आज जब रंजना दफ्तर में आई तो कुछ रोंआसी सी दिखी. हमेशा मुसकराने वाली रंजना के चेहरे के भाव किसी से छिपे नहीं रहे तो सभी सहेलियां उस से पूछने लगीं, ‘‘रंजना क्या बात है,आज तेरे चेहरे की रंगत कुछ फीकीफीकी क्यों नजर आ रही है?’’
‘‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही.’’
उस का जवाब सुन सभी समझ गए कि कुछ बात जरूर है, लेकिन वह बताना नहीं चाहती.
थोड़ी देर में रंजना इस्तीफा ले कर बौस के पास गई. बौस भी उस के उदास चेहरे और अचानक इस्तीफे को देख कर सोच में पड़ गईं. बोलीं, ‘‘बैठो रंजना, क्या बात है, यह अचानक इस्तीफा क्यों?’’
यहां औफिस में तुम्हारी प्रतिष्ठा भी अच्छी है. फिर क्या तकलीफ है तुम्हें?’’
बौस की बात सुन रंजना की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ‘‘मैडम, वैसे तो कोई खास बात नहीं. लेकिन जब से शादी हुई है, हम दोनों पतिपत्नी में कुछ न कुछ झगड़ा चलता ही रहता है. दोनों नौकरी वाले हैं. घर तो संभालना ही पड़ता है, ऊपर से मेरे पति की टूरिंग जौब. इसलिए सोचती हूं कि मैं ही नौकरी छोड़ दूं.’’
‘‘तो यह बात है,’’ रंजना की बौस बोलीं, ‘‘लेकिन रंजना ये सब तो छोटीमोटी बातें हैं. शायद सभी को ऐसी परेशानियां हों, फिर भी कितनी महिलाएं दफ्तर में काम कर रही हैं. ऐसे हिम्मत हारने से थोड़े ही काम चलता है. मैं स्वयं भी तो इतने सालों से नौकरी कर रही हूं.’’
अपनी बौस की बात सुन कर रंजना मुंह बना कर बोली, ‘‘आप तो जौब में वैल सैटल्ड हैं मैडम, लेकिन मेरी जौब भी नई और शादी भी. पता नहीं सब क्यों मैनेज नहीं हो पा रहा.’’