हैं और अपनी इस जरूरत को पूरी करने के लिए वे इधरउधर ताकझांक करने लगते हैं. दिक्कत तब खड़ी होती है जब वे अपने से काफी छोटी उम्र की लड़कियों की तरफ शारीरिक आकर्षण के चलते झुक जाते हैं. यह बेमेल रिश्ता अकसर युवती के स्वार्थ की देन होता है. भोपाल के शाहपुरा थाने के एक सब इंस्पैक्टर की मानें तो नए भोपाल के पौश इलाकों के अधिकांश बंगलों में बुजुर्ग अकेले ही रहते हैं, उन की संतानें या तो दूसरे शहरों में नौकरी कर रही हैं या फिर विदेशों में बस गई हैं.

इस सब इंस्पैक्टर के मुताबिक, कई बुजुर्ग लड़कियों के चक्कर में फंस जाते हैं जिन की नजर इन के पैसों पर रहती है. चूंकि ऐसे बुजुर्गों के पास पैसों की कमी नहीं होती, इसलिए वे लड़कियों पर पैसा खूब लुटाते हैं, लेकिन बाद में पछताते भी हैं. वजह कई बार लड़कियां ब्लैकमेलिंग करने लगती हैं. यह ब्लैकमेलिंग इमोशनल भी हो सकती है. इस तरह की लड़कियां नौकरानियां भी होती हैं और सेल्सगर्ल्स भी, जिन के दिल में प्यार नहीं, बल्कि फरेब होता है. दिक्कत यह है कि ठगे जाने के बाद ये बुजुर्ग रिपोर्ट भी नहीं लिखा पाते, क्योंकि समाज में उन की खासी इज्जत जो होती है.

वैसे भी, 70 साल का कोई बूढ़ा 20-21 साल की लड़की से प्यार करे, यह बात गले नहीं उतरती, क्योंकि लड़की किसी बूढ़े से प्यार नहीं कर सकती. उसे प्यार में जो चाहिए होता है वह हमउम्र युवा से ही मिल सकता है. हां, अगर उस का मकसद पैसा ही है तो कहा जा सकता है कि तनहा हो रहे बूढ़े उन के लिए सौफ्ट टारगेट ही होते हैं, प्रेमी नहीं. यह बात अधिकांश बूढ़े भी समझने लगे हैं, इसलिए वे प्यार वहीं कर पाते हैं जहां उम्र लगभग बराबरी की हो और प्रेमिका का सामाजिक स्तर भी उन की बराबरी का हो. प्यार में जरूरी नहीं कि वे शादी करें ही, बल्कि कई बूढ़े तो पूरे जोशोखरोश से, चोरीछिपे ही सही, रोमांस कर जिंदगी का उत्तरार्ध जिंदादिली से जी रहे हैं.

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