रिश्तों की नाजुक डोर को थामना मुश्किल होता है. इस डोर को न तो ढील दें और न ही जरूरत से ज्यादा खींचें. कुछ लोग आसानी से रिश्ते बना लेते हैं, किंतु अत्यधिक मानसिक उत्तेजना और हड़बड़ाहट के कारण रिश्तों को तबाह कर लेते हैं. यहां आदमी और जानवर के अंतर को समझना बेहद जरूरी है. मनोवैज्ञानिक ए. मैस्लो के अनुसार, मानवीय जरूरतें 5 प्रकार की होती हैं. पहली है- मूलभूत शारीरिक जरूरत. इसे सरल भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत कह सकते हैं. दूसरी जरूरत है- सुरक्षा की. तीसरी प्यार की, हर कोई एकदूसरे से प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखता है. चौथी जरूरत है सैल्फ रेस्पैक्ट की और 5वीं सैल्फ ऐक्चुलाइजेशन की यानी हम जो बनना चाहते हैं वैसा बनने का जनून होना है.

रिश्ते और संवाद

रिश्तों और संवाद का बहुत गहरा संबंध है. जितना मधुर और उपयुक्त संवाद होता है वैसा ही रिश्ता बनता चला जाता है. दिमाग के स्तर पर 2 व्यक्तियों के मन में क्या और कैसी प्रतिक्रिया होती है, इस का अनुमान लगा पाना कठिन होता है. एक बार हम किसी को अपने संवाद द्वारा हर्ट कर देते हैं या अपमानजनक संवाद कर बैठते हैं तो संबंध बिगड़ जाता है. संबंध बिगड़ने के साथ ही संवाद बिगड़ने लगता है. संवाद के बिगड़ते ही रिश्ते को उसी मानसिक और नैगेटिव परिपेक्ष्य में लेना शुरू हो जाता है. अत: जरूरी है कि हम कम्यूनिकेशन की प्रक्रिया पर ध्यान दें. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में सब्र से काम लें. लेखिका नीतू गुप्ता का कथन है कि गलती होने पर माफी मागने में शरमाएं नहीं. यदि आप का दोस्त या लाइफपार्टनर स्वयं गलती करने पर क्षमा मांगे तो उसे झट से माफ कर दें यानी क्षमाशील बनें. संबंध चाहे मम्मीपापा, भाईबहन, दोस्तों के बीच हो या फिर पतिपत्नी के बीच, हर संबंध की अपनी अहमियत होती है. किसी रिश्ते को कमजोर न समझें. हर रिश्ते की कद्र करनी चाहिए ताकि रिश्ते का भरपूर आनंद लिया जा सके. जब संबंधों में कटुता होती है, नफरत होती है तो यह दोनों पक्षों के लिए और समान रूप से दुखदाई होती है. हर हाल में नैगेटिव सोचने से बचें.

लोगों के दिल तक पहुंचें

एक देवर थकाहारा घर लौटा तो भाभी से 1 गिलास  पानी इस प्रकार मांगा, ‘‘ए कानी भाभी एक गिलास पानी ले आओ.’’ भाभी को यह सुन कर गुस्सा आ गया. बोलीं, ‘‘तुम्हें पानी मांगने की तमीज नहीं है. तुम्हें पानी पिलाए मेरी जूती. खुद ले कर पी लो.’’ 1 घंटे बाद दूसरा देवर घर आया तो आदर के साथ बोला, ‘‘भाभी मैं थका आया हूं. बहुत प्यास लगी है. प्लीज, 1 गिलास पानी दो.’’ भाभी को बहुत अच्छा लगा. बोलीं, ‘‘पानी भी पिलाऊंगी और फिर 1 गिलास शरबत बना कर भी दूंगी, क्योंकि तुम ने कितने आदर से पानी मांगा है. मुझे यह बहुत अच्छा लगा है.’’ रिश्तों को मजबूत बनाता है आप का व्यवहार. आप के दिल में क्या है, यह आप के व्यवहार में परिलक्षित होता है. आगे रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के कुछ पौइंट्स दिए जा रहे हैं. अपनी जिंदगी में इन पौइंट्स को अपनाएं. फिर देखें कि लोग किस कदर आप को प्यार करते हैं:

1. रिश्तों में इमोशनल मैच्युरिटी होनी चाहिए. सब के लिए इमोशंस बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं. लेकिन इमोशनल होते ही मानसिकता को झटका लगता है. ऐसे में रिश्तों को बहुत सूझबूझ के साथ संभालना ही रिश्तों को बनाए रखता है. इमोशनल मैच्युरिटी इस बात से प्रमाणित होती है कि किसी छोटी और नजरअंदाज किए जाने लायक बात को मुद्दा न बनाया जाए. तुनकमिजाजी काम बिगाड़ती है.

