व्हाट्सऐप पर शादी को ले कर यह जोक काफी चर्चित हुआ, ‘जो लोग जल्दबाजी में बिना सोचेसमझे शादी का फैसला कर लेते हैं वे अपनी आगे की जिंदगी बरबाद कर लेते हैं, लेकिन जो लोग बहुत सोचसमझ कर शादी करते हैं वे भी क्या कर लेते हैं?’

सच, मजाकमजाक में इस जोक ने शादी का सच बयान कर दिया है. शादी एक जुआ ही तो है. या तो आप का चुनाव सही होगा या फिर नहीं. तो इस से पहले कि आप गठबंधन में बंधने का मन बना लें और 7 वचनों का आदानप्रदान करें, जरा इन बातों पर भी गौर कर लें जो ‘पोस्ट मैरिज बदलाव’ के बारे में हैं और जिन के बारे में आप के मातापिता, दोस्तयार, शुभचिंतक नहीं बताने वाले. अगर आप शादी का लड्डू चख चुके हैं, तो भी इन्हें पढ़ ही लीजिए ताकि आप यह सोचना बंद कर सकें कि यार हमारी रिलेशनशिप में क्या गलत है या हम दोनों में से कौन गलत है, जो गाड़ी बारबार पटरी से उतर जाती है.

जस्ट चिल, यह सब कुछ नौर्मल है, शादी के बाद आदर्श और अवश्यभावी फेज हैं ये:

शादी हर समस्या का समाधान नहीं

भारतीय समाज में शादी को कुछ इस तरह महिमामंडित किया गया है कि हम यह यकीन कर बैठते हैं कि शादी हर समस्या का रामबाण इलाज है. शादी के बाद सब कुछ अपनेआप ठीक हो जाएगा, तो कोई हैरानी की बात नहीं कि दुलहन बनी लड़की यह उम्मीद अपनी पलकों पर सजा लेती है कि उस की जिंदगी शादी के बाद जन्नत बन जाएगी. चांदी के दिन और सोने की रातें होंगी. उस का प्रिंस चार्मिंग उसे एक प्रिं्रसेस की तरह ट्रीट करेगा. बेशक कुछ हद तक ऐसा होता भी है. जिंदगी खुशनुमा होती है, बदलती है, लेकिन शादी से यह उम्मीद न रखें कि यह आप की जिंदगी की हर कमी को पूरा कर देगी, क्योंकि शादी के बाद आप को एक अदद पति ही मिलता है, अलादीन का चिराग नहीं.

दो जिस्म मगर एक जान हैं हम

यह कहना, सुनना, गुनगुनाना बेहद रोमांटिक, हसीन और सच्चा लगता है. मगर वास्तविकता में एक सक्सैसफुल मैरिज वह होती है जहां 2 अलगअलग व्यक्तित्व अपनी रिलेशनशिप को जीवंत और कामयाब बनाए रखने के लिए एकसाथ, लगातार, सामान रूप से प्रयास करते हैं. एकदूसरे के इर्दगिर्द घूमते रहना और शादी के बाद अपनी जिंदगी यह कहते बिताना कि  ‘तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे खत्म’ एक बोरिंग, आउटडेटेड तरीका है मैरिड लाइफ बिताने का.

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हमेशा अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाएंगे

शादी के बाद एक वक्त ऐसा भी आएगा जब आप मानसिक धरातल पर, भावनात्मक रूप से एकदूसरे से जुड़े रहेंगे, एकदूसरे के प्रति वफादार रहेंगे, मगर हो सकता है कि आप दोनों के बीच फिजिकल अट्रैक्शन की कमी हो जाए. मतलब कि जो पति आप को पहले रितिक रोशन सा डैशिंग नजर आता था, जिस की फिजिक पर से आप की आंखें नहीं हटती थीं, वह अब आप की आंखों के आकर्षण का केंद्र बिंदु न रहे. इस की 2 वजहे हो सकती हैं. पहली शारीरिक बदलाव. जैसे वजन का बढ़ना, क्योंकि आप भी मानती होंगी कि पति के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर गुजरता है और आप ने यह रास्ता अपना कर उन्हें गुब्बारा बना दिया और दूसरी मानसिक बदलाव जैसे कहते हैं न, घर की मुरगी दाल बराबर, तो रोजरोज उन्हें देखने पर कुछ खास कशिश महसूस न होती हो. खैर, कारण जो भी हों, लेकिन ऐसा होने पर घबराएं नहीं. अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाने का मतलब यह हरगिज नहीं होता कि आप का प्यार खत्म हो गया है. यह शादी के बाद का एक अस्थाई दौर है. यह भी गुजर ही जाएगा.

