मृदु को अधिक सोचने की बीमारी थी. अगर वह घर में कभी अपने पति को सास या ससुर से बात करते देख लेती है तो उसे लगता है उस की बुराई कर रहे होंगे. अगर सास प्यार से कह देती हैं कि हमारी मृदु की शादी के बाद सेहत अच्छी हो गई है तो उसे लगता है कि वह उसे काम न करने का ताना मार रही हैं.
अगर मृदु की ननद उस के खाने की तारीफ करे तो उसे लगता है वह जानबूझ कर कर रही है ताकि वह हर समय रसोई में लगी रहे. मृदु हर छोटीबड़ी बात पर इतना अधिक सोचती है कि उस ने अपने इर्दगिर्द एक मकड़जाल बुन लिया है. उस जाल में फंस कर न केवल वह अपने रिश्ते खराब कर रही है, बल्कि अपनी मानसिक शांति भी भंग करने पर तुली है.
सरला के भांनजे की बेटी का जन्मदिन था. जब केक कटने लगा तो सरला को स्टेज पर नहीं बुलाया गया. उन 2 घंटों में ही सरला ने इस बात के बारे में इतना सोचा कि वह उस जन्मदिन पार्टी के बीच में ही उठ कर चली गई. सरला के अनुसार, ‘‘भानजे ने जानबूझ कर उसे नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया, क्योंकि वह बच्ची के लिए महंगा तोहफा नहीं ला पाई थी.’’
मगर अगर सरला के भानजे मनुज से पूछें तो उस के दिमाग में यह बात दूरदूर तक भी नहीं थी.
भीड़भाड़ में उसे मौसी दिखाई नहीं दी थी और उस ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह इस बात को इस दिशा में ले जाएगी.
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ऋतु के पति और बेटी जब तक दफ्तर से नहीं लौटते तब तक वह इतना अधिक सोचती है कि उस की हालत खराब हो जाती है. हर फोन कौल पर उसे लगता है कि उस के पति या बेटी का ऐक्सीडैंट न हो गया हो.
पति अगर मोबाइल पर कुछ देख कर मुसकराते हैं तो उसे लगता है उन का अफेयर चल रहा है. उस की बेटी अकसर कमरे को बंद कर के काम करती है पर ऋतु इस बारे में इतना अधिक सोचती है कि उसे लगता है बेटी जरूर न्यूड शेयर कर रही होगी. कहीं वह किसी गलत लड़के के साथ तो नहीं है.
इन सभी उदाहरणों से यह बात तो तय है कि अगर हम अधिक सोचते हैं तो अकसर वह गलत दिशा में ही होता है. ज्यादा सोचने वाले इंसान अपने ही सब से बड़े दुश्मन होते हैं और ब्लड प्रैशर, शुगर और न जाने कितने रोगों के शिकार हो जाते हैं.
अपनी जिंदगी को सही दिशा में ले जाने के लिए सोचना जरूरी है. मगर अधिक सोचने से कोई लाभ नहीं है.
आज में जीएं: यह हम सब की समस्या है. कोई भी बात आते ही हम बहुत दूर तक की सोचने लगते हैं, जो हमें बेवजह तनाव देता है. रागिनी अपनी बेटी के पैदा होने के बाद. उस के भविष्य को ले कर बेवजह तनाव में आ गई थी.
अपनी बेटी की बालसुलभ हरकतों को जीने के बजाय वह आने वाले खर्चे और जिम्मेदारियों को ले कर तनाव में रहने लगी थी. कोई भी नई जिम्मेदारी या नया रोल मिलते ही बहुत दूर की न सोचें. आज में जीएंगे तो कल अपनेआप सुनहरा हो जाएगा.
छोटेछोटे गोल बनाएं: अगर आप आसमान छूना चाहते हैं तो थोड़ा सब्र रखें. छोटेछोटे गोल बनाएं और धीरेधीरे अपने टारगेट के करीब पहुंचें. छोटेछोटे गोल आप को मन की शांति प्रदान करेंगे. ये छोटेछोटे गोल अधिक सोचने की आदत से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं.
डायरी को मैंटेन करें: एक सर्वे से यह बात सामने आई है कि जो लोग ढंग से प्लैनिंग नहीं करते हैं, उन का दिमाग हमेशा चिंतनमनन करता रहता है. अगर आप काम में बिजी रहेंगे तो अत्यधिक सोचने की आदत से छुटकारा मिल सकता है. अपनी प्लैनिंग के लिए डायरी मैंटेन करने की आदत डालिए.
1 साल या 1 माह के बजाय, रोज के काम डायरी में लिखें और जो कार्य हो जाए उस पर टिक कर लीजिए. ऐसा करना आप के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.
मन के घोड़े पर लगाम लगाएं: जैसे ही आप के मन के घोड़े इधरउधर भागने लगें तो आप 2 मिनट के लिए आंखें बंद कर ठंडी सांस लें. सांसों पर ध्यान लगाएंगी तो आप का मन आप के काबू में रहेगा.
हंसें और खिलखिलाएं: हर छोटीबड़ी बात पर हंसने और खिलखिलाने की आदत डालें. जिंदगी में हंसने और खिलखिलाने की कोई वजह नहीं होती है. ये मौके हमें खुद ढूंढ़ने पड़ते हैं और अधिकतर बनाने पड़ते हैं. जितना अधिक खुश रहेंगी, फालतू की चिंतामनन से ध्यान हट जाएगा.
शौक को जिंदा रखें: जब भी आप के दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगें, आप किसी भी ऐसे कार्य में लग जाएं जो आप को पसंद हो. इस से एक तो आप का दिमाग हलका रहेगा और दूसरे आप अंदर से ऊर्जावान भी महसूस करेंगी.
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खुद पर रखें विश्वास: अगर आप के अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो हर नया काम या जिम्मेदारी आप को गहरी सोच में डाल देती है. आप को लगता है पता नहीं आप कर पाएंगे या नहीं. अगर नहीं कर पाए तो लोग क्या कहेंगे? अपने ऊपर विश्वास बना कर रखें, आप से बेहतर कोई नहीं है. किसी भी नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए रातभर सोचने की नहीं, बल्कि एक अच्छी प्लैनिंग की आवश्यकता है.
खुल कर बातचीत करें: अगर आप को किसी की बात या व्यवहार बुरा लगता है तो उस के बारे में सोचसोच कर गलत धारणा न बनाएं. खुल कर बातचीत करें, आप को बेवजह सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी.