गत 12 अक्टूबर को पत्नी से झगड़े के बाद शंकर आईएएस अकैडमी के फाउंडर और सीईओ प्रोफेसर शंकर देवराजन ने 45 साल की उम्र में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.  ऐसा ही एक कदम आईपीएस सुरेंद्र कुमार दास ने उठाया जब अपने बंगले पर उन्होंने  जहर खा लिया. सुसाइड नोट में पतिपत्नी के झगड़े की बात सामने आई. हाल ही में दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में आधी रात को 100 नंबर पर आई एक कौल ने पुलिस को सकते में डाल दिया. कौल करने वाला कह रहा था, ” हेलो साहब मुझे गिरफ्तार कर लो.  मैं ने अपनी पत्नी को मार दिया है.

इस तरह की घटनाएं हमें इस बात का एहसास करा जाती हैं कि घर में पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार और विश्वास के बजाय यदि शक और विवादों ने जड़ें जमा ली है तो नतीजा काफी खतरनाक हो सकता है.  विवाह जैसा खूबसूरत बंधन उम्रभर के लिए दर्द और घुटन की वजह बन सकता है.  खासतौर पर एक स्त्री जिसे शादी के बाद दूसरे घर जाना है, पूरे परिवार की धुरी बनना है. उसका सोचसमझ कर फैसला लेना बहुत जरुरी है.

आप किस के साथ शादी के बंधन में बनने जा रही हैं यह तो महत्वपूर्ण है ही, इस रिश्ते को बेहतर तरीके से कैसे निभाया जाए इस के बारे में सोचना भी जरूरी होता है. बेहतर होगा कि कुछ बातों पर पहले से खुल कर चर्चा कर लें ताकि बाद में आप को पछताना न पड़े.

जीवन साथी की मदद जरूरी

शादी से पहले ही इस मसले पर बातचीत कर लेना बेहतर होता है कि घरबाहर की जिम्मेदारियों का बोझ दोनों मिल कर उठाएंगे. शादी के बाद जब घरपरिवार के कामकाज, सामाजिक पारिवारिक दबाव और घरवालों के एक्सपेक्टशंस के बीच छोटे से बच्चे के देखभाल की जिम्मेदारी आती है तो एक स्त्री  के लिए सबकुछ अकेले संभालना कठिन हो जाता है. आजकल संयुक्त परिवार भी नहीं होते कि काम बंट  जाए और फिर स्त्री को घर और बच्चे के साथसाथ औफिस भी संभालना होता है. ऐसे में सुपर वाइफ और सुपर मौम बनने का प्रयास करना बेमानी है. अकेले काम कर के थकान और तनाव की वजह से झगड़ा और विवादों में पड़ने से बेहतर है कि आप शादी से पहले होने वाले जीवनसाथी से इस संदर्भ में खुल कर चर्चा कर लें कि हर जिम्मेदारी दोनों को मिल कर उठानी होगी.

अपने वजूद को नकारे नहीं

शादी के बाद अक्सर इस बात को ले कर एक स्त्री को पछतावा रह जाता है कि उस ने अपनी  पहचान और कीमत को महत्व नहीं दिया.  कभी परिवार के लिए नौकरी से त्यागपत्र देने का मसला तो कभी दूसरों के लिए अपने सपनों को भूल जाने का हौसला दिखाते दिखाते वह खुद के साथ ही नाइंसाफी कर जाती है और वह स्वयं नहीं समझ पाती कि यह गम धीरेधीरे उस के सीने में सुलगता हुआ कब शोला बन गया और कब वह छोटीछोटी बातों पर चीखनेचिल्लाने लगी यह उस की खुद की समझ में भी नहीं आता. बेहतर है कि त्याग की मूरत बनने की बजाय पहले से ही स्पष्ट बात कर लें कि शादी के बाद आप अपने सपनों में रंग भरना कायम रखेंगी.

झगड़ा तुरंत खत्म करें

अक्सर तलाक के बाद इस बात को ले कर मलाल रह जाता है कि हमने अपने झगड़ों को इतना लंबा क्यों खींचा. शादी से पहले ही तय कर लेना चाहिए कि छोटीछोटी बातों को मन में रखने के बजाय उसी समय उस पर डिस्कशन कर समाधान निकाला जाएगा . पतिपत्नी में से कोई भी शख्स कोई बात छुपाएगा नहीं और हर मसले पर खुल कर बात होगी.

बराबरी का दर्जा

शादी के बाद अक्सर पति को घर का कर्ताधर्ता मान लिया जाता है और पत्नी भी खुद से ज्यादा पति को महत्वपूर्ण मानती है. वह अपने करियर, हौबीज और दूसरी सामाजिक गतिविधियों के बजाय अपनी पत्नी वाली भूमिका निभाती रह जाती है. अपने जीवन से जुड़े सारे फैसले और रिश्ते पति के हाथ में सौंप निश्चिंत होना चाहती है पर नतीजा अक्सर विपरीत निकलता है. धीरेधीरे वह अपना वजूद खोया हुआ महसूस करने लगती है जिस से उस के अंदर का फ्रस्ट्रेशन फूटने लगता है और पति जो अब तक स्वयं को सुपर पावर समझ चुका होता है पत्नी की जरा सी भी लापरवाही उस से सहन नहीं होती और घर में तनाव का माहौल पसरने लगता है.

अपनी खुशी अपने हाथ

शादी का मतलब यह नहीं कि आप अपनी खुशियों और आत्मिक संतुष्टि के लिए किसी और पर निर्भर रहने लगें और अपने लिए कुछ करने के बजाय इस आस में बैठी रहें कि सामने वाला आप की खुशी का ख्याल रखेगा.

अपने लिए खड़ी हों

वैवाहिक  जिंदगी में बड़ीबड़ी समस्याएं पैदा हों उस से पहले ही अपने लिए लड़ना सीखें. खुद को खुशी देना सीखें. अपनी भावनाओं को दबाना और अपनी जरूरतों को नजरअंदाज करना उचित नहीं.

उनके दिल की बात समझें

आप को बाद में इस बात को लेकर पछतावा न हो कि काश आपने उन के प्यार की भाषा समझी होती. वह क्या चाहते हैं इसे महसूस किया होता. पतिपत्नी दो अलगअलग इंसान हैं. दोनों के लिए प्यार  प्रगट करने का तरीका भी अलग हो सकता है.

मान लीजिए डिनर के बाद आप फैमिली वौक के लिए जाना चाहती हैं  मगर वह सारे बर्तन धो कर पहले किचन साफ करना महत्वपूर्ण मानते हैं. बच्चों के सोने के बाद जब आप के लिए प्यार का मतलब उन की गोद में सिर रख कर सोना है मगर उन के लिए बच्चों का कमरा साफ करना और अगले दिन की टेंशन खत्म करना ज्यादा महत्वपूर्ण है.

शक की दीवार खड़ी न होने दें

शादी के रिश्ते में शक की गुंजाइश नहीं होती. बाद में पछताने से बेहतर है कि रिश्ते की शुरुआत में ही अपना हर राज जीवनसाथी से साझा करें.  यदि आप के जीवन में कोई था या आप को कोई बीमारी है तो उस के बारे में जीवनसाथी को पता होना चाहिए शादी के बाद भी यदि कोई शख्स आप के जीवन में
आता है तो उस की चर्चा जीवनसाथी से जरूर करें और उन्हें एतबार दिलाएं कि आप कभी सीमा रेखा नहीं लांघेंगी.

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