2. खासतौर पर यदि पतिपत्नी दोनों या दोनों में से एक संदेह का शिकार हो तो रिश्ता बिगड़ने में देर नहीं लगती है. संदेह रिश्तों को बिगाड़ने के लिए दीमक की तरह काम करता है. रिश्तों का आधार विश्वास हो तो जीने का आनंद ही अद्भुत और स्थाई होता है. अत: शक को रिश्तों के बीच न आने दें. शक की संभावना तब बहुत बढ़ जाती है जब पतिपत्नी अपने दोस्तों का सर्कल बहुत विस्तृत बना लेते हैं. और मेलजोल जरूरत से ज्यादा बढ़ा लेते हैं.

3. जिन घरों में बच्चों के सामने मातापिता लड़तेझगड़ते रहते हैं या पति पत्नी को घर आए मेहमानों के सामने बेइज्जत और हर्ट कर देता है वहां रिश्तों को अच्छा बनाए रखना कितना मुश्किल होता है, इस बात का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं. घर का माहौल अच्छा बनाए रखना घर के लिए जरूरी है. रिश्तों में जान भरने की कोशिश तो कर के देखें, फिर जीना बहुत आसान हो जाएगा.

4. रिश्तों की मजबूती के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम पूर्वधारणा से बचें. ये हैं पूर्वधारणाएं:

दोस्त धोखेबाज हो सकते हैं़  उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. उन्हें अपनी विश्वसनीयता प्रूव करने का मौका दिया जाना चाहिए. अगर वे ठीक प्रमाणित होते हैं तभी भरोसा किया जा सकता है.

सासबहू के संबध अच्छे नहीं होते हैं, यह पूर्वधारणा सासबहू दोनों के लिए रचनात्मक सोच अपनाने में बाधक बनती है.

प्रेम का मूलमंत्र है प्यार पाने के लिए प्यार देना. अधिकतर देखा जाता है कि हम प्यार पाना चाहते हैं बगैर प्यार अपनी तरफ से दिए और बिना अपनी ओर से प्रयत्न किए.

5. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक डा. एरिक बर्न की सलाह है कि हमें अपने मन की 3 स्थितियों का खास खयाल रखना चाहिए. ये मैंटल ईगो स्टेट हैं- चाइल्ड, पेरैंट और अडल्ट़ रिलेशन के लिए इन ईगो स्टेट को समझना जरूरी है. चाइल्ड ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो विद्रोह या क्रोधित करता है. पेरैंट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो मार्गदर्शन और निर्देश करता है. अडल्ट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है, जो तर्कबुद्धि के मानदंड पर खरा उतरता है. व्यवहार करते समय अगर हम इन 3 ईगो स्टेट को संतुलित कर लेते हैं, तो हम रिश्तों को बखूबी निभाने में सफल हो जाते हैं.

6. यह मान कर चलें कि 2 लोगों के विचारों का मेल न खाना स्वाभाविक है. जीवन को सुखी और आनंदमय बनाना हमारा संयुक्त प्रयास है. बुरे वक्त में एकदूसरे का साथ देना अच्छा गुण है. रिश्तों के एहसास को जिंदा रखें.

7. मुसकराहट ऐसी चीज है जो स्वयं को सकारात्मक सोच देती है. इसलिए मुसकराएं और दूसरों को खुश रखें. रिश्तों में उतनी ही उम्मीदें रखें जितनी आसानी से पूरी हो सकें. खुश और संतुष्ट रहने के लिए अच्छे लोगों के सर्कल में रहें. अच्छा माहौल बनाना सब के हित में है.

8. आज से ही रिश्तों से संबंधित जो फैसले आप ले रहे हैं उन का अध्ययन करें कि क्या वे फैसले ठीक हैं या गलत. गलत फैसलों से खुद को बचाएं. अपने रिश्तों में विश्वसनीयता और पारस्परिक सौहार्द की भावना को प्रबल बनाएं. आखिर यह आप की जिंदगी है. इसे आप जिम्मेदारी के साथ नहीं संभालेंगे तो कैसे अपने संपर्क में आने वाले लोगों को सुख, संतुष्टि और आनंद का साधन बना पाएंगे? जिंदगी एक लंबा सफर है. इस की बारीकियों को समझने की कोशिश करें.

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