आ ए दिन पड़ोस से आती लड़ाईझगड़े की आवाजें सुरभि को परेशान कर देती थीं. उस दिन भी सुरभि झगड़ने की आवाजें सुन कर परेशान हो उठी. कुछ दिनों पहले ही एक जोड़ा पड़ोस के घर में किराए पर रहने आया था. 2-3 बार मुलाकात भी हुई थी सुरभि से उन की. वे पढ़ेलिखे सभ्य नागरिक जान पड़ते थे. दोनों की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. दोनों ही नौकरी करते थे. पत्नी होटल में रिसैप्शनिस्ट व पति मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर था. सुरभि को विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि आवाजें उन के घर से ही आ रही हैं. परेशान हो कर उस ने शाम को अपने पति रचित से बात की तो उस ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए पड़ोसी होने के नाते कोई कदम उठाने की आवश्यकता जताई.
रात को सुरभि रचित के साथ उस कपल के घर जा पहुंची. वंशिका और गौरव नाम के ये पतिपत्नी किसी भी सामान्य जोड़े की तरह खुश दिख रहे थे. उन के विवाह को 2 वर्ष हुए थे और अभी कोई संतान नहीं थी. वंशिका जब चाय बनाने किचन में गई तो सुरभि ने बातचीत के दौरान उस से गौरव के साथ हो रही अनबन के विषय में जान लिया. इसी दौरान रचित ने गौरव को विश्वास में लेते हुए उस की वंशिका के प्रति शिकायतों का अंदाज लगा लिया. इस के बाद कुछ दिनों तक वे वंशिका तथा गौरव से बराबर मिलते रहे और उन के विश्वासपात्र बन उन के विषय में काफी कुछ जान गए.
इस बीच वे उन दोनों की बताई समस्याओं पर चर्चा करते रहते. वंशिका व गौरव द्वारा एकदूसरे की शिकायतों से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वास्तविक समस्या दोनों में आपसी समझ की है. छोटेछोटे मुद्दों को ले कर दोनों के बीच बहस छिड़ जाती और फिर उग्र होने लगते. दोनों अपनीअपनी जगह स्वयं को सही समझते हुए एकदूसरे को सुधरने की शिक्षा देने लगते. अपने को सही दिखाने के लिए दोनों गुस्से का सहारा लेते. दोनों में से कोई भी झगड़े को निबटाने का प्रयास नहीं करता था. गौरव अपने गुस्सैल स्वभाव के कारण जल्द ही आपा खो देता और फिर वंशिका पर हाथ उठा देता.
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सुरभि और रचित ने अपने कुछ परिचितों से पड़ोसी जोड़े की पहचान छिपाते हुए उन की समस्याओं पर बातचीत की और हल खोजने के लिए उन सभी के विचार जाने. सही मौका पा कर एक दिन उन दोनों ने वंशिका व गौरव को उन के बीच उपज रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए कुछ सुझाव दिए.
पहला व सब से महत्त्वपूर्ण सुझाव यह था कि घरेलू हिंसा से गौरव को पूरी तरह दूर रहना होगा. यदि वह अपने वैवाहिक जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जीना चाहता है और नहीं चाहता कि उस का और वंशिका का साथ कभी छूटे तो उसे गुस्सा आने पर हाथ उठाने की अपनी आदत को पूरी तरह से छोड़ना होगा. एक अन्य सुझाव के रूप में दोनों से कहा गया कि उन्हें अब अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर एकदूसरे के अनुसार ढलने की कोशिश करनी होगी.
कुछ अन्य मुद्दों पर सुझाव
समस्या: गौरव जब कभी औफिस में देर तक काम कर घर लौटता तो वंशिका उसे घर के प्रति लापरवाह कहते हुए तंज कस दिया करती. ऐसे में गौरव बुरी तरह तिलमिला उठता.
