नेहा ने कुहनी मार कर समर को फ्रिज से दूध निकालने को कहा तो, वह चिढ़ गया, ‘‘क्या है? नजर नहीं आता, मैं कपड़े पहन रहा हूं?’’
लेकिन नेहा ने तो ऐसा प्यारवश किया था. और बदले में उसे भी इसी तरह के स्पर्श, छेड़छाड़ की चाहत थी. मगर समर को इस तरह का स्पर्श पसंद नहीं आया.
नेहा का मूड अचानक बिगड़ गया. वह आंखों में आंसू भर कर बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आकर्षित करने के लिए कुहनी मारी थी. इस के बदले में तुम से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया चाहिए थी, पर तुम तो गुस्सा हो गए.’’
समर यह सुन कर कुछ पल सहमा खड़ा रहा, फ्रिज से दूध निकाल कर देते हुए बोला, ‘‘सौरी, मैं तुम्हें समझ नहीं सका. मैं ने तुम्हारे इमोशंस को नहीं समझा. मैं शर्मिंदा हूं. इस मामले में शायद अभी अनाड़ी हूं.’’
शब्द को कई खास नहीं थे पर दिल की गहराइयों से निकले थे. बोलते समय समर के चेहरे पर शर्मिंदगी की झलक भी थी.
नेहा का गुस्सा काफूर हो गया. वह समर के पास आई और उस के कालर को छूते हुए बोली, ‘‘तुम ने मेरी नाराजगी को महसूस किया, इतना ही मेरे लिए काफी है. तुम ने अपनी गलती मान ली यह भी एक स्पर्श ही है. मेरे दिल को तुम्हारे शब्द सहला गए हैं... मेरे तनमन को पुलकित कर गए हैं,’’ और फिर वह उस के गले लग गई.
समर के हाथ सहसा ही नेहा की पीठ पर चले गए औैर फिर नेहा की कमर को छूते हुए बोला, ‘‘कितनी पतली है तुम्हारी कमर.’’
समर का यह कहना था कि नेहा ने समर के पेट में धीरे से उंगली चुभा दी. वह मचल कर पलंग पर गिर पड़ा तो नेहा भी हंसते हुए उस के ऊपर गिर पड़ी. फिर कुछ पल तक वे यों ही हंसतेखिलखिलाते रहे.