मृदु को अधिक सोचने की बीमारी थी. अगर वह घर में कभी अपने पति को सास या ससुर से बात करते देख लेती है तो उसे लगता है उस की बुराई कर रहे होंगे. अगर सास प्यार से कह देती हैं कि हमारी मृदु की शादी के बाद सेहत अच्छी हो गई है तो उसे लगता है कि वह उसे काम न करने का ताना मार रही हैं.
अगर मृदु की ननद उस के खाने की तारीफ करे तो उसे लगता है वह जानबूझ कर कर रही है ताकि वह हर समय रसोई में लगी रहे. मृदु हर छोटीबड़ी बात पर इतना अधिक सोचती है कि उस ने अपने इर्दगिर्द एक मकड़जाल बुन लिया है. उस जाल में फंस कर न केवल वह अपने रिश्ते खराब कर रही है, बल्कि अपनी मानसिक शांति भी भंग करने पर तुली है.
सरला के भांनजे की बेटी का जन्मदिन था. जब केक कटने लगा तो सरला को स्टेज पर नहीं बुलाया गया. उन 2 घंटों में ही सरला ने इस बात के बारे में इतना सोचा कि वह उस जन्मदिन पार्टी के बीच में ही उठ कर चली गई. सरला के अनुसार, ‘‘भानजे ने जानबूझ कर उसे नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया, क्योंकि वह बच्ची के लिए महंगा तोहफा नहीं ला पाई थी.’’
मगर अगर सरला के भानजे मनुज से पूछें तो उस के दिमाग में यह बात दूरदूर तक भी नहीं थी.
भीड़भाड़ में उसे मौसी दिखाई नहीं दी थी और उस ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह इस बात को इस दिशा में ले जाएगी.