आजकल हम अपने स्वास्थ्य को ले कर काफी जागरूक रहते हैं. इस के लिए हम अपने खानपान, पोषण, फिटनैस, जैविक उत्पादों और पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं पर अधिक ध्यान देते हैं. मगर क्या हम ने कभी अस्वस्थ रिश्तों के बारे में सोचा है? खराब या अस्वस्थ रिश्ते भी हमारे स्वास्थ्य के लिए फास्ट फूड और प्रदूषण की तरह ही हानिकारक हो सकते हैं अस्वस्थ रिश्ते हमें असहज, उदास, डरा हुआ महसूस करा सकते हैं, साथ ही मानसिक रूप से बीमार और कमजोर भी बना सकते हैं.

रिश्ते हमारे जन्म से ले कर मरने तक हमारे बीच बने रहते हैं. रिश्ते हमारे मातापिता, परिवार, सहपाठियों, दोस्तों आदि से शुरू होते हैं. इन में से हर रिश्ता हमारी मदद कर सकता है और हमें एक समृद्ध और बेहतर इंसान बना सकता है, साथ ही हमें खुशी भी दे सकता है. अस्वस्थ रिश्ते कभी इन में से किसी भी भावना को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं.

हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपनी भावनात्मक और मानसिक सेहत को उसी तरह सुरक्षित रखें जिस तरह हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हैं.

वास्तव में स्वस्थ और अस्वस्थ रिश्ते हमारे व्यक्तित्व का आईना भी होते हैं, कुछ रिश्ते तो हमें जन्म लेते ही मिल जाते हैं जैसे मातापिता, भाईबहन, मौसी या बूआ आदि जिन्हें हमें स्वीकारना ही पड़ता है लेकिन कुछ रिश्ते जैसे पतिपत्नी, दोस्ती, पड़ोसियों, औफिस आदि में जो बनते हैं उन्हें हम अपनी मरजी या पसंद से बनाते हैं. हां एक बात याद रखने योग्य है कि रिश्ते बनाना भले आसान हो पर उन्हें बचाना या निभाना एक कला है. इसे कोई भी व्यक्ति साथ ले कर जन्म नहीं लेता बल्कि इसे समय के साथ सीखा जा सकता है.

किसी भी व्यक्तिकी सफलता सिर्फ उस की आर्थिक स्थिति या कैरियर से ही तय नहीं होती बल्कि यह भी देखा जाता है कि उस के दोस्तों, रिश्तेदारों से संबंध कैसे हैं. यदि रिश्ते स्वस्थ हैं तो उसे एक अच्छा सफल इंसान माना जाता है और यदि वह अस्वस्थ रिश्तों के साथ रहता है तो उस की गिनती एक असफल और बुरे इंसान के रूप में की जाती है इसलिए स्वस्थ और अस्वस्थ रिश्ते हमारे व्यक्तित्व का आईना भी होते हैं.

स्वस्थ रिश्तों के लिए कुछ बातें मददगार हो सकती हैं:

बनें अच्छे श्रोता

रिश्ते लंबे समय तक बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप एक श्रोता हों यानी दूसरे की बात भी सुनें अपनी ही न चलाएं. प्राय: यह देखा जाता है कि जिन लोगों को सिर्फ अपनी ही बात रखते रहने की आदत होती है लोग उन से कटने लगते हैं, जबकि जो लोग धैर्यपूर्वक औरों की भी बात सुनते हैं, उन्हें सभी प्यार करते हैं और लंबे समय तक उन से जुड़े रहना चाहते हैं.

अपेक्षाएं कम से कम हों

रिश्ते तभी स्वस्थ बने रह सकते हैं जब अपेक्षाएं कम से कम हों अधिकांश रिश्ते इसलिए टूटते हैं कि हम उन से जरूरत से ज्यादा अपेक्षा रखने लगते हैं और बातबात पर अपनी शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ जाते हैं तथा यह भी भूल जाते हैं कि हम ने उन्हें क्या दिया? कैसा व्यवहार रखा? आदि. स्वस्थ रिश्तों में हमेशा देने की आदत डालें. चाहने की आदत जितनी कम होगी रिश्तात उतना ज्यादा खूबसूरत और लंबे समय तक रहेगा.

रिश्ते की अच्छी बौंडिंग के लिए निकालें समय

आज के भागमभाग वाले लाइफस्टाइल या जीवनशैली में रिश्तों के लिए समय निकलाना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है. रिश्ता कोई भी हो अच्छी बौंडिंग के लिए समय देना आवश्यक होता है ताकि एकदूसरे को सम झना आसान हो वरना बहस और मनमुटाव की आशंका बनी रहती है क्योंकि अकसर किसी भी रिश्ते में यह सुना जा सकता है कि देखो अब जरूरत पड़ी तो फोन लगा लिया या आ गए, अब मिलने की फुरसत मिल गई या अब याद आ गई न हमारी वगैरहवगैरह. तो इन सब से बचने के लिए और एक स्वस्थ रिश्ते के लिए अपनी व्यस्त लाइफ में से कुछ समय अवश्य निकालें.