प्यार में डूबे रहने की स्टेज की समाप्ति

हम सब जानते हैं हनीमून फ्रेज यानी हैप्पिली एवरआफ्टर अथवा लव फौरएवर के बारे में. लेकिन यह फीलिंग परमानैंट नहीं होती और कई बार तो शादी के कुछ समय बाद एक ऐसा दौर भी आ जाता है कि जब प्यार महसूस होना तो दूर आप स्वयं ही हैरान हो कर खुद से पूछ बैठते हैं कि यार मैं ने इस बंदे से शादी क्यों की? इस में ऐसा क्या खास देख लिया मैं ने?

आप के साथ भी ऐसा हो सकता है, पर रिलैक्स, हर मैरिड कपल इस दौर से कभी न कभी गुजरता है. आप भी गुजर जाएंगे. फिर वक्त बीतने पर एकदूसरे को अच्छी तरह समझने के बाद आप की शादीशुदा जिंदगी में खूबसूरत कागजी फूलों की जगह हकीकत की पथरीली, मगर ठोस जमीन पर सच्चे प्यार के फूल खिलेेंगे, जिन की खुशबू आप की जिंदगी को महका देगी.

कभीकभी पार्टनर से चिढ़, नफरत हो जाना

यहां हम नफरत शब्द का इस्तेमाल शाब्दिक रूप से नहीं कर रहे हैं. लेकिन हां एक ऐसा समय आता है जब हम उन बातों की वजह से ही अपने पार्टनर से चिढ़ने लग जाएं, जिन बातों पर फिदा हो कर से अपना जीवनसाथी चुना था या यह कह लीजिए कि उन की खूबियां ही बाद में आप को उस की खामियां लगने लगें. जैसे उस का सैंस औफ ह्यूमर, उस की हाजिरजवाबी या सब की मदद को सदा तत्पर रहना अथवा क्रिकेट, फुटबौल को ले कर छाया जनून.

फिर भी आप उन बातों को बदलने की कोशिश न करें. आप का जीवनसाथी जैसा है उसे उसी रूप में उन्हें अपनाएं. आखिरकार यह वही व्यक्ति है जिसे आप ने शिद्दत से चाहा था.

अपने पार्टनर से कैसे ट्रीट करें

यह एक और पौपुलर नोशन है. आप पति से यह उम्मीद करती हैं कि वे आप के फैवरेट रोमांटिक हीरो की तरह आप से पेश आएं. जो मौकेबेमौके प्यार भरी बातें करता, लाल गुलाब पेश करता है या मिडनाइट सरप्राइज प्लान करता है.

लेकिन एक सच यह भी है कि अगर आप अपनी शादी में रोमांस को जिंदा रखना चाहती हैं, तो अपने पति को उस तरीके से ट्रीट करें, जो तरीका आप खुद के लिए चाहती हैं. कहने का मतलब यह कि आप उन्हें वैसे सरप्राइज दीजिए, जिन्हें पाने की चाहत आप को है. उन के लिए कैंडल लाइट डिनर अरेंज करें जो आप को भी पसंद है. गुडमौर्निंग किस दीजिए रोज, जो आप खुद पाना चाहती हैं. एक बार उन्हें इस की आदत पड़ने दीजिए, फिर आप को खुद ही रिटर्न ट्रीट मिलनी शुरू हो जाएगी.

शादी हमेशा खुशियों भरी नहीं होती

यह जाननासमझना औैर स्वीकरना आवश्यक है और यह भी कि वक्त जैसेजैसे गुजरता जाएगा हमेशा कोईर् न कोई ऐसा इश्यू आप दोनों के बीच आ खड़ा होेगा, जिस पर आप एकमत नहीं होंगे. लेकिन आप को इन सब से डील करना सीखना होेगा. ऐसा बहुत बार होगा कि पार्टनर की बातें, हरकतें आप को हैरान कर दें. आप उन की मेरी मरजी वाले ट्रैक से परेशान हो जाएं, लेकिन कुछ भी हो, आप को सब्र से काम लेना होगा. कुछ वक्त लें, कुछ उन्हें दें, अपने ईगो को बीच में न आने दें. समस्या जैसी भी हो, सुलझ ही जाएगी.

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एक बच्चा टूटती शादी को नहीं बचा सकता

सच तो यह है कि एक मुश्किल दौर से गुजरते कपल के बीच एक नन्हेमुन्ने की मौजूदगी हालात, तनाव को और बढ़ा देती है. अगर आप को यह सदियों पुरानी दादी, नानी की आजमाई गोल्डन ऐडवाइज मिले कि हैव ए किड ऐंड सेव योर मैरिज यानी जल्दी से एक बच्चा प्लान करो औैर देखो कैसे सब कुछ ठीक हो जाता है, तो इस सलाह पर अमल न करें, क्योंकि यह मुश्किल का हल नहीं, बल्कि मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम साबित होगा. एक बच्चे को दुनिया में लाना बहुत बड़ा दायित्व होता है. इस का निर्णय तभी लिया जाना चाहिए जब आप दोनों उस की परवरिश के लिए पूरी तरह तैयार हों.

