तनिशी 3 साल की थी जब उसके घर एक नन्हा मेहमान आया था .माता पिता ने पहली बार उसके भाई से उसे मिलवाया था. तनिशी ने अपने भाई का नाम शिबू  रखा था . जो उसने बहुत पहले से सोच रखा था .तनिशी के लिए वो सिर्फ उसका भाई ही नहीं था उसकी पूरी दुनिया था.उन दोनों में बहुत प्यार था .तनिशी थी तो उसकी बहन पर प्यार वो उसे माँ जैसा प्यार करती थी. साथ खाना-पीना ,साथ उठना -बैठना ,एक पल को कभी वो उसे अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देती थी. अगर एक पल को भी वो उसकी आँखों के सामने से ओझल हो जाता तो रो-रोकर पूरा घर भर देती थी.

अब तनिशी  10 साल की हो चुकी थी और शिबू 7 साल का.एक बार शिबू स्कूल ट्रिप पर गया था .ट्रिप 3 दिन की थी.तनिशी बहुत परेशान थी की कहीं उसका भाई खो न जाये या उसे कहीं चोट न लग जाये.मम्मी पापा ने उसे बहुत समझाया पर वो कहाँ सुनने वाली थी.वो रोरोकर भगवन जी से कहती थी की “भगवन जी मेरे भाई को जल्दी से घर भेज दो”. जब शिबू ट्रिप से घर लौटा तब जाकर तनिशी की जान में जान आई.

समय बीतता गया, तनिशी  और शिबू बड़े होने लगे .दोनों की पढाई कम्पलीट हो गयी थी.तनिशी डॉक्टर बन चुकी थी और शिबू इंजिनियर .कुछ समय बाद तनिशी  की शादी तय हो गयी. तनिशी को ये चिंता सताने लगी की वो अपने परिवार के बिना कैसे रहेगी खास कर अपने भाई के बिना.तनिशी शिबू को चिढाती थी और कहती थी की देखूँगी की मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा?शिबू भी कह देता था की “शादी करके कब जाओगी  तुम इसकी राह देख रहा  हूँ मै ,मै तुम्हारी शादी में ज़रा सा भी नहीं रोने वाला हूँ .“

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