यूज ऐंड थ्रो से बचें

किसी भी स्वस्थ रिश्ते के लिए जरूरी है कि सिर्फ काम के लिए ही नहीं बल्कि हमेशा हर समय अपने प्रियजनों के संपर्क में रहें. अगर आप अपने दोस्तोंरिश्तेदारों को सिर्फ काम के समय याद करते हैं तो मान कर चलिए कि आप के रिश्ते बहुत समय तक चलने वाले नहीं हैं. इस से लोगों को लगने लगता है कि आप स्वार्थी हैं और केवल काम के समय औरों को याद करते हैं. रिश्ते यूज ऐंड थ्रो की श्रेणी में नहीं आते. इसलिए सिर्फ काम के लिए नहीं बल्कि हमेशा अपने प्रियजनों के संपर्क में रहें. इस के लिए विशेष अवसर जैसे त्योहार, नया साल, बर्थडे, ऐनिवर्सरी  आदि पर कुछ समय निकाल कर यदि संभव हो तो मिलेंजुलें नहीं तो फोन जरूर लगाएं और उन्हें शुभकामनाएं, बधाई अवश्य दें ताकि रिश्तों में मधुरता बनी रहे.

प्रशंसा करें

प्रशंसा सभी को पसंद आती है इसलिए प्रशंसा करने में कंजूसी न करें. यह उन के लिए मानसिक खुराक हो सकती है. जब भी आप के लिए कोई कुछ अच्छा करे, अपने निजी, पारिवारिक या व्यावसायिक जीवन में सफलता हासिल करे तो उस की प्रशंसा जरूर करें. हर किसी को स्पैशल फील होना अच्छा लगता है इसलिए कभीकभी यह मौका देते रहें. ऐसा करना रिश्ते को तनाव से दूर रखता है.

ईगो को रखें दूर

यदि किसी कारण से रिश्तों में कड़वाहट या दूरियां आ जाएं या मनमुटाव हो जाए तो अपने ईगो को आड़े न आने दें और रिश्तों को दोबारा बनाने या जोड़ने, मनमुटाव को दूर करने में देरी न करें पहले आप पहले आप के चक्कर में न पड़ें. पहले पहल कर अपनी सम झदारी का परिचय दें और रिश्ते को स्वस्थ बनाएं.

तुलना से बचें

अकसर हर रिश्ते में प्राय: देखा जाता है कि हम हर समय तुलना करते रहते हैं. हम या मैं क्यों ऐसा करूं, हम क्यों वैसा करें, उन्होंने भी ऐसा नहीं किया तो हम ही क्यों करें. उन्होंने हमें नहीं बुलाया तो हम क्यों बुलाए वैगरहवैगरह कुछ ऐसे ही सवाल हमें बेवजह परेशान करते हैं इसलिए किसी रिश्ते को स्वस्थ रखने के लिए तुलना न करें. आप वही करें जो आप करना चाहते हैं सामने वाले के व्यवहार या देनेलेने से तुलना न करें. तभी आप अपने रिश्तों को स्वस्थ रख पाएंगे.

लें तकनीक की मदद

आज के डिजिटल युग में टैक्नोलौजी हमारी रोजमर्रा की लाइफ का एक अहम हिस्सा बन चुकी है. यहां तक कि हम हमारे स्मार्टफोन से सोशल मीडिया और वीडियो कौल तक अपने करीबियों से जुड़े रहने पर काफी भरोसा करने लगे हैं. एडवांस टैक्नोलौजी ने हमारे करीबियों के साथ जुड़ना पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है इसलिए यदि विशेष मौकसें जैसे बर्थडे, ऐनिवर्सरी या किसी और अवसर पर अपने दोस्तों, परिवारजनों से कनैक्ट या जुड़े रहने के लिए टैक्नोलौजी की मदद लें. आजकल की व्यस्तता भरी लाइफ में यह आप के रिश्ते को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है.

ईर्ष्या की भावना से बचें

रिश्ता कोई भी हो यदि आप उसे ईर्ष्या की भावना से दूर रखेंगे तो यकीनन वह रिश्ता बेहद खुशियों से भरा, तनाव रहित और खूबसूरत होगा क्योंकि अकसर यह देखा जाता है जब भी हमारे किसी परिचित या रिश्तेदार या किसी दोस्त अथवा भाईबहन के यहां कुछ भी अच्छा होता है जैसे उन के यहां नई कार आ जाए, नया मकान खरीद लें, अच्छी नौकरी लग जाए या उन का बच्चा पढ़ने में अच्छा हो आदि तो हमें जलन या ईर्ष्या होने लगती है कि इस के यहां क्यों कुछ अच्छा हो गया जिस के कारण हम बेवजह परेशान बने रहते हैं या होते हैं. फिर मजबूरी में हम उन्हें बधाई भी देते हैं और  झूठी प्रसंशा भी करते हैं लेकिन बहुत ही दुखी मन से और यह भावना हमें मानसिक रूप से बीमार भी बना सकती है.

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