आज के व्यस्त महानगरीय जीवन में हर व्यक्ति के पास समय का अभाव है. ऐसे में यदि बड़ा भाई घर के छोटेछोटे कामों में मातापिता का हाथ बंटाए, तो कामकाजी पेरैंट्स को सहारा तो मिलता ही है साथ ही युवा हो रहे बच्चों में जिम्मेदारी का भाव भी पैदा होता है.
9वीं में पढ़ने वाले रोहित का छोटा भाई मोहित 5वीं कक्षा में दूसरे स्कूल में पढ़ता है. रोहित स्कूल के लिए तैयार होने में तो उस की मदद करता ही है साथ ही साइकिल से उसे उस के स्कूल भी छोड़ता हुआ अपने स्कूल जाता है. इस प्रकार उस के कामकाजी मातापिता का काफी समय बचता है और वे भी समय से अपने औफिस जाते हैं.
अंकुर के पापा बैंक में हैं. उन का ट्रांसफर हर 3 साल के लिए दूसरे शहर में होता रहता है, ऐसे में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाला अंकुर अपने छोटे भाई मधुर की देखभाल में मां का सहयोग करता है.
अंकुर ने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अपने छोटे भाई को होमवर्क कराने की जिम्मेदारी खुद ले रखी है. रात को वह दोनों भाइयों की किताबें बस्ते में रखने व दोनों के जूते पौलिश करने जैसे काम भी करता है. इस से मां को बड़ा आराम मिलता है.
वास्तव में ये छोटेछोटे काम किशोरों को आत्मविश्वासी बनाते हैं और उन के व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास में सहायता करते हैं. किशोरों को भी छोटे भाईबहनों के काम बढ़चढ़ कर करने चाहिए. इस प्रकार मातापिता की सहायता कर सकते हैं.
पड़ोस में रहने वाली राधा जब शाम को औफिस से थकीहारी घर लौटी तो साफसुथरा घर देख कर हैरान रह गई, क्योंकि उन की बाई 2 दिन की छुट्टी पर थी. उन के 11वीं तथा 10वीं में पढ़ने वाले दोनों बेटों ने पूरे घर की साफसफाई करने के साथसाथ मम्मी के लिए टेस्टी पास्ता भी तैयार कर रखा था. पूछने पर उन्होंने बताया कि उन के बच्चे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं.