अकेलेपन और सिंगल लाइफ को अकसर लोग एकदूसरे से जोड़ कर देखते हैं. व्यक्ति सिंगल है, इस का मतलब उस की जिंदगी बेहद नीरस, एकाकी और बेचारगीपूर्ण होगी. लोग उसे दया की दृष्टि से देखने लगते हैं. शादी हो जाना यानी जिंदगी की एक बड़ी उपलब्धि या फिर यों कहें कि जिंदगी वास्तव में संपूर्ण होने की पहली शर्त.

सिंगल व्यक्तियों को लोग अधूरा मानते हैं, भले ही शादी किसी ऐसे शख्स से ही क्यों न हो जाए जो किसी भी तरह उस के लायक न हो. शादीशुदा हो जाना ही एक अचीवमैंट माना जाता है.

मगर आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्वयं अपनी इच्छा से कुंआरा रहना पसंद करते हैं. उन के लिए शादी से कहीं और बड़े मकसद जिंदगी में होते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो गलत व्यक्ति के साथ जीने के बजाय सिंगल लाइफ जीना ज्यादा पसंद करते हैं.

एक टीवी चैनल में ऐसोसिएट ऐडिटर, 35 वर्षीय निकिता राज कहती हैं, ‘‘मुझ से अकसर लोग पूछते हैं कि अब तक शादी क्यों नहीं हुई तुम्हारी? तो मैं जवाब देती हूं कि दरअसल अभी मैं ने शादी करने के बारे में सोचा ही नहीं.’’

सामान्य रूप से देखा जाए तो इन 2 वाक्यों में कोई खास अंतर नहीं दिखता. मगर जब आप इन में छिपे अर्थ पर गौर करेंगे तो काफी अंतर दिखेगा. शादी नहीं हुई यानी बेचारगी. कोशिश तो की पर कहीं बात बन नहीं पाई, किसी ने आप को पसंद नहीं किया. वहीं दूसरी तरफ शादी नहीं की यानी अभी वक्त ही नहीं मिला इस बारे में सोचने का.

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