सच यही है कि शादी हर सवाल का जवाब नहीं होती, बल्कि यह तो अपनेआप में एक पहेली होती है, जिस का हल तभी निकलता है जब दोनों अपने अहं और स्वार्थ का त्याग कर एक इकाई बन जाते हैं.

प्यार को प्राथमिकता दें

दरअसल, पतिपत्नी के मध्य टकराव ही वैवाहिक जीवन के लिए अभिशाप बनता है. जहां ईगो का टकराव न हो, वहां वैवाहिक जीवन निरंतर सफलता के साथ चलता है. एक कारण यह भी है कि जहां अपेक्षाएं ज्यादा हों, वहां अगर उन की पूर्ति नहीं होती, तो प्रतिदिन नई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है कि परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, पतिपत्नी के मध्य प्रेम हमेशा कायम रहे. पतिपत्नी एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसलिए दोनों को ही अपने अहम के टकराव से बचना चाहिए और प्रेम के मूलमंत्र पर अमल करना चाहिए, क्योंकि दांपत्य जीवन अगर सहज नहीं है, तो पारिवारिक जीवन भी परेशानियों का केंद्र बन जाता है.

-ऋचा पांडे, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट औफ इंडिया एवं ग्लोबल ऐंबैसेडर सिरोज यूनाइटेड (यूएसए)

एकदूसरे की भावनाओं को समझें

पतिपत्नी को हमेशा एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का प्रयास करना चाहिए. जरूरी है कि वे साथ में कुछ समय बैठें, बातें करें. एकदूसरे की भावनाओं को समझें, एकदूसरे को प्रोत्साहित करें. मगर अपनी इनडीविजुअल आईडैंटिटी को भी मैंटेन रखें. दूसरे को अपने जैसा बनाने का प्रयास कतई न करें. जिंदगी के महत्त्वपूर्ण निर्णय एकदूसरे के साथ बैठ कर ही लें.

-डा. गौरव गुप्ता, मनोवैज्ञानिक, तुलसी हैल्थकेयर

शादी से जुड़े कुछ तथ्य

विवाह एक अनूठा बंधन है, जिस में 2 व्यक्ति 7 फेरे ले कर एकदूसरे के साथ सदा के लिए जुड़ जाते हैं. पर क्या वाकई यह बंधन इतना ही मजबूत होता है? या फिर कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जिन से आप वाकिफ नहीं. आइए, आप को रूबरू कराते हैं, शादी से जुड़े ऐसे ही तथ्यों से:

– नौकरी, बच्चे, टीवी, इंटरनैट, हौबीज व घरपरिवार की जिम्मेदारियों की वजह से एक औसत दंपती दिन में केवल 4 मिनट ही अकेले एकदूसरे के साथ वक्त बिता पाते हैं.

– 25 साल से कम उम्र में शादी होने पर तलाक का खतरा ज्यादा होता है. महिला यदि पुरुष से काफी बड़ी है, तो भी तलाक की संभावना बढ़ जाती है. जबकि पुरुष काफी बड़ा हो तो ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

– एक व्यक्ति का शैक्षिक स्तर इस बात पर काफी प्रभाव डालता है कि वह शादी किस उम्र में करेगा. अधिक पढ़ेलिखे लोग सामान्यतया या अधिक उम्र में शादी करते हैं जबकि कम पढ़ेलिखों की शादी जल्दी होती है.

– एक अध्ययन में पाया गया है कि वे महिलाएं जिन के यहां घर के कामों का संतुलित विभाजन होता है और जिन के पति अपने हिस्से का काम बखूबी निभाते हैं, ज्यादा खुश व संतुष्ट दिखती हैं. बनिस्बत कि वे महिलाएं जिन्हें अपने पति से इस संदर्भ में शिकायत रहती है.

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– 15 साल के लंबे अध्ययन में पाया गया कि शादी से पूर्व एक व्यक्ति की प्रसन्नता का स्तर शादी के बाद उस की सफल और खुशहाल वैवाहिक जिंदगी का अच्छा सूचक है. दूसरे शब्दों में स्वयं विवाह व्यक्ति की प्रसन्नता की वजह नहीं होता.

– बर्थ और्डर भी कहीं न कहीं आप के विवाह की सफलता/असफलता निर्धारित करते हैं. सब से ज्यादा सफल शादियां वे रही हैं, जहां भाइयों में सब से बड़ी बहन की शादी बहनों में सब से छोटे भाई के साथ हुई. जबकि 2 पहली संतानों के बीच हुई शादी कम निभ पाती है.

– शादी और सगाई की अंगूठी बाएं हाथ की चौथी उंगली में पहनी जाती है. रोम में लोग यह विश्वास करते थे कि इस उंगली की एक खास वेन सीधी दिल तक जाती है.

– न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक, ठिगने व्यक्ति ज्यादा गंभीरता से शादी निभाते हैं और अपने ठिगनेपन को कंपेनसेट करने के लिए अधिक कमाते हैं.

– गरिमा पंकज 

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