नेहा की शादी को 5 साल हो चुके थे. वह अपने पति के साथ इतनी खुश थी कि उसे कभी किसी चीज का खयाल नहीं रहता था. पति राकेश कभी समझाता भी था तो वह कहती कि तुम्हारे साथ रहते हुए मुझे इन चीजों को समझने की क्या जरूरत है. इस के चलते राकेश को अपना बहुत सारा काम खुद संभालना पड़ता था. सारे रुपएपैसों का हिसाबकिताब वह खुद ही रखता था. वह पैसों की केवल उतनी चाह रखती थी जितने उसे खर्च के लिए चाहिए होते थे.
अचानक राकेश को सरकारी काम से कुछ समय के लिए विदेश जाना पड़ा. शुरुआत में तो नेहा बहुत खुश थी कि वह भी साथ जाएगी, पर जब सरकार ने इस की इजाजत नहीं दी तो उसे घर में अकेले रहना पड़ा. अब घर का सारा भार नेहा के ही ऊपर आ गया. मगर उस ने तो कभी घर के कामों को समझा ही नहीं था. इसलिए उस के सामने परेशानी आ गई. कभी एलआईसी की पौलिसी, तो कभी बिजली, पानी का बिल भरने की परेशानी. नेहा को अब समझ आने लगा था कि अगर उस ने ये काम करने पहले से सीख लिए होते तो आज उसे इतनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.
नेहा से भी ज्यादा परेशानी में तो सीमा फंसी. वह भी घर के कामों पर कभी ध्यान नहीं देती थी. एक दिन उस के पति के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसे अस्पताल में भरती करना पड़ा. अब सीमा को समझ नहीं आ रहा था कि बीमारी के इलाज के लिए पैसे कहां से लाए, क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि बैंक की पासबुक कहां रखी है, एटीएम का पिन कोड क्या है. वह परेशान थी. पास पैसा होते हुए भी उसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा. शौपिंग, किट्टी पार्टियों और दोस्तों में व्यस्त रहने वाली सीमा को अब महसूस हो रहा था कि अगर वह पहले से घर के इन कामों को समझ लेती तो यह परेशानी न होती.