सुझाव: प्रतियोगिता के इस युग में प्राइवेट कंपनियां एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ में अपने कर्मचारियों पर दबाव डालती हैं. ऐसे में टारगेट पूरा करने के लिए वर्कर्स को औफिस में अतिरिक्त समय देना ही पड़ता है. गौरव का व्यस्त रहना उस के उत्तरदायित्व को दर्शाता है. लेकिन गौरव को यह नहीं भूलना चाहिए वह कंपनी का मैनेजर होने के साथसाथ एक पति भी है. उसे अब अपना समय वंशिका को भी देना चाहिए और निश्चित समय पर औफिस से घर आने का प्रयास करना चाहिए. मजबूरी में यदि रुकना पड़े तो इस की जानकारी विनम्र शब्दों में वंशिका को देनी चाहिए.
समस्या: वंशिका की शिकायत थी कि गौरव लोगों का हमदर्द बनता है, मित्रों की सहायता को सदैव तत्पर रहता है, लेकिन उस पर हमेशा रोब गांठता है. इतना ही नहीं कभीकभी वह दोस्तों व रिश्तेदारों के सामने भी वंशिका को बेइज्जत कर देता है. गौरव की अपमानित करने की आदत से हताश वंशिका यद्यपि सब के सामने तो उसे अपमानित नहीं करती थी, किंतु अकेले में गौरव से उस बात की शिकायत करते हुए वह उत्तेजित हो जाती. इस का परिणाम यह होता कि गौरव का गुस्सा बढ़ जाता और फिर वंशिका मारपीट की शिकार हो जाती.
सुझाव: विवाह के बाद पतिपत्नी दोनों को यह सोचना चाहिए कि एकदूसरे का सम्मान करना न केवल एक कर्तव्य है, अपितु यह समाज में उन की प्रतिष्ठा भी बढ़ाता है. इस के अलावा यह दोनों के बीच प्रेम उपजाने का कार्य भी करता है. गौरव जैसे पतियों को यह समझना होगा कि जो लोग गौरव पत्नी पर भड़कता देख उस समय चुप रहते हैं, वे बाद में उस के स्वभाव की निंदा अवश्य करते होंगे. दूसरों के सामने पत्नी पर गुस्सा दिखाने से कोई भी समस्या सुलझने के बजाय बढ़ती ही जाएगी. लोगों के सामने अपने रिश्ते का तमाशा बनाने से बेहतर है कि अकेले में अपने मन की बात जीवनसाथी के समक्ष रख हल खोजा जाए.
समस्या: वंशिका को जब गौरव अपने बौस या किसी कुलीग के दुर्व्यवहार से जुड़ी कोई बात बताता तो वंशिका बहुत कुछ पूछने लगती, जबकि गौरव सीमित शब्दों में अपनी बात समाप्त कर किसी भी प्रकार की चर्चा से दूर ही रहना चाहता था. ऐसे में वह वंशिका की बात बीच में काट देता और वहीं चर्चा खत्म करने को कहता. अगली बार जब गौरव ऐसी कोई समस्या बताने लगता तो वंशिका सुनने से इनकार कर देती.
सुझाव: कुछ लोग स्वभाव से कम बोलने वाले होते हैं, तो कुछ बहुत बोलते हैं. गौरव हर बात सीमित शब्दों में कहने वाला व्यक्ति था. वंशिका की प्रवृति हर बात की तह तक जाने व किसी भी विषय को समझ कर विस्तार से अपने विचार प्रकट करने की थी. स्वभाव के इस अंतर को स्वीकार कर दोनों को आपसी तालमेल विकसित करना चाहिए. गौरव द्वारा चर्चा को आगे न बढ़ाए जाने का एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है.
कभीकभी व्यक्ति केवल अपनी समस्या बता कर मन हलका करना चाहता है. गौरव भी ऐसे समय में केवल इतना ही चाहता था कि वंशिका उस की प्रौब्लम को समझे और उस की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा पाए. वंशिका जजमैंटल हो जाए, ऐसा वह नहीं चाहता था.
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ऐसे में वंशिका को उस समय केवल गौरव की बात सुनने व किसी अन्य अवसर पर उस विषय में अपने विचार प्रकट करने की सलाह दी गई.
समस्या: गौरव वंशिका की कभी प्रशंसा नहीं करता था, जबकि वंशिका छोटी सी बात में भी उस का शुक्रिया अदा कर तारीफ के दो शब्द बोल ही देती थी. उस के हाथ के बने खाने में तो गौरव अकसर कमियां ही निकालता रहता था.
सुझाव: पार्टनर की कमियों को नजरअंदाज कर प्रशंसा करने के कई लाभ होते हैं. एक तो इस से एकदूसरे में गुणों को ढूंढ़ने की आदत पड़ती है और दूसरा इस से पार्टनर को खुशी मिलती है. इस प्रकार एकदूसरे को स्पैशल फील करवाने से प्रेम का बढ़ना तय होता है.
समस्या: वंशिका को तब बहुत खराब लगता था जब गौरव उस की सीधीसादी बात का गलत मतलब निकाल लेता था. इस संबंध में वंशिका ने एक घटना का जिक्र भी किया. गौरव को अपनी प्रमोशन पर औफिस के साथियों द्वारा दिए गए उपहारों में से वंशिका को एक मग का सैट बहुत सुंदर लगा था. उस में एक मग को पुरुष तो दूसरे को स्त्री का रूप दिया गया था. इस सैट को ‘ओपन माइंडेड कपल’ का नाम दिया गया था. जब वंशिका ने पूछा कि उसे वह मग सैट किस ने दिया, तो गौरव का जवाब था किसी दोस्त ने.
वंशिका द्वारा दोस्त का नाम पूछे जाने पर गौरव ने उस पर आरोप मढ़ दिया कि वह उसे संदेह की नजर से देख रही है और इसे किसी स्त्री द्वारा दिया हुआ गिफ्ट समझ रही है. जब वह उस के सभी मित्रों को जानती ही नहीं तो यह प्रश्न पूछना इस ओर ही इशारा कर रहा है.
सुझाव: पतिपत्नी का रिश्ता केवल विश्वास पर ही टिका रह सकता है. यदि वंशिका ने कभी भी गौरव पर उस के चरित्र को ले कर कोई आरोप नहीं लगाया तो गौरव को सोचना चाहिए कि उस के मन में गौरव के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. उसे वंशिका की बातों का गलत अर्थ निकाल कर विश्वास की नींव को हिलाना नहीं चाहिए. उस समय गौरव को उपहार देने वाले मित्र का परिचय वंशिका को देना चाहिए था.
समस्या: कभीकभी गौरव औफिस से सीधा किसी काम या पार्टी अथवा फंक्शन में चला जाता. वंशिका को उस समय वह फोन करना भी जरूरी नहीं समझता था.
सुझाव: यदि वंशिका भी ऐसा ही करने लगे तो गौरव कैसा महसूस करेगा? इसी प्रश्न के माध्यम से वंशिका की मानसिक स्थिति गौरव के सामने रखी तो उस ने भी स्वीकार किया कि भविष्य में फोन या मैसेज द्वारा वंशिका को औफिस से कहीं और जाने की सूचना देना सही कदम होगा.
समस्या: गौरव को वंशिका से एक शिकायत यह थी कि उस की रखी गई वस्तुओं को वह उठा कर किसी अन्य जगह रख देती है, जिस से उसे अकसर असुविधा होती है.
सुझाव: वंशिका सफाईपसंद स्त्री थी, किंतु जरूरत से कुछ अधिक ही. गौरव की मेज पर सामान देख वह उसे अलमारी में रख देती और फिर गौरव ढूंढ़ता रह जाता. वंशिका को समझाया गया कि यदि मेज पर सामान बिखरा हो तो खराब लगेगा, किंतु करीने से लगा सामान सफाई का ही अंग समझा जाएगा.
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अंत में दोनों से कहा गया कि पतिपत्नी के विचारों में मतभेद होना स्वाभाविक है. विभिन्न विचारधाराएं अपने अलग अस्तित्व की पहचान हैं. वैवाहिक जीवन में अलगअलग सोच एकाकार हो जीवन में संपूर्णता ला सकती है. लेकिन जिस समय विचार टकराएं व दोनों में से किसी को गुस्सा आ रहा हो तो दूसरे को उस समय बहस को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. यह सुझाव दोनों के लिए था.
अब सुरभि को पड़ोस के उस घर से पहले की तरह मारपीट और लड़ाईझगड़े की जगह हंसीठहाकों की आवाजें आती हैं, तो उन्हें सुन सुरभि और रचित मुसकरा देते